जिनको लगता है कि शिवराज पाटिल गलत बोले हैं, वे एक बार गीता अवश्य पढ़ें, क्योंकि पाटिल के बयान से वही असहमत होगा, जिसने गीता पढ़ी ही नहीं! दरसल भारत की प्राचीन आवाम ने भगवान श्रीकृष्ण के बजाय अहिंसावादियों का और पंचशील सिद्धांतों का अनुसरण ज्यादा किया! हमारे पूर्वज सभ्य और विनम्र होते चले गए! उन्हें नही मालूम था कि धरती के दूसरे हिस्सों में जाहिल कौमे उत्पन्न होंगी और ताकतवर होकर भारत पर बर्बर हमला करेंगी!
वैसे भी ज़ेहाद से आशय
"धर्म की रक्षा हेतु युद्ध से है,यहाँ धर्म से आशय केवल धर्म,मज़हब नहीं है,अपितु इसकी व्याख्या विशद है,अपनी संस्कृति की रक्षा,अपनी सन्तति की रक्षा, अपनी सम्पति की रक्षा, अपनी धरोहर की रक्षा भी धर्म ही होता है,उसके लिए अगर युद्ध किया जाये तो वह ज़ेहाद या धर्मयुद्ध कहलाता है।"शिवराज पाटिल
अब इसमें गलत क्या बोला गया है?
ये यक्ष प्रश्न है!
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