भारतीय सभ्यता से इतर अन्य सभ्यताओं में दामपत्य संबंध स्वार्थ और जरूरत पर आधारित होने से बार बार तलाक और बार बार शादियां होती रहतीं हैं!वहाँ पर औसतन हर महिला या पुरुष अपनी जिंदगी में दो -तीन शादी कर डालते हैं! इसलिए उनकी संताने या तो माता - पिता विहीन हो जातीं हैं,या नानी दादी के भरोसे जीवन संग्राम में कदम रखतीं हैं!
चूँकि उनके *जैविक माता पिता* अपनी अपनी *अलग अलग जिंदगी* जीते है।इसलिए *बच्चे साल में एक बार अपने माता या पिता से मिलने जाते है।*लेकिन उनके *माता पिता तो साथ रहते नहीं है।*इसलिए *माता को मिलने का अलग दिन निर्धरित*किया गया है और उसी तरह *पिता से मिलने का अलग दिन।*जो *मदर्स डे,*फादर्स डे*के नाम से जाने जाते है।
भारत में हम बच्चे अपने माता और पिता के साथ ही रहते है और वो दोनों भी पूरी जिंदगी अपने बच्चों के साथ ही रहना चाहते हैं इसलिये यहाँ हर दिन माता पिता का है।उन्हें साल के एक दिन की जरुरत नहीं है।
माँ को याद करने के लिए किसी "मदर डे" की जरुरत नहीं है!
भारत में हर बेटा बेटी के लिये हर दिन मदर्स डे है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें