भारत के चीफ जस्टिस श्रीमान टी इस ठाकुर ने कल 'असहिष्णुता 'के संदर्भ में फ़रमाया -''जब तक देश में न्याय पालिका स्वतंत्र है और विधि का शासन है तब तक किसी को डरने [ असहिष्णुता से ]की जरुरत नहीं " उन्होंने कहा ''मैं ऐंसे संस्थान का नेतत्व कर रहा हूँ जो विधि के शासन को कायम रखता है। देश के हर नागरिक के अधिकारों की रक्षा की जाएगी। हम सभी वर्गों [सभी जाति ,मजहब,पंथ ,धर्म एवं भाषा वाले ]के अधिकारों की रक्षा में सक्षम हैं " ! लोकतंत्र के एक महत्वपूर्ण स्तम्भ -न्यायपालिका के चीफ जस्टिस की ओर से यह बहुत सार्थक और राष्ट्र हितेषी वयान है। श्रीमान चीफ जस्टिस साहब को बहुत बहुत धन्यवाद ! खेद है कि देश की कार्यपालिका और विधायिका की ओर से केवल द्विअर्थी व भ्रमित करने वाले वयान ही दिए जाते रहे !यदि देश की न्याय पालिका की ओर से ऐंसा ही वयान तब आ जाता जब डॉ नरेंद्र दाभोलकर की हत्या की गयी , जब कामरेड गोविन्द पानसरे की हत्या की गयी ,जब पूर्व वाइस चांसलर डॉ प्रोफेशर कलिबुर्गी की हत्या की गयी। काश यह वयान तब आया होता ,जब देश के विचारक,लेखक और बुद्धिजीवी अपने-अपने सम्मान पदक लौटा रहे थे। यदि सुप्रीम कोर्ट के ततकालीन चीफ जस्टिस एच एल दत्तू साहब का भी ऐंसा ही बयांन तब आ जाता जब 'बीफ ' की अफवाह के बरक्स दादरी के अख्लाख़ की निर्मम हत्या की गयी ! श्रीराम तिवारी
रविवार, 6 दिसंबर 2015
भारत के चीफ जस्टिस श्रीमान टी इस ठाकुर ने कल 'असहिष्णुता 'के संदर्भ में फ़रमाया -''जब तक देश में न्याय पालिका स्वतंत्र है और विधि का शासन है तब तक किसी को डरने [ असहिष्णुता से ]की जरुरत नहीं " उन्होंने कहा ''मैं ऐंसे संस्थान का नेतत्व कर रहा हूँ जो विधि के शासन को कायम रखता है। देश के हर नागरिक के अधिकारों की रक्षा की जाएगी। हम सभी वर्गों [सभी जाति ,मजहब,पंथ ,धर्म एवं भाषा वाले ]के अधिकारों की रक्षा में सक्षम हैं " ! लोकतंत्र के एक महत्वपूर्ण स्तम्भ -न्यायपालिका के चीफ जस्टिस की ओर से यह बहुत सार्थक और राष्ट्र हितेषी वयान है। श्रीमान चीफ जस्टिस साहब को बहुत बहुत धन्यवाद ! खेद है कि देश की कार्यपालिका और विधायिका की ओर से केवल द्विअर्थी व भ्रमित करने वाले वयान ही दिए जाते रहे !यदि देश की न्याय पालिका की ओर से ऐंसा ही वयान तब आ जाता जब डॉ नरेंद्र दाभोलकर की हत्या की गयी , जब कामरेड गोविन्द पानसरे की हत्या की गयी ,जब पूर्व वाइस चांसलर डॉ प्रोफेशर कलिबुर्गी की हत्या की गयी। काश यह वयान तब आया होता ,जब देश के विचारक,लेखक और बुद्धिजीवी अपने-अपने सम्मान पदक लौटा रहे थे। यदि सुप्रीम कोर्ट के ततकालीन चीफ जस्टिस एच एल दत्तू साहब का भी ऐंसा ही बयांन तब आ जाता जब 'बीफ ' की अफवाह के बरक्स दादरी के अख्लाख़ की निर्मम हत्या की गयी ! श्रीराम तिवारी
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