जब कभी हमारे प्रधानमंत्री की आँखों में आँसू होते हैं तो देखने वालों का कहना होता है कि ये तो मगरमच्छ के आँसू हैं! सवाल यह है कि जब आप नकली कहानियाँ पढ़ते हुए भावुक हो सकते हैं,आप किसी घटिया फिल्म के घटिया सीन पर सुबुक सुबुक रो पड़ते हैं! तो देश में यदि मरई पड़ रही हो, लाशों से शमशान पटे पड़े हों,तो किसी भावुक पी एम की आँखों में असली आँसू क्यों नही हो सकते ?बेशक आप यह आरोप लगा सकते हैं कि मुल्क की बदतर तस्वीर के लिये पीएम मोदी ही जिम्मेदार हैं ! किंतु बराये मेहेरबानी उन आँसुओं का अपमान मत कीजिये! क्योंकि वे असली ही होते हैं ! दरसल मोदीजी जब जब भी रोये, वे असल में ही रोये ! क्योंकि वे भावुक ह्रदय हैं,भावुक आदमी तर्कशील नही होता,बल्कि जिद्दी और अस्थिरमति होता है!बेशक मोदीजी के आँसुओं की वजह देश की आवाम नही,बल्कि खुद मोदी जी ही हरबार कसूरबार रहे हैं! बात बात में आँसु बहाने वाला व्यक्ति बेहतर कवि या अँधभक्त तो हो सकता है,किंतु किसी विशाल राष्ट्र का पीएम नही होना चाहिये ! क्योंकि आँसु बहानेवाला व्यक्ति कमजोर होता है! मेरा यकीन है कि मोदी जी के आँसू हमेशा असली होते हैं! अब यह देश की जनता को तय करना है कि बात बात में आँसु बहाने वाला पीएम चाहिये या धीरोदात्त तर्कशील वैज्ञानिक विजन वाला प्रगतिशील पीएम?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें