बुधवार, 26 मई 2021

एक मिट जाने की हसरत अब दिले बिस्मिल में है ।

 सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है !

देखना है जोर कितना बाज़ूए कातिल में है !!
एक से करता नहीं क्यों दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ जिसे वह चुप तेरी महफ़िल में है !
ए शहीद देश व मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरे जल्वोंकी चर्चा ग़ैर की महफ़िल में है!!
खींच कर लाई है सब को क़त्ल होने की उम्मीद,
इश्क की चर्चा अब कातिलों की महफिल में है!
सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से,
और भड़क जाएगा जो लौ सा हमारे दिल में है!!
जां हथेली पर लिए लो बढ़ चले हैं ये कदम,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है!
अब न अहले वलवले हैं और न अरमानों की भीड़,
एक मिट जानेकी हसरत अब दिले बिस्मिल में है ।
वक्त आने पै बता देंगे तुझे ये आस्मा,
हम अभी से क्या बताए, क्या हमारे दिल में है?
अमर शहीद :-पंडित रामप्रसाद बिस्मिल

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