सोमवार, 10 अक्टूबर 2022

"अल्लाह के नाम पर “

  अल्लाह के नाम पर “

ट्रेन से यात्रा करते समय एक भिखारी मेरे पास आया और बोला.... "अल्लाह के नाम पर कुछ दे दो बाबा"
मैंने नजर उठा कर निर्विकार भाव से उसे देखा और बोला .... "मैं अल्लाह को नहीं मानता" तो क्यों दे दूँ ?
उसने घुरकर मुझे देखा.. तो....उसके बाद मैंने उसे प्रस्ताव दिया कि....
तुम "भगवान राम" के नाम पर मांगो तो मैं तुम्हें 10 रुपया दूँगा!
इस पर वो मेरा मुँह ताकने लगा और ट्रेन के आसपास के लोग भी कौतूहल से हमें देखने लगे.
फिर, मैंने अपने प्रस्ताव को और अधिक आकर्षक बनाते हुए कहा कि.... अगर वो भगवान राम के नाम पर मांगेगा तो मैं उसे "50 रुपया" दूँगा.
लेकिन, वो भिखारी इसके लिए तैयार नहीं हुआ और भुनभुनाते हुए चला गया
और, मैं भी मन ही मन "उसकी कट्टरता को भांपकर, पेपर पढ़ने लगा.
लेकिन, इस घटना से मुझे ये सीख मिल गई कि....
एक भिखारी जिसके पास खाने को कुछ नहीं है और भीख मांगकर अपना जीवन-यापन करता है, वो भी "धन के कारण, अपने धर्म से समझौता" नहीं करता है !
तो क्या हम हिन्दू एक भिखारी से भी ज्यादा गए-बीते हैं ?
.... जो अपने निजी स्वार्थ (धन अथवा पद) की लालच में अपने धर्म से गद्दारी करने व सेक्यूलर बनने को हमेशा एक पैर पर खड़े रहते हैं !

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