गुरुवार, 10 दिसंबर 2015

"नूरल्लाह तुम मरे ही नहीं ! क्योंकि तुम्हारे मारे जाने का कोई सबूत नहीं ! तुम जहाँ भी हो वापिस लौट आओ !


 फिल्म स्टार सल्लू उर्फ़ सलमान खान उर्फ़ 'भाईजान'को मुंबई हाई कोर्ट ने बाइज्जत बरी कर दिया है !सलमान खान को बधाई  देने उनके घर पर हजारों की भीड़ उमड़ पडी है ! कानूनी दावपेंच की लड़ाई में भले ही यह 'खान- परिवार'मुंबई  हाई कोर्ट में जीत गया है ! किन्तु सलमान की गाड़ी से कुचलकर मारे  गये  निर्धन  नूरल्लाह  की मौत का निर्णय होना अभी बाकी है। इस फैसले से कई लोगों के मन में सवालों के शोले उठ रहे  है। तरह वर्षीय मुकदमें को अभियोजन पक्ष ने इस  कदर कुंद कैसे कर दिया कि लोअर कोर्ट की सारी मशक्क़त  को हाई कोर्ट में लकवा मार गया। जब लोअर कोर्ट ने सलमान  खान को दोषी पाया  तो अव्वल तो  हाई  कोर्ट ने आनन-फानन  जमानत दे दी। अब जो मुकदमा १३ साल से घिसट रहा था उसे  द्रुत गति से निपटा दिया। वैसे तो इस प्रकरण में ढेरों संदेह और सवाल हैं किन्तु एक सवाल  बहुत ज्वलंत है।  यदि सलमान खान के खिलाफ  इस 'हिट एंड रन ' केस में सारे सबूत और गवाह संदिग्ध या नाकाफी  हैं तो लोवर कोर्ट ने किस बिना पर सलमान को सजा सुनाई थी ? और यदि अब सलमान खान  के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत ही नहीं तो देश  की जनता को ये कौन बताएगा कि  नूरल्लाह कैसे मारा ? और वह हत्यारी गाड़ी कौन चला रहा था ?

सलमान खान के बरी होने से किसी को कोई समस्या नहीं।  माननीय मुंबई हाई  कोर्ट की विद्व्त्ता पर भी किसी को कोई संदेह नहीं ! लेकिन यदि साक्ष्य जुटाने वाली मशीनरी -पुलिस - कानून एवं अंततोगत्वा न्याय व्यवस्था की खामियों के कारण मरहूम  निर्बल नूरुल्लाह  के सापेक्ष  सबल सलमान को संदेह का लाभ दिया गया है तो बात दूर तलक जाएगी !  इस  प्रकरण में  वर्तमान पूँजीवादी  भृष्ट व्यवस्था का नग्न रूप स्पष्ट देखा जा सकता है। पीड़ित परिवार की अनदेखी करने वालों और आरोपी को आदर सम्मान देने वालों को शायद नहीं मालूम की मरहूम नूरल्लाह के प्रति श्रद्धांजलि स्वरूप  हर संवेदनशील और व्यथित मन  का चीत्कार निम्नांकित  शब्दों में अभिव्यक्त हो रहा है :-

"नूरल्लाह  तुम मरे ही नहीं !क्योंकि तुम्हारे मारे  जाने का कोई सबूत नहीं ! नूरल्लाह  तुम्हे मालूम हो कि  जिस गाड़ी से तुम कुचले गए ,वह सलमान  ही चला रहा था ,इसका  भी कोई सबूत नहीं ! वह शराब पीकर  गाड़ी चला रहा था ,इसका भी कोई सबूत नहीं !गाड़ी  उसका ड्राइवर चला रहा था ,इसका भी कोई सबूत नहीं ! और चूँकि तुम्हारे मारे जाने का कोई सबूत नहीं ,इसलिए तुम वापिस लौट आओ ! तुम्हारे  निरीह  लाचार  सप्रियजन और वह  फूटपाथ[जिस पर सोते हुए तुम्हारे मारे जाने की अफवाह उड़ी] ,गऱीबी,बेकारी ,अन्याय और भृष्ट न्याय व्यवस्था तुम्हारा वेसब्री से  इन्तजार कर रही है ! नूरल्लाह  तुम जहाँ भी हो वापिस लौट आओ "श्रीराम तिवारी !

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