हर क्षेत्र में चालाक और काइयाँ किस्म के लोग लाइन तोड़कर जबरन घुस जाते हैं। यही 'दवंग'लोग विद्या विनय सम्पन्न बेहतरीन युवा शक्ति को कुंद कर देते हैं। कुछ तो उन्हें धकियाकर किनारे लगा देते हैं, खुद ही व्यवस्था के 'महावत' बन जाते हैं। बड़े खेद की बात है कि समाज के कुछ उत्साही लोग इन बदमाशों को ही हीरो मान लेते हैं। कुछ तो कालांतर में अवतार भी मान लिए जाते हैं। इन नकली 'हीरोज' के कारण ,नकली अवतारों के कारण ही अतीत के झगडे पीछा नहीं छोड़ते। जिन अवतारों ,पीर पैगम्बरों के कारण तमाम आधुनिक पीढ़ियाँ आपस में लड़ती -झगड़ती हें उन पर सवाल उठाना भी गुनाह माना जाता है
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