विपक्ष के पास मोदी जी की आलोचना के अलावा अन्य कोई आकर्षक ऐजेंडा/साझा प्रोग्राम /वैकल्पिक नीतियां नहीं हैं! विपक्षी एकजुटता की बची खुची संभावना राहुल गांधी की अगंभीर वाणी ने,ममता बैनर्जी के दोगले रवैये ने और लंगड़ी लूली विभाजित शिवसेना ने खत्म कर दी है! सब कुछ मोदीजी और संघ के मन माफिक हो रहा है,अब तो भाजपा के लिये कहावत है कि :-
होहहिं सो जो मोदी रचि राखा!
और विपक्ष के लिये
"कर्महीन खेती करे!बैल मरें,सूखा पर
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