गुरुवार, 24 दिसंबर 2015

 हर साल ठण्ड के मौसम में शरद,शिशिर हेमंत वसंत इत्यादि ऋतुओं का आगमन होता है ,ऋतुओं एवं प्रकृति  के रूप गुण  सौंदर्य को विभिन्न कवियों ने अपने -अपने सरस काव्य मय निरूपण से अभिव्क्त किया है किन्तु  कवित्त छंद में सेनापति से बेहतर प्रस्तुति शायद ही कोई दे सका हो । सेनापति की दो पंक्तियाँ प्रस्तुत हैं।

शिशिर में शशि को सरूप पावे सविताहूँ ,घामहुँ  में चाँदनी  की दुति दमकत है।

चन्द्र के भरम होत  मोद  है कमोदनी कहूँ शशि संग पंकजनि फूल न सकत  है।

                                                  -:सेनापति :-

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