आजादी के शरूआती सालों में कांग्रेस सत्ताधारी दल और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी प्रमुख विपक्षी दल थी! जब जनता पार्टी बनी तो वामपंथ तीसरे नंबर पर पहुंच गया!जब सपा वसपा,तेलगू देशम,जदयू जैसे क्षेत्रिय दलों की गाजरघांस उगी तो वामपंथ चौथे नंबर पर धकेल दिया गया!जब साम्प्रदायिक ताकतों और बंगलादेशी घुसपैठियों ने ममता बैनर्जीको बंगालकी सत्ता सौंपी तो वामपंथ को हासिये पर धकेल दिया गया!इसलिये मेरी नजर में तमाम क्षेत्रिय दल और ममता बैनर्जी की त्रणमूल ज्यादा खतरनाक है! वामपंथ को पूंजीवाद या सामंतवाद ने आगे बढ़ने से उतना नही रोका,जितना इन क्षेत्रिय दलों और जातिवादी राजनेताओं ने सर्वहारा की लड़ाई को हासिये पर धकेला है.
ई डी को बंगाल में एक मंत्री की दोस्त के पास पांच बंगले एवम् चार फ्लैट मिले ! उन बंगलों में ई डी को लगभग 1000 करोड़ रुपये मिले ! इतना तो सिर्फ एक मंत्री की एक दोस्त के पास मिला है!अब सोचो कि बंगाल के पूरे मंत्री मंडल में कितने मंत्री हैं और उनकी कितनी दोस्त होंगी? इन सबके पास कितना रुपया होगा? जो लोग ममता बैनर्जी और उसकी तृणमूल कांग्रेस को ईमानदार मानते हैं उन्हें चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिये ! छि:
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें