बुधवार, 17 अगस्त 2022

*वो सुबह कभी तो आएगी*

 प्रधानमंत्री मोदीजी ने लाल किले से सही फरमाया है कि इस देश को परिवारवाद और भ्रष्टाचार ने खोखला कर दिया है! हमें इनसे लड़ना है ! परंतु मोदीजी ने यह नही बताया कि जो भ्रस्ट कांग्रेसी,वसपाई,सपाई,शिवसैनिक भाजपा का दामन थाम लेते हैं, उनसे कौन लड़ेगा? म. प्र. में निर्माणाधीन *कारम डैम* के भरभरा जाने पर, उसकी जांच के लिये ED, CBI और IT वाले कब किस मंत्री,इंजीनियर,बाबू,ठेकेदार पर धावा बोलने वाले हैं? जब तक भ्रष्टाचारियों को भाजपा की शह मिलती रहेगी, तब तक किसकी मजाल है कि इस देश को भ्रष्टाचार मुक्त कर सके ? फिर भी मुझे उम्मीद है कि"मोदी है तो सब कुछ संभव है!" *वो सुबह कभी तो आएगी*जब हम वास्तव में विश्व गुरु बनेंगे! बहरहाल तो हम बेईमानी की हांडी ,सत्ता के चूल्हे पर बार बार चढ़ा रहे हैं!


फेसबुक जैसे सोशल मीडिया पर मेरी 99% पोस्ट पूँजीवाद और साम्प्रदायिकता के खिलाफ ही मिलेगी!किंतु जब कभी देश की अखंडता और मूल्यों पर हमला होता है तो कभी कभार ऐंसी पोस्ट लिखना भी जरूरी हो जाता है,जो यथार्थ के धरातल पर प्रगतिशील एवं देशभक्तिपूर्ण हो !

दरसल आजादी की लड़ाई के दौर में सिर्फ यही राष्ट्रवाद की भाषा चलन में रही थी!तब वामपंथी,प्रगतिशील,छायावादी सभी लेखक,कवि और साहित्यकार राष्ट्रवाद के तराने रचा करते थे! किंतु आजादी के बाद मुख्यधारा और बाँयें बाजू के लोगों ने राष्ट्रीय अखंडता की फिक्र करना छोड़ दिया,तो संघियों ने उस पर कब्जा कर लिया! विगत 72 सालों में अधिकांस सुधी जन इससे दूर होते चले गये!जबकि चीनियों की भांति हमें आजादी की जंग के दौरानकी चलन वाली वही असल भाषा बोलनी चाहिए थी ! "यथाचित्तं तथा बाचो यथा बाचस्तथा क्रिया"

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