भारत का राजनैतिक अतीत,वर्तमान और भविष्य:-
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केंद्र सरकार की सेवाओं में आने से पूर्व किशोराव्स्था में खेती-बाड़ी,बोनी,खाद,बीज,भूसा गोबर पानी,निंदाई-गुड़ाई से पार्ट टाइम वास्ता रहा है! वो भी इसलिए क्योंकि पढ़ाई लिखाई के अलावा मुझे रात को भैंसें चराने जंगल जाना होता था! बचपन से लेकर नौकरी में आने तक मैंने असिंचित खेती का कुदरती दंश भी झेला है! गाय बैल भैंस चारा पानी सानी लकड़ी जरेंटा जल जंगल जमीन; दतुआ,पांस कुरेरा हल बखर जुंआ निजोंना मुसीका,परेना जुताई बोनी बखरनी निदाई गुड़ाई इत्यादि हर वह वस्तु या कार्य जिससे किसान का उन दिनों वास्ता रहता था,वह मैं आज भी बखूबी जानता हूं! किंतु आधुनिक खेती ने देश की तस्वीर और गांव की तकदीर बदल डाली है! उक्त कृषि उपकरणों के नाम अब इतिहास की किताबोंमें भी दर्ज नहीं मिलेंगे!
एम.पी. के दक्षिण पश्चिमी बुंदेलखंड के जंगली पठार वाले जंगली गांवों के कम जोत वाले किसानों की ,बंजर जमीन वाले गरीब किसानों की जो स्थिति 50 साल पहले थी, वही आज बदल चुकी है! हल बैल की जगह टैक्टर और बैलगाड़ी की जगह मोटर साइकिल ने ले ली है! चूंकि हमारे गांव के सिंघई (जैन) परिवार के लड़के पढ़े लिखे और नवाचारग्राही थे,इसी कारण हमारे बीस गांवों के इलाके में एकमात्र*पनचक्की*, एकमात्र रेडियो, एकमात्र ग्रामोफोन एकमात्र फटफटी( मोटरसायकल सिर्फ सिंघई परिवार के पास थी! चूंकि उनकी आटा चक्की अक्सर खराब हो जाती थी और सागर से मेकेनिक के आने में २-३ दिन लग जाते थे, अतः गांव की महिलाएं अलसुबह उठकर घर की चकिया या जांते पर आटा पीसतीं और मधुर कंठ से समवेत स्वरों में कर्णप्रिय लोकगीत गाया करतीं थीं!
आज आधी शताब्दी बाद जो तथाकथित सुधार दिख रहा है,वह देश की हरित क्रांति ,कोआपरेटिव सोसायटी-बैंकों का लोन और किसानों की हाड़तोड़ मेहनत का परिणाम है! सरकारों की ओर से सिर्फ इतनी मेहेरवानी रही है कि चुनावी गतिविधियों का बोलबाला,आरक्षण और दल दल की राजनीति ने देश के अधिकांश गांवों की एकता खंडित कर दिया है!
चुनाव को लेकर एक ही परिवार के लोग यहां तक कि भाई भाई - पति पत्नि, साले बहनोई सब एक दूसरे के दुश्मन बन गये हैं! आजाद भारत में बने संविधान की तारीफ करने वालों का यदि हकीकत से जरा भी वास्ता हो,तो वे भी जानते होंगे कि हमारे संविधान कि यही एक सबसे बड़ी देन है कि कुछ चालाक लोगों ने सिस्टम को जकड़ लिया है! जो पहले गरीब थे, वे अब और ज्यादा गरीब हो गये हैं! मुफ़्त अनाज योजना ने करोड़ों युवाओं को मेहनत से मेहरूम कर दिया है! गांवों की युवा पीढ़ी अब देश के हालात अंग्रेजी राज से बदतर हो चुके हैं!
वेशक कानून के राज में राजनीति एक बाध्यतामूलक आवश्यक बुराई है! जाहिर है कि मौजूदा दौर का कोई भी पढ़ा लिखा, बुद्धिमान और वतनपरस्त किसी जातिवादि या साम्प्रदायिक दल का समर्थन कभी नही करेगा! किंतु
सोशल मीडिया के दुरुपयोग से चुनावी राजनीति ने भारतीय समाज और लोकतंत्र दोनों को अंधेरे की ओर धकेल दिया है! जातिवादी टकराव और साम्प्रदायिकता ने भारत की एकता अखंडता और उसकी लोकतंत्रात्मकता पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है!
पर आम तौर पर सपा,बसपा,शिवसेना,जदयू,डीएमके जैसे क्षेत्रीय दलों को केंद्र सरकार से शिकायत है और केंद्र में विराजमान NDA(भाजपा ) और विपक्षी कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों से नफ़रत है! दूसरी और भारत का वामपंथ राष्ट्रीय पूंजीवादी दलों को कतई पसंद नही कर सकता ! वामपंथ को छोड़कर बाकी सभी दल जब विपक्ष में होते हैं तब बड़े बड़े दावे करते हैं, किंतु सत्ता में आने पर भ्रस्ट पूँजीपतियों के दलाल हो जाते हैं!
कांग्रेस कहती कुछ है और करती कुछ है!संगठन में भी लोकतंत्र की जगह राजतंत्र का माहौल है!सब सोनिया गांधी शरणम् गच्छामि! राहुल गांधी,प्रियंका वाड्रा पढ़ते लिखते कुछ नही, केवल उधार के स्टेटमेंट देकर मानों अगंभीर राजनीति की पंचर गाड़ी धकिया रहे हैं! इसी कारण २०१४ में ऐसा पटिया उलाल हुआ कि एक सड़े से मुद्दे-नेशनल हेराल्ड अखवार बनाम गांधी नेहरु परिवार पर उन्हें ई डी को ज़बाब देने में पसीना आ रहा है !
भाजपा वाले भ्रस्टाचार में कांग्रेस के अग्रज हैं!राज्यों में भले उनकी सत्ता आती जाती रहती है, किंतु कांग्रेस में कुकरहाव और विपक्ष का अहंकार ही है जो भाजपा को केंद्र की सत्ता से आगामी 10 साल तक कोई नही हटा सकता!संघ परिवार की बल्ले बल्ले है! सारे विपक्षी एक होकर,लगातार विरोध कर न तो मोदी सरकार को हरा पाए हैं और न हरा पाएंगे!क्योंकि भाजपा और संघ परिवार वाले विगत 30 -35 साल से दमित हिंदु जनों को प्रलोभन देते आ रहे हैं,कि हम यदि सत्ता में आयेंगे तो उनके निम्नांकित काम शिद्दत से करेंगे! अतः जिन लोगों ने विगत ५०-६० साल तक देश को लूटा है, उन सबकी खैर नहीं! अब चाहे संसद में लड़ो या सड़कों पर,२०२४ के लोकसभा चुनाव तक कानून का डंडा बजता रहेगा!
तीन तलाक,गरीब सवर्ण आरक्षण,धारा 370,राम मंदिर निर्माण काशी मथुरा में मंदिरों की पुनः स्थापना विदेशी घुसपैठियों की समस्या और नब्बे के दशक में अटल आडवानी जिंदगी जो कुछ बोलते रहे, वादे करते रहे,उसी उसी को आधार बनाकर,जनता से पुनः प्रचंड बहुमत पाकर भाजपा सत्ता में आएगी! जिन्होंने मोदी सरकार को दोबारा जिताया है,वे उन्हें तिवारा जिताना चाहेंगे! वैसे भी अपने तमाम वादे पूरा कर दिखाने में मोदी सरकार माहिर है! उनके प्रतिबद्ध वोटर टस से मस नहीं हो रहे हैं!
सोशल मीडिया पर और टीवी चैनलों पर मोदी सरकार की आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण की विनाशकारी नीति, मेंहगाई,वेरोजगारी की कहीं चर्चा नहीं, यदि कोई चूं चपड़ करेगा, तो ED CBI IT हैं न! यदि वे ऐंसा नही करते तो बहुसंख्यक हिंदू नाराज हो जाएंगे!और यदि आगामी पांच वर्षों में ये पेंडिंग काम हो जाते हैं,तो हिंदू समाज को कुछ संतुष्टि अवश्य मिलेगी,फिर उसे संघ या भाजपा की शायद जरूरत नही पड़ेगी!तब जनता भी वामपंथ जैसे किसी अन्य बेहतर विकल्प की तलाश करेगी!तब बहुसंख्यक वर्ग उनके साथ सदियों से हुए अन्याय को भुलाकर गरीबी-अमीरी के मद्दे नजर,समानता बंधुता की तरफ देखेंगे! तब उन्हें एहसास होगा कि स्वतंत्र भारत के हिंदू मुस्लिम बाकई सब एक हैं!
वास्तव में मोदी अमित शाह तो निमित्त मात्र हैं,समग्र भारतीय अस्मिता ही स्वयं उस घड़ी का इंतजार कर रही है,जब हर भारतवासी वास्तविक रूप से धर्म,मजहब की राजनीति या आजीविका-के बरक्स हर चीज में वास्तविक समान हक और समान कर्तव्य का हकदार होगा!
इसलिये आज सत्तापक्ष जो कुछ भी कर रहा है,वह उन ऐतिहासिक भूलों का मानवीयकरण और लोकतांत्रिक दुरुस्तीकरण मात्र है! वेशक यह कार्य कितना ही दुरुह या अवरोधमूलक क्यों न हो,वक्त आने पर स्वत: पूर्ण होकर रहेगा! इस कार्य की पूर्णाहुति किये बिना अर्थात भारत विरोधी ताकतों को नाथने की पक्की गारंटी के बाद ही किसी किस्म की सर्वहारा क्रांति संभव है!
अभी राष्ट्रपति चुनाव में एक सुसभ्य विनम्र आदिवासी महिला सुश्री द्रौपदी मुर्मू का विरोध करने वालों की जो फजीहत हुई है,उसके कारण और ममता केजरीवाल जैसे नेताओं के संगी साथियों के पास जो रिश्वत खोरी का काला धन मिल रहा है, उसकी आड़ में पूंजीवादी मीडिया ने जनता के मुद्दे हासिये पर धकेल दिए हैं!
विपक्षी दल भले ही दस जन्म ले लें किंतु जब तक अहिंसा परमोधर्म वाली जनता को सुरक्षा की गारंटी नहीं मिलती ,तब तक हिंदू समाज के राजनैतिक ध्रवीकरण को कोई नहीं रोक सकता! इसीलिए भाजपा को पुनः सत्ता सीन होने से,ये जाति संप्रदायवादी दल तो नही रोक सकते!
जेएनयू वाले,जामिया वाले, AMU वाले, हैदराबाद वाले और AIMM,PFI जैसे खतरनाक संगठन और ओवैसी जैसे वोट कटवा नेता, मुसलमानों का नहीं बल्कि भाजपा की जीत सुनिश्चित करने में जुटे हैं! अब चाहे कोई भी तुर्रम खां हों,उस होनी को नही रोक सकते, जो इतिहास ने खुद तय कर रखी है ! यही युगधर्म है, यही भवतव्यता है! यही भारत का तात्कालिक भविष्य है!जय हिन्द
:- श्रीराम तिवारी
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