रविवार, 23 अक्तूबर 2022

बच्चों को किताबी कीडा न बनाईये.

*एक बहुत ब्रिलियंट लड़का था। सारी जिंदगी फर्स्ट आया। साइंस में हमेशा 100% स्कोर किया। अब ऐसे लड़के आम तौर पर इंजिनियर बनने चले जाते हैं, सो उसका भी सिलेक्शन IIT चेन्नई में हो गया।* *वहां से B Tech किया और वहां से आगे पढने अमेरिका चला गया और यूनिवर्सिटी ऑफ़ केलिफ़ोर्निया से MBA किया।*
*अब इतना पढने के बाद तो वहां अच्छी नौकरी मिल ही जाती है। उसने वहां भी हमेशा टॉप ही किया। वहीं नौकरी करने लगा। 5 बेडरूम का घर रउसके पास। शादी यहाँ चेन्नई की ही एक बेहद* *खूबसूरत लड़की से हुई।*
*एक आदमी और क्या मांग सकता है अपने जीवन में ? पढ़ लिख के इंजिनियर बन गए,* *अमेरिका में सेटल हो गए, मोटी तनख्वाह की नौकरी, बीवी बच्चे, सुख ही सुख।*
*लेकिन दुर्भाग्यवश 7 साल पहले उसने वहीं अमेरिका में, सपरिवार आत्महत्या कर ली!अपनी पत्नी और बच्चों को गोली मार कर खुद को भी गोली मार ली। What went wrong? आखिर ऐसा क्या हुआ, गड़बड़ कहाँ हुई।*
*ये कदम उठाने से पहले उसने बाकायदा अपनी wife से discuss किया,फिर एक लम्बा suicide नोट लिखा और उसमें बाकायदा अपने इस कदम को* *justify किया और यहाँ तक लिखा कि यही सबसे श्रेष्ठ रास्ता था इन* *परिस्थितयों में।उनके इस केस को और उस suicide नोट को California Institute of Clinical* *Psychology ने ‘What went wrong'?
जानने के लिए study किया।*
*पहले कारण क्या था, suicide नोट से और मित्रों से पता किया। अमेरिका की आर्थिक मंदी में उसकी नौकरी चली गयी। बहुत दिन खाली बैठे रहे। नौकरियां ढूंढते रहे। फिर अपनी तनख्वाह कम करते गए और फिर भी जब नौकरी न मिली, मकान की किश्त जब टूट गयी, तो सड़क पर आने की नौबत आ गयी। कुछ दिन किसी पेट्रोल पम्प पर तेल भरा बताते हैं। साल भर ये सब बर्दाश्त किया और फिर पति पत्नी ने अंत में ख़ुदकुशी कर ली...*
*इस case study को ऐसे conclude किया है experts ने :This man was* *programmed for success but he was not trained, how to handle* *failure.यह व्यक्ति* *सफलता के लिए तो तैयार था,पर इसे जीवन में ये नहीं सिखाया गया कि असफलता का* *सामना कैसे किया जाए।*
*अब उसके जीवन पर शुरू से नज़र डालते हैं। पढने में बहुत तेज़ था, हमेशा फर्स्ट ही आया। ऐसे बहुत से Parents को मैं जानता हूँ जो यही चाहते हैं कि बस उनका बच्चा हमेशा फर्स्ट ही आये, कोई गलती न हो उस से। गलती करना तो यूँ मानो कोई बहुत बड़ा पाप कर दिया और इसके लिए वो सब कुछ करते हैं, हमेशा फर्स्ट आने के लिए। फिर ऐसे बच्चे चूंकि पढ़ाकू कुछ ज्यादा होते हैं सो खेल कूद, घूमना फिरना, लड़ाई झगडा, मार पीट, ऐसे पंगों का मौका कम मिलता है बेचारों को, 12th कर के निकले तो इंजीनियरिंग कॉलेज का बोझ लद गया बेचारे पर, वहां से निकले तो MBA और अभी पढ़ ही रहे थे की मोटी तनख्वाह की नौकरी। .
अब मोटी तनख्वाह तो बड़ी जिम्मेवारी, यानी बड़े बड़े targets*
*कमबख्त ये दुनिया, बड़ी कठोर है और ये ज़िदगी,अलग से इम्तहान लेती है।* *आपकी कॉलेज की डिग्री और मार्कशीट से कोई मतलब नहीं उसे।* *वहां कितने नंबर लिए कोई फर्क नहीं पड़ता। ये ज़िदगी अपना अलग question paper सेट करती है। और सवाल, सब out ऑफ़ syllabus होते हैं, टेढ़े मेढ़े, ऊट पटाँग और रोज़ इम्तहान लेती है। कोई डेट sheet नहीं।*
*एक अंग्रेजी उपन्यास में एक किस्सा पढ़ा था। एक मेमना अपनी माँ से दूर निकल गया। आगे जा कर पहले तो भैंसों के झुण्ड से घिर गया। उनके पैरों तले कुचले जाने से बचा किसी तरह। अभी थोडा ही आगे बढ़ा था कि एक सियार उसकी तरफ झपटा। किसी तरह झाड़ियों में घुस के जान बचाई तो सामने से भेड़िये आते दिखे। बहुत देर वहीं झाड़ियों में दुबका रहा, किसी तरह माँ के पास वापस पहुंचा तो बोला, माँ, वहां तो बहुत खतरनाक जंगल है*
*इस खतरनाक जंगल में जिंदा बचे रहने की ट्रेनिंग बच्चों को अवश्य दीजिये।*
**विशेष -*बच्चों को बस किताबी कीडा मत बनाईये, बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ धार्मिक, समाजिक व संस्कार भी देना जरूरी है, हर परिस्थिति को ख़ुशी ख़ुशी धैर्य के साथ झेलने की क्षमता और उससे उबरने का ज्ञान और विवेक बच्चों में होना ज़रूरी है।*
*Don't make them machine with brain rather humans with emotions and feelings*
किसी पाश्चात्य दार्शनिक ने फरमाया है कि *बच्चे हमारे है, जान से प्यारे है।*
अर्थात बच्चों को सिर्फ पढ़ाना लिखाना ही पैरेंट्स का कर्तव्य नही है बल्कि उन्हें मॉरल वैुल्यूज और संवेदनाओं के स्तर पर भी बेहतर ढंग से विकसित किया जाना चाहिए! 20 -25 साल की उम्र तक यदि शारीरिक विकास > मानसिक विकास>आर्थिक विकास और आध्यात्मिक विकास में से कोई एक भी अधूरा रह गया,तो वह आजीवन अधूरा ही रहेगा, भले ही वह प्रधानमंत्री बन जाये या बिल गैट्स,अंबानी अडानी की तरह टॉप पूंजीपति !
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