जो लोग संबित पात्रा की तरह सुबह उठते ही राहुल गांधी,प्रियंका गांधी वाड्रा-कांग्रेस और विपक्ष को गाली देकर अपनी प्रात:कालीन वंदना संपन्न करते हैं और जो लोग ममता बनर्जी की तरह सुबह उठते ही भाजपा- माकपा और मोदी को कोसते हैं,उन लोगों के लिये अमेरिका के पक्ष( डेमोक्रेट्स) और विपक्ष( रिपब्लिकन्स) से सीखना चाहिये कि संकट की घड़ी में कैसे एकमत होकर कैसे फाइट किया जाता है! चाहे कोरोना हो या उनके मित्र इजरायल पर इस्लामिक वर्ल्ड का आतंक सारे अमेरिकी सांसद एकजुट होकर अपने मित्र इजरायल के पक्ष में खड़े हो गए हैं!
हमारे भारतीय राजनैतिक दल,उनके नेता और सासद किसी भी चीज पर एकमत नही हैं! यहां तक की पार्टी विशेष के अंदर भी आपस में बैरभाव और द्वेष रखते हैं!
भारतीय राजनैतिक दल किसी के मीत नही हैं! ईमानदारी से कहा जाए,तो हम भारतीय तब भी एक नही होते जब हमारी क्रिकेट टीम पाकिस्तानी टीम को हराती है! तब भी हमारे ही कुछ भाई लोग पाकिस्तान की हार पर शोक मनाते हैं और कुछ लोग उसकी हार पर खुशी मनाते हैं,भले ही पाकिस्तानी टीम को अफगानिस्तानी टीम या बंगला देश की टीम ने हराया हो !
मतलब भारतीय लोकतंत्र और संविधान की बनावट कुछ ऐंसी है कि भारत की जनता, भारत के राजनैतिक दल सत्ता के लिये तो एकजुट हो सकते हैं,किंतु धर्म,दर्शन,इतिहास और राजनैतिक समाधान के लिये एकजुट नही हो सकते! इसीलिये राष्ट्रवाद भी भारत में नदारद है! राष्ट्रवाद सिर्फ एक सम्प्रदाय विशेष तक सीमित रह गया है! बाकी सब कौमें इस देश को चरागाह समझती हैं और लूटने की फिराक में रहती हैं!
श्रीराम तिवारी
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