सोमवार, 10 अक्तूबर 2022

हिंदुओं की फिक्र

 एक प्रश्न यह उठता है कि जब इतने संप्रदाय थे। शिव, शक्ति, विष्णु, सूर्य सब की उपासना अलग-अलग होती थी, तो फिर आज सभी देवी देवता एक ही मंदिर में विराजमान क्यों दिखते हैं? इसका श्रेय जाता है, आदि शंकराचार्य को और उनके अद्वैतवाद को। इसीलिए आज का हिंदुत्व उन्हीं को समर्पित है। इसमें किसी भी संप्रदाय के लिए पराये पन का कोई भाव नहीं है। सभी एक हैं। संप्रदायों की कहानी में आज जानिए अद्वैत संप्रदाय की कहानी जो कि एक पूर्ण संप्रदाय

है और आज का सनातन धर्म इसी पर आधारित है।भारत की युवा पीढ़ी बहुत एडवांस और स्मार्ट है, उसे मेंहगाई, बेरोजगारी और रुपये के अवमूल्यन की कोई फिक्र ही नहीं है! इस पीढ़ी में जो योग्य हैं, वे पद प्रतिष्ठा, धन मान अर्जित कर लेते हैं! अमेरिका, इंग्लैंड एडवांस मुल्कों और मल्टीनेशनल कंपनियों में छा रहे हैं?!

जो बेरोजगार हैं, मक्कार हैं, अयोग्य हैं वे अपराध जगत ज्वाइन कर लेते हैं! इस मोदी युग के भारत देश में भूखा कोई नही रहता !जगह जगह लंगर भंडारे चल रहे हैं और 80 करोड़ तो मुफ्त का माल जीम रहे हैं! यह सर्वहारा के शोषण और शोषित समाज वाला नरेटिव भारत में विगत 100 साल तक छाया रहा! अब उदारीकरण और अंध श्रद्धा का दौर है, चारों तरफ बाजारबाद फैल हो गया है!
भारत की आधी आबादी आरक्षण के मजे ले रही है! आधी आबादी जो भाजपा के साथ है, उसके लिये रोटी कपड़ा मकान महत्वपूर्ण नही, बल्कि उसे देश की सुरक्षा संप्रभुता अखंडता की चिंता है ! आधुनिक बुद्धिजीवियों को अहिंसा धर्मनिरपेक्षता सदाचार पर अवलंबित हिंदुओं की फिक्र होने लगी है!
अपनी मौत से कुछ दिन पहले सुप्रसिद्घ लेखक और वामपंथी विचारक डॉ नामवरसिंह ने प्रधानमंत्री मोदी जी और गृहमंत्री श्री राजनाथसिंह से अपनी इस आत्म वेदना का इजहार किया था! कश्मीरी हिंदुओं और बांग्लादेश या पाकिस्तान में हिंदुओं के खात्मे से न केवल दक्षिणपंथी हिंदू बल्कि धर्मनिरपेक्ष वामपंथी भी बिचलित हैं!

Er R. D. Badole, Uma Kant Pandey and 5 others

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