रविवार, 20 दिसंबर 2015

आपराधिक राजनीति में आप डबल मापदंड कैसे लागु कर सकते हैं ?

केंद्रीय मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर बहुत प्रतिभाशाली और तीक्ष्ण  बुद्धि के धनी हैं। उनके अधिकांस वयान बहुत संतुलित और सटीक होते हैं। 'संघ' परिवार और भाजपा के अन्य  लिजलिजे नेताओं के बरक्स जावड़ेकर जैसे मूर्धन्य नेताओं को आइना दिखानें में विपक्ष और मीडिया को  भले ही पसीना आ जाता हो । लेकिन मुझे तो ऐंसे ही कुशाग्र नेताओं की 'लू' उतारने  में मजा आता है। 

नेशनल हेराल्ड प्रकरण में जब सोनिया जी और राहुल को कोर्ट से जमानत मिली तो ''हाई -कमान'  के मना करने के वावजूद भी कुछ कांग्रेसी उत्साहीलाल देश भर में इधर-उधर जश्न मनाने के लिए  अपने-अपने घरों से  निकल पड़े।  कुछ तो कोर्ट ही  जा पहुँचे। काँग्रेसी  कार्यकर्ताओं की इस नादानी पर प्रकाश जावड़ेकर ने तंज कसते हुए कहा 'जमानत ही तो मिली है ,इसमें जश्न मनाने लायक क्या है ?'जावड़ेकर जी आप बिलकुल सही फरमाते हैं 'आई लाइक इट'! लेकिन आपराधिक राजनीति में आप  डबल मापदंड  कैसे लागु कर सकते हैं ?
 
ऐंसा प्रतीत होता  है कि जावड़ेकर के   इस शानदार तंज याने  कुटिल वयान की सूचना मध्यप्रदेश सरकार और भोपाल- भाजपा कार्यालय -'समिधा' तक नहीं पहुँची। वरना  व्यापम घोटाले के खुख्यात अपराधी -पूर्व मंत्री  लक्ष्मीकांत शर्मा  कल जब  डेड साल का  कारावास भुगतने के बाद जेल से जमानत  पर छूटे तो  भाजपा के १० हजार लोग [ शायद भृष्ट  व्यापम लाभार्थी]  उनकी अगवानी के लिए जेल के मुख्य द्वार पर मौजूद थे। यदि जावड़ेकर  का वयान सौ-पचास अस्त-पस्त  कांग्रेसियों पर लागू हो सकता है ,तो  डेड घंटे तक  जेल के बाहर जश्न मनाते  हुए १० हजार भाजपाइयों पर  लागू क्यों नहीं  होना  चाहिए ? -:श्रीराम तिवारी:-

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