*गुज़र रही है ज़िन्दगी*
*ऐसे मुकाम से*
*अपने भी दूर हो जाते हैं,*
*ज़रा से ज़ुकाम से
*

*तमाम क़ायनात में*
*"एक क़ातिल बीमारी"*
*की हवा हो गई,*
*वक़्त ने कैसा सितम ढा़या कि*
*"दूरियाँ" ही ''दवा'' हो ग ई
*

*आज सलामत रहे*
*तो कल की सहर देखेंगे*
*आज पहरे में रहे*
*तो कल का पहर देखेंगें
*

*सासों के चलने के लिए*
*कदमों का रुकना ज़रूरी है,*
*घरों मेँ बंद रहना दोस्तों*
*हालात की मजबूरी है
*

*अब भी न संभले*
*तो बहुत पछताएंगे,*
*सूखे पत्तों की तरह*
*हालात की आंधी में बिखर जाएंगे
*

*यह जंग मेरी या तेरी नहीं*
*हम सब की है,*
*इस की जीत या हार भी*
*हम सब की है
*

*अपने लिए नहीं*
*अपनों के लिए जीना है,*
*यह जुदाई का ज़हर दोस्तों*
*घूंट घूंट पीना है
*

*आज महफूज़ रहे*
*तो कल मिल के खिलखिलाएँगे,*
*गले भी मिलेंगे और*
*हाथ भी मिलाएंगे
*

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