वेदांत सिद्धांतानुसार जिस तरह किसी व्यक्ति के शुभ अशुभ कर्मों का अच्छा बुरा फल प्राप्त होता है और प्रारब्ध या संचित कर्म बनता है,उसी तरह समाजों का,राष्ट्रों का,धरती का, सारी मानवता का,संपूर्ण सौरमंडल और संपूर्ण ब्रह्मांड का कर्मफल भी वक्त आने पर प्रकट अवश्य होता है!
जिस तरह जीवात्मा विशेष को व्यक्तिगत कर्म का वक्त आने पर व्यक्तिगत कर्मफल भोगना ही पड़ता! उसी तरह समष्टिगत कर्म का परिणाम महामारी की मार के रूप में इस समस्त जड़ चेतन जगत को भोगना ही पड़ता है!
अस्तु! कोई भी वैश्विक महामारी,भूकंप, जलप्लावन, चक्रवाती तूफान या त्सुनामी इत्यादि आपदाओं का हेतु भी समष्टिगत कर्मफल का प्रकटीकरण ही है!
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