कुछ तो लोग कहेंगे ,लोगों का काम है कहना '' दुनिया का चलन है ,दस्तूर है कि जब कोई बड़ा नेता या पीएम 'मौन धारण' करता है तो उसका मजाक उड़ाया जाता है ,उसे 'मौनी बाबा' कहा जाने लगता है। जब कोई नेता या पीएम मन की बात बोलता है तो लोग उसपर भी व्यंगबाण मारने लगते हैं, कि ये तो बड़ा 'बोलू' है,कोरी बातों का ही बयानवीर है।वास्तव में राजनीति को काजल की कोठरी सिर्फ भृष्टाचारके संदर्भमें ही नहीं कहा गया, बल्कि अच्छे-बुरे बोल-बचन के कारण भी नेताओं को जिस दुधारी तलवार पर चलना पड़ता है ,वह किसी नेता या आम व्यक्ति को साबुत बचने ही नहीं देता। खास तौर से मौजूदा नव्य उदारवादी पूँजीवादी राजनीतिक व्यवस्था का खंडित जन मानस और दिग्भ्रमित मीडिया का दौर तो किसी दोजख के दरिया से कमतर नहीं है।
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