सोमवार, 22 अगस्त 2022

मेहनतकश सर्वहारा किसान मजदूर हूँ मैं,

 मेहनतकश सर्वहारा किसान मजदूर हूँ मैं,

हर खासोआम से कुछ कहना चाहता हूँ !
सदियों से सबकी सुन रहा हूँ खामोश मैं ,
आपसे शिद्द्त के साथ कुछ कहना चाहता हूँ!!
वेद पुराण बाइबिल कुरआन जेंदावेस्ता गीता,
के बरक्स मैं कुछ खास कहना चाहता हूँ!
इतिहास भूगोल राजनीती साइंस तकनीक ,
कमप्यूटर,मोबाइल से जुदा कहना चाहता हुँ !!
ईश्वर अवतारों पीरों पैगंबरों संतों महात्माओं,
के इतर कुछ अधुनातन कहना चाहता हूँ!!
समाज सुधारक नहीं हुँ क्रांतिवीर भी नहीं,
केवल मनुष्य हूँ मैं !पूँछो कि क्या चाहता हूँ!
न तख्तो ताज चाहिए ,न जन्नत-स्वर्ग के हसीं ,
सब्ज बाग ,फ़कत सम्मान से जीना चाहता हूँ।
युगो-ं युगों से जो बात सभी बिसारते आये हैं,
वो बात मैं अब सर्मायेदारों से कहना चाहता हूँ।।
मैं धरती,हवा,पानी,आसमान,सूरज चाँद,तारोंमें
सबका बराबर बाजिब हक देखना चाहता हूँ।
जो सम्पदा समष्टी चैतन्य ने रची है सबके लिए,
उसे मैं प्राणीमात्र में बराबर देखना चाहता हूँ।।

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