बुधवार, 12 मई 2021

अपने लिए नहीं -अपनों के लिए जीना है!

 *गुज़र रही है ज़िन्दगी*

*ऐसे मुकाम से*
*अपने भी दूर हो जाते हैं,*
*ज़रा से ज़ुकाम से ✍️*
*तमाम क़ायनात में*
*"एक क़ातिल बीमारी"*
*की हवा हो गई,*
*वक़्त ने कैसा सितम ढा़या कि*
*"दूरियाँ" ही ''दवा'' हो ग ई✍️*
*आज सलामत रहे*
*तो कल की सहर देखेंगे*
*आज पहरे में रहे*
*तो कल का पहर देखेंगें✍️*
*सासों के चलने के लिए*
*कदमों का रुकना ज़रूरी है,*
*घरों मेँ बंद रहना दोस्तों*
*हालात की मजबूरी है✍️*
*अब भी न संभले*
*तो बहुत पछताएंगे,*
*सूखे पत्तों की तरह*
*हालात की आंधी में बिखर जाएंगे✍️*
*यह जंग मेरी या तेरी नहीं*
*हम सब की है,*
*इस की जीत या हार भी*
*हम सब की है ✍️*
*अपने लिए नहीं*
*अपनों के लिए जीना है,*
*यह जुदाई का ज़हर दोस्तों*
*घूंट घूंट पीना है✍️*
*आज महफूज़ रहे*
*तो कल मिल के खिलखिलाएँगे,*
*गले भी मिलेंगे और*
*हाथ भी मिलाएंगे ✍️*

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