जनता के पैसे पर सैफई में हर साल उत्सव कराने वाले,बार बालाओं का डांस कराने वाले,अपने परिवार का उद्धार करने वाले और दलितों पर अत्याचार करने वाले दबंगों के खिलाफ ब्राह्मण चुप रहे! जब यूपी के हर गली चौराहे पर हाथी बन रहे थे और बहिन जी के बुत बन रहे थे,तब ब्राह्मण चुप रहे!
म. प्र जबलपुर के ARTO में Mr &Mrs के यहां ED को छापे में करोड़ों रुपये का मिले! यूपी के एक बड़े नेता पुत्र की दादागिरी के खिलाफ किसान संगठन पुन: संघर्ष पर आमादा हैं!राजस्थान गुजरात और अन्य प्रांतों से ब्राह्मणों के खिलाफ मामले दर्ज हो रहे हैं! चंबल क्षेत्र और रीवा जिले में जितने अपराध उजागर हो रहे हैं, उनमें 30% मामले ब्राह्मणों के खिलाफ दर्ज हो रहे हैं! जिस दौर में ओबीसी /एसटी /एससी /दलित / महादलित बंधु अपने अपने समाज का विकास कर रहे हैं, समाज का नाम रोशन कर रहे हैं,उस दौर में ब्राह्मणों का प्रमाद नाकाबिले बर्दाश्त है!
भारत के ओबीसी समाज ने देश को एक मजबूत विश्वसनीय प्रधानमंत्री दिया है ! इतना ही नही एम पी, महाराष्ट्र,कर्नाटक, आंध्र, तैलांगना,तमिलनाडु, केरल,पंजाब राजस्थान और बिहार इत्यादि राज्यों में पिछड़ा वर्ग का मुख्यमंत्री काबिज है! इसी तरह देश के ठाकुरों ने भी देश को मजबूत और यशस्वी रक्षा मंत्री दिया है! यूपी, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री ठाकुर हैं! आदिवासी समाज की महिला द्रौपदी मुर्मू भारत की राष्ट्रपति है! झारखंड का सीएम आदिवासी है! देश में हिंदू विरोधी तीन तीन मुख्यमंत्री हैं, लेकिन हिंदू समाज का सिरमौर ब्राह्मण वर्ग भारत के राजनैतिक मानचित्र से नदारद है!
ब्राह्मण केवल अपनी आध्यात्मिक धरोहर पर आत्ममुग्ध है! देश का ग्रहमंत्री जैन है, सारे पूंजीपति जैन हैं,देश के सारे बैंकर्स,जैन,अग्रवाल,माहेश्वरी और पंजाबी हैं! देश की 80/% खेतिहर जमीन जाटों, गुर्जरों, यादवों,लोधियों,धाकड़ों,दांगियों चौधरियों, पटैलों और खातियों के पास है! ब्राह्मणों में बेशक एक परसेंट मलाईदार ब्राह्मण भी हैं और 20% नवधनाढ्य भी हैं, बाकी मध्यमवर्गीय ब्राह्मणों की औलादें पढ़ने लिखने के बजाय अयोध्या में जन्मभूमि आजाद कराने या गोधरा में जिंदा जलने के काम आये! कुछ तो गुजरात दंगों में मारे गये, कुछ बिलकिस बानों प्रकरण जैसे अनैतिक क्रत्य में धराये गये!
भारत का बेरोजगार ब्राह्मण वर्ग तरक्की की बात करने के बजाय कुंभ का इंतजाम करने, सावन में कांवड़िये बनकर हर हर महादेव से ही संतुष्ट है! भारत का ब्राहमण विरोधी आरक्षित एलीट क्लास और नव धनाड़य भ्रष्ट ब्राह्मण विरोधी समाज आत्ममुग्ध हैं कि उन्होंने मनुवाद का बेड़ा गर्क कर दिया है !
ब्राह्मण समाज के घोर प्रमाद का फल है कि अचानक ब्राह्मण समाज में ही दुराचार बढ़ गया है? यदि यह कथन सही नही है तो ब्राह्मण समाज को इस का जबाब देना चाहिए कि वे सिर्फ राष्ट्रवाद में ही मग्न क्यों हैं? ब्राह्मण मंदिरों के इर्द गिर्द ही क्यों मंडराते रहते हैं ? इसकी गहराई से जाँच होनी चाहिए कि कुछ ब्राहमण ही पीढ़ी दर पीढ़ी बड़े मंदिरों और मठों पर काबिज क्यों हैं? मंदिरों तीरथों से ही व्यभिचार अनाचार की खबरें क्यों आती हैं?..९ भारतीय संविधान हिंदू समाज की हर जाति और संप्रदाय तथा अल्पसंख्यकों को बराबर का हिस्सा और अवसर प्रदान करता है! किंतु जिस दौर में आरक्षण का बोलवाला है? उस दौर में ब्राह्मण जाति के विरुद्ध सामाजिक आर्थिक और अनैतिकता के आरोप लगना. ऩितांत सोचनीय है! विद्वान ब्राह्मणोंं को ब्राह्मणोचित कदम उठाना चाहिये!
ब्राह्मणों का वैश्विक दायित्व होना चाहिए कि भारत की एकता अक्षुण्ण रहे और दुनिया में भारत का नाम सम्मान से लिया जाए! शहीद हेमचंद्र विक्रमादित्य का शहीद मंगल पांडे,तात्या टोपे, रानी झांसी, पेशवा बाजीराव, तिलक, सुब्रमन्यम् भारती, रवींद्रनाथ टैगोर, ई एम एस नम्बूदिरीपाद जैसे विद्वान लेखकों और कवियों का इनके अलावा अन्य अनेक ब्राह्मण शहीदों का सुब्रमन्यम् चंद्रशेखर जैसे वैज्ञानिकों का और प्रो रामतीर्थ जैसे गणतज्ञयों का दुनिया ने लोहा माना, किंतु मौजूदा लोकतंत्र में भारत का ब्राह्मण हासिये पर आ चुके हैं!
कविवर रहीम खान ए खाना कह गये हैं कि
"केला तबहूं न चेतिया,जब ढिग जामी बेर!
अब चेतें का होत है,कांटन्ह लीनी घेर!! "
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