ये पेरेस्त्रोइका ,ग्लास्तनोस्त का मारा भूलुंठित,खंड-खंडित आधा अधूरा रूस 'हमारे'[भारतीय] प्रधान मंत्री को बहुत रास आ रहा है । उन्हें रूस बहुत लुभा रहा है ,बहुत भा रहा है ,इसलिए वे उसकी प्रशंसा में भाव विभोर हो रहे हैं।काश !उन्होंने विराट 'महाशक्ति' के रूप में एकजुट पूर्व 'सोवियत संघ' देखा होता ! मोदीजी या उनके पूर्ववर्ती 'दक्षिणपंथी' भारतीय नेता यदि तत्कालीन सोवियत नेता कामरेड जोसेफ स्टालिन से मिले होते तो संघियों को अमरीका और उसका पूँजीवाद इस कदर नहीं सुहाता ! तब वे भारत की मेहनतकश जनता को और उसके हरावल दस्ते के रूप में 'वामपंथ' की कतारों को भी शायद दुश्मनी की नजर से नहीं देखते।
मोदी जी को यदि रूस जाकर अब यह एहसास हो रहा है कि १९७१ के भारत-पाकिस्तान युध्द में सोवियत संघ ने भारत के लिए क्या कुछ किया ? तो यह देर आयद दुरस्त आयद ही कहा जा सकता है। दुनिया जानती है कि सोवियत संघ ने भारत को संयुक्र राष्ट्र संघ में कभी अकेला नहीं छोड़ा। सोवियत संघ ने कई बार अपना वीटो पावर भारत के ऊपर निछावर कर दिया। सोवियत संघ ने भारत को परमाणु तकनीकी दी। उसने भारत के लिए अमेरिका से रारा ठानी। सोवियत संघ ने भारत की उन्नति के लिए सार्वजनिक उपक्रम खड़े किये। भारत -सोवियत मैत्री की मिसाल दुनिया में शायद ही कहीं मिलेगी। अब सोविएत संघ तो नहीं रहा। जब बचा खुचा रूस भी मोदी जी को भारत के काम का लग रहा है ,तो विराट सोवियत संघ के नैतिक समर्थन के क्या जलवे रहे होंगे ? हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि भारतीय सेनाओं ने जिन हथियारों से पाकिस्तान के दो टुकड़े किये थे ,वे हथियार सोवियत संघ ने ही दिए थे और वीटो पावर भी सोवियत संघ का ही हुआ करता था!
यह शर्मनाक सचाई है कि भारत -सोविएत मैत्री से पाकिस्तान के फौजी और मजहबी नेता हमेशा चिढ़ते रहे हैं। किन्तु बड़े दुःख की बात हैं कि आरएसएस वालों को भी रूस से बहुत घृणा रही है। आरएसएस और पाकिस्तान की सोच में कितनी समानता है ? भारत के अधिकांस संघ समर्थक लोग भी हमेशा सोवियत संघ से चिढ़ते रहे हैं। अब जबकि खंडित रूस की मोदी जी ही इतनी तारीफ कर रहे हैं ,उसके एहसानों को याद करके आल्हादित हो रहे हैं ,तो पाकिस्तान के खूँखार आतंकी नेताओं और भारत के कृतघ्न रूस विरोधियों के सीने पर साँप लोटना स्वाभाविक है ! आज जबकि मोदी जी भारत -रूस दोस्ती की तहेदिल से प्रसंशा कर रहे हैं तो संघियों को भी अब मोदी जी ही सही ,रूस के विषय में कुछ तो अपने ख्याल बदलने चाहिए !-:श्रीराम तिवारी :-
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