जो भी चाहा वो नहीं मिला ,
फिर भी कोई कोई गम नहीं है!
बिना किसी वैशाखी के चले,
यह भी कुछ कम तो नहीं है !!
कदम जब भी आगे बढ़े और
अनजानी राहों पर तन्हा चले,
कई बार ठोकरें भी खाईं होंगी,
जिंदा बचे रहे ये कम तो नहीं है!
संकल्पों की ऊँची उड़ानों पर
बज्रपात हुआ बार-बार गिरे-उठे,
पर हौसले बुलंद रख्खे हमेशा
हार नहीं मानी ये कम तो नहीं है!!
वक्त ने जब जो चाहा करवाया
जमाने ने जमकर कहर बरपाया ,
जद्दोजहद में इंसानियत नहीं भूले
बंधु!यह भी कुछ कम तो नहीं है!
अब हवा ने ऐंसा रुख बदला है,
कि मन बाकई कुछ डरने लगा है ,
अब यदि पत्ता भी खडकता है तो,
चौंक उठता हूँ कि कोरोना तो नही है!!
श्रीराम तिवारी
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