खुशी'
उन्हें मंदिर में मिलती है,
इन्हें मस्जिद में मिलती है!
मैं जब चाहूं खुशी मुझको,
उसे दौलत में मिलती है,
इसे शौहरत में मिलती है!
मैं किसी के काम आ जाऊं,
खुशी सौ बार मिलती है!!
खुशी खुशबू है बागों की,
खुशी मृग नाभि कस्तूरी!
ह्रदय को सरलतम कर देखो,
खुशी खुद नाद सुनती है!!
हैं किसीकी वृत्तियां परजीवी,
तो खुशी दल दल में मिलती है!
चमन को सींचता हो बागवां,
तोखुशी गुलशन में मिलती है!!
श्रीराम तिवारी
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