मार्क्सवाद सिर्फ मजदूरों -किसानों की कोरी राजनैतिक नीरस विचारधारा मात्र नही है!यह एक संपूर्ण मानवीय दर्शन है!यह मनुष्य को महामानव बनाने और धरती के संपूर्ण मानव समाज को उच्च मानवीय मूल्यों में ढालने की वैज्ञानिक विचारधारा है!वेअज्ञानी लोग जो द्वंदात्मक भौतिकवाद के अविचल वैज्ञानिक सिद्धांत को नही जानते,वे ही लोग पूंजीवादी प्रोपेगंडा के प्रभाव में सामंतवादी खटारा गाडी को पुष्पक विमान समझने लगते हैं!
1924 में कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष स्व. देशबंधु चित्तरंजनदास ने कांग्रेस अधिवेशन में कहा था-"चूंकि मार्क्सवादी दर्शन आर्थिक सामाजिक जैसे शुष्क और नीरस मुद्दों परही जोर देता है,इसलिये यह भारत में कभीभी सफल नही होगा और रूस में भी प्रतिक्रांति होकर रहेगी.अहिंसा ही सही मार्ग है"
पता नही तत्कालीन वामपंथियों ने उनका क्या जबाब दिया !किंतु कुछ लोगों के दिमाग में यह सवाल अब भी उठता है!क्योंकि बाकई रूस में प्रतिक्रांति हो गई!मेरी तरफ से इसका समीचीन जबाब यह है कि वैज्ञानिक विकास के मद्देनजर कोई भी क्रिया या क्रांति सतत अनवरत अक्षुण और स्थाई नही रह सकती ,किंतु उस क्रांति के कारण दुनिया ने जो जो हासिल किया वह इस एतिहासिक यात्रा में बहुत मूल्यवान और गरिमामय है!
न केवल रूस,चीन, वियतनाम,क्यूबा बल्कि दुनिया की एक तिहाई आबादी ने श्रम का सन्मान जाना! दुनिया में आज साहित्य, कला,संगीत और अनेक मानवोचित विधाओं को जो सम्मान मिल रहा है,उसके मूल में मार्क्सवादी दर्शन और रूस चीन की महान साम्यवादी क्रांतियों का वरद हस्त रहा है !
भारतका वामपंथ अब हाराकिरी याने आत्महत्या की ओर अग्रसर है !तभी तो मोदी सरकार की जन विरोधी नीतियों की मुखाल्फत करने के बजाय,पूँजीवादी शोशण के खिलाफ लडने के बजाय ,वे कभी लालू जैसे महाचोर के पक्ष में खड़े हो जाते हैं ,कभी बुरहान बानी जैसे आतंकी की मौत पर सवाल खडा करते हैं, कभी जे एन यु के फच्छर में ऊलझते हैं ,कभी धर्मनिर्पक्षता के बहाने समस्त हिन्दू कौम का उपहास करते हैं !वे आतंकवाद के सवाल पर, पाकिस्तान और चीन की हरकतों के सवाल पर चुप्पी साध लेते हैं ! कभी गौ हत्या बनाम् बीफकांड को लेकर फटे में टांग अडा देते हैं !शायद इसीलिये आधुनिक भारतीय युवा मार्क्सवाद जैसे बेहतरींन वैग्यानिक दर्शन को समझने के लिये तैयार नही हैं !
श्रीराम तिवारी.
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