इस दौर की असल सूरत बेहद डरावनी है।
वर्चुअल इमेज आकर्षक और लुभावनी है।।
पूंजीवादी लुटेरों की लूट यथावत कायम हैं ,
सरकारी क्षेत्र का निजीकरण तस्वीर डरावनी है!
सूचना संचार क्रांति की असीम अनुकम्पा से,
सोशल मीडिया का दुरुपयोग भयदायनी है।
जो साम्प्रदायिकता ओढ़े और जातियता बिछाये,
लोकतांत्रिक में सत्ता उसकी अंकशायनी है!!
इस दौर की असली सूरत बेहद डरावनी है !
वर्चुअल इमेज आकर्षक और लुभावनी है!!
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