मंगलवार, 18 फ़रवरी 2020

शादीमें 105 तरह की डिशेज देखकर वह डिप्रेशन में चला गया .

🤔🤔 *भारतीय शादी में डिशेज और उन्हें खाने वालों को देखकर बेहोश हुआ विदेशी नागरिक*

इदौर । मंगलवार की रात को एक पारंपरिक भारतीय शादी में भोजन और उन्हें खाने वालों को देखकर एक विदेशी नागरिक बेहोश हो गया। इस जर्मन नागरिक ने बाद में पुलिस को दिए बयान में कहा कि शादीमें 105 तरह की डिशेज देखकर वह डिप्रेशन में चला गया और सुध-बुध खो बैठा।
मैक्सिम पोर्की नामक यह विदेशी अपने एक आईएएस अधिकारी मित्र के बेटे के मैरिज रिसेप्शन में भाग लेने खास तौर पर जर्मनी से भारत आया था। एक निजी अस्पताल में डिप्रेशन का इलाज करवा रहे मैक्सिम ने बताया, “रिसेप्शन में हर जगह बस एक ही चीज नजर आ रही थी- खाने के स्टॉल। मैं एक स्टॉल पर गया तो वहां भारतीय शैली में चाइनीज खाना पराेसा जा रहा था- मंचुरियन, नूडल्स पता नहीं क्या-क्या। मैंने उन्हें खाना शुरू ही किया था कि मेजबान ने टोक दिया। कहा, ‘मैक्सिम थोड़ा ही खाना। ये तो स्टारटर है।’ वहां 20 तरह के स्टारटर थे। मेरा तो वहीं पेट भर गया।”
उसने आगे बताया, “फिर मेरे मेजबान मुझे मेन कोर्स पर ले गए। वहां दस तरह के सलाद, अचार, पापड़। पच्चीस तरह की सब्जियां थीं। मुझे तो उनके नाम भी याद नहीं। फिर मैंने देखा कि एक जगह ढाबा लिखा हुआ था। वहां भी कई तरह की रोटियां और सब्जियां थीं। फिर स्वीट्स के स्टाल, मानो मिठाई की दुकान सजी हो।” मैक्सिम ने बताया, “मुझे यह देखकर ही बेहोशी छाने लगी थी, लेकिन मैं अपने अाप को कंट्रोल किए हुए था। लेकिन फिर मैंने ऐसे कई लोगों को देखा जिन्हाेंने अपनी प्लेटों में कम से कम 25 आइटम रख रखे थे। सब दबा के खाए भी जा रहे थे। यहां तक भी मैं कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था। मैंने सोचा पानी पी लूं तो कुछ जी हल्का हो जाएगा। पानी पीने गया तो वहां लोगों के बोल सुनकर मेरे तो होश ही उड़ गए। इसके बाद मैंने खुद को इसी अस्पताल में पाया।”
तो आपने क्या सुना था?
इसके जवाब में मैक्सिम ने बताया,
*“25-30 आइटम खाने के बाद जब लोग पानी पीने आए तो आपस में बात कर रहे थे- अरे यार, खाने में मजा ही नहीं आया। इससे अच्छा खाना तो गोयलजी के यहां खाया था।*
बस मैंने यही आखिरी शब्द सुने थे। इसके बाद से ही मैं डिप्रेशन में हूं।
😣😂😂.

भारत ki वास्तविक तस्वीर

*भारत की दुर्दशा-एक नजर *
आज जबकि भारत हर तरह से संकट में है किंतु,सत्ता पक्ष और पूँजीवादी राजनैतिक दल आपस में व्यक्तिगत हमले कर रहे हैं या वे_-भारत-पाकिस्तान,370-कश्मीर,हिंदू-मुस्लिम,मन्दिर -मस्जिद,सीएए,एनआरसी, एनपीआर पर जनता को बुरी तरह धुर्वीक्रत कर रहे हैं!
चलिए ज़रा ध्यान देते हैं कि भारत में दरअसल हो क्या रहा है...
भारत का वास्तविक डेटा और उसकी स्थिति आज की अर्थव्यवस्था के मद्देनजर...
*👉-भारत का बाहरी ऋण... 500 + बिलियन डॉलर।*
*👉-वोडाफोन 50,000 करोड़ के नुकसान में है।*
*👉-एयरटेल को 23,000 करोड़ का नुकसान हुआ है।*
*👉-बीएसएनएल को 14,000 करोड़ का नुकसान हुआ है।*
*👉-MTNL को 755 करोड़ का नुकसान हुआ है।*
*👉-BPCL 750 करोड़ के नुकसान में है।*
*👉-SAILY को 286 करोड़ का नुकसान हुआ है।*
*👉-AIR India 4600 करोड़ के नुकसान में है।*
*👉- स्पाइस जेट 463 करोड़ के नुकसान में है।*
*👉-इंडिगो को 1062 करोड़ का नुकसान हुआ है।*
*👉-BHEL को 219 करोड़ का नुकसान हुआ है।*
*👉-इंडिया पोस्ट 15,000 करोड़ के नुकसान में है।*
*👉-जीएमआर इंफ्रा 561 करोड़ के नुकसान में है।*
*👉-यस बैंक 600 करोड़ के नुकसान में है।*
*👉-यूनियन बैंक 1190 करोड़ के नुकसान में है।*
*👉-पीएनबी बैंक 4750 करोड़ के नुकसान में है।*
*👉-एक्सिस बैंक 112 करोड़ के नुकसान में है।*
_-जे पी समूह समाप्त हो गया।_
_-वीडियोकॉन दिवालिया।_
_-एयरसेल और डोकोमो मर चुके है।_
_-टाटा डोकोमो खराब हो चुका है।_
_-जेट एयरवेज बंद हो चुका है।_
_-हवाई अड्डे बिके: 5 हवाई अड्डे बेचे गए अडानी को।_
_-रेलवे बिक्री पर है (150 ट्रेनों से
_-विरासत किराये पर: लाल किले सहित कई विरासतें किराये पर।_
_-राष्ट्रीयकृत बैंक विलय: कई राष्ट्रीयकृत बैंकों का विलय हो गया है,_ _कई शाखाएं सचमुच बंद हो गई हैं।_
_-एटीएम: एटीएम कमरों की संख्या में अभूतपूर्व कमी की गई है।_
_-सभी बैंक: भारी नुकसान झेल रहे हैं।_
_-36 सबसे बड़े कर्जदार देश से गायब है।_
_-कुछ कॉर्पोरेट्स को 2.4 लाख करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया गया।_
_-बीएसएनएल 54000 से अधिक नौकरियों में कटौती हो सकती है।_
_-ऑटो उद्योग मे 1 मिलियन डालर का नुकसान।_
_-मारुति सबसे बड़ी कार निर्माता ने उत्पादन में कटौती कर दी।_
_-कार इन्वेंटरी: कार फैक्ट्रियों में 55000 करोड़ रुपए की कार का स्टॉक पड़ा है, जिसमें कोई खरीदार नहीं है।_
_-आवास / घर : 30 प्रमुख शहरों में 12.76 लाख घर बिना बिके पड़े हैं।_
_-बिल्डर्स आत्महत्या: सभी परेशान, कुछ आत्महत्या कर रहे हैं, कोई खरीदार नहीं। लागत में वृद्धि (18% से 28% पर जीएसटी) के कारण निर्माण बंद हो गया।_
-सीसीडी के संस्थापक वी जी सिद्धार्थ ने भारी कर्ज के कारण आत्महत्या की।_
_-HAL कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसा नहीं।_
_-ONGC भारत में सबसे अधिक लाभदायक कंपनी अब घाटे में चल रही है।_
_-OFB 1.5 लाख से अधिक कर्मचारियों और परिवारों प्रभावित_
_निगमीकरण के तहत।_
_-बिस्कुट कंपनियां: पारले-जी की तरह कुछ और कंपनी कर्मचारियों का भविष्य समाप्त करने के कगार पर है।_
_-बेरोजगारी: नोट बंदी के कारण लाखों बेरोजगार।_
_-45 वर्षों में सबसे अधिक बेरोजगारी।_
_-घरेलू तनाव उच्चतम दर्जे पर हो गए हैं।_
_-भारत छोड़कर जाने वाले व्यक्तियों का उच्चतम रिकॉर्ड।_
*और भी बहुत कुछ हो सकता है। लेकिन मीडिया में कुछ भी नहीं दिखाया गया है। मीडिया
 भारत बनाम पाकिस्तान और हिंदू बनाम मुसलमानों पर बहस करने में व्यस्त है जो अब तक शांति से रह रहे थे... यह हमारा कर्तव्य है कि हम सभी को वास्तविक तस्वीर के बारे में बताएं और सचेत करें, ताकि ऐसे कुशासन को उखाड़ फेंकने के लिए हम सब बचनबद्ध हो सकें और वो देखें जो हम देखना चाहते हैं ना कि वो देखें जो बिकाऊ मीडिया हमें दिखा रहा है...*
_ये सारी बाते सरकारी आंकड़ों पर है_

सोमवार, 17 फ़रवरी 2020

दिल्ली का एक मुफ्त खोर गद्दार वोटर

साहब ,मैं दिल्ली का एक वोटर हूँ!
आपसे अपने मन की बात करना चाहता हूँ!
जी, मैं उस 15% वोटबैंक को बिलॉन्ग करता हूं जिस ने लोकसभा में भाजपा को वोट दिया था लेकिन अभी विगत विधानसभा में आपको वोट नहीं दिया!
संभवत में ही वह हरामखोर, मुफ्त खोर, गद्दार,जयचंद हिंदू हूं ,जिसकी बात पिछले 2 दिनों से रिजल्ट के बाद फेसबुक व्हाट्सएप पर आपके समर्थक कर रहे हैं।
पर मैं आपको एक बात का यकीन दिलाता हूं कि अगर दिल्ली की विधानसभा के साथ-साथ दिल्ली के लोकसभा के चुनाव हुए होते हैं तो हम 15% वोटर आपके साथ ही होते , किंतु दिल्ली विधानसभा में संभवत हम आपका साथ नही देते!
हम दिल्ली विधानसभा में आपका साथ नहीं देना चाहते ऐसी बात नहीं है किंतु हमें आपका साथ देने के लिए कुछ वजह चाहिए थी ,भले 5 वर्षों में हम केजरीवाल से संतुष्ट ना हो पर परेशान भी नही थे ।
चलिये मान लेते है कि वो नौटंकी करते है, कुछ स्कूलों को ठीक कर पूरी दिल्ली की शिक्षा बदलने का दावा करना हो, मोहल्ला क्लीनिक खोलकर सारी दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने की बात करनी हो या मुफ्त जल, मुफ्त बिजली की बात करनी हो ।
वह हर बात में काफी झूठ बोलते हैं सी टीवी कैमरे जन लोकपाल लाना ऐसे कई अन्य मुद्दे हैं जिस पर हम उसे नकार सकते थे ,साहब हम इंतजार कर रहे थे कि आप इस बार हमें बेहतर विकल्प देंगे और हम आपका साथ देकर केजरीवाल को हरा देंगे। चुनाव की घोषणा के बाद से लेकर
वोटिंग के दिन तक हमने इंतजार किया कि आप दिल्ली का दिल जीतने के लिए दिल्ली के दिल की बात करेंगे
जब caa आया तो हम आपके साथ थे, शाहिनबाग शुरू हुआ तभी हमें यकीन था कि आप सबका साथ सबका विकास के साथ सबका विकास विश्वास की बात करके यहां बैठने वाले डरे हुए, भोले मुस्लिम लोगों को अपने मन की बात कर समझा लेंगे । आप ना आये और आये तो करंट की बात करने वाले , गोपाल और शरजील की बात करने वाले आये ।
इस सबके बाद भी शायद मैं आपके साथ था लेकिन अचानक से कुछ अजीब से माहौल में हम दिल्ली वालों ने अपने आप को पाया।
जहां आपके सारे विधायक, प्रतिनिधि, सारे सांसद, सारे मुख्यमंत्री दिल्ली के मुद्दों को छोड़ चुनाव के दौरान पता नहीं कहां से भारत-पाकिस्तान आतंकवाद, आतंकवादी, अली, बजरंगबली, बिरयानी ,₹500 ,हिलती कार करंट और ऐसे कई अन्य चमत्कार ले लेकर हमारे पास आने लगे । हमारे मुद्दों को छोड़कर उनके पास सबकुछ था ।
अचानक से दिल्ली का एक छोटा सा चुनाव संयोग और प्रयोग की राजधानी बन गया और उस समय तो हद हो गई जब देश के एक प्रदेश के चुने हुए मुख्यमंत्री को आतंकवादी कहा गया ।
ये सब बेहद चौकाने वाला और निराशाजनक था । आपके सारे कार्यकर्ता भी अचानक उग्र मुद्रा में आ गए और 1992 से लेकर आज तक जिस सांप्रदायिक सौहार्द को पाने में हमें लंबा समय लगा उसकी धज्जियां उड़ा दी गई ।
मैं और मेरे जैसे कई वोटर केजरीवाल को पसंद नहीं करते चाहे उनकी और हमारी विचारधारा मिलना खाती हो किंतु लेकिन हम उनसे नफरत भी नहीं करते हैं , और ऐसे में उनका और उनकी पार्टी के लोगो का संयम और शांत शालीन भाषा हमारे लिए निर्णायक साबित हुई ।
हम दिल्ली के वासी कैसा चुनाव चाहते थे जो दिल्ली के मुद्दों पर हो ना कि राष्ट्र और काल्पनिक बनाए मुद्दों पर आधारित हो । यहां आप आप के गृहमंत्री ,आपके कई मुख्यमंत्री, सांसद और विधायक भी चूक गए और विषवमन करने लगे तो आम कार्यकर्ता की तो क्या बात करें ।
और
यही हर गुजरते दिन के साथ आपने दिल्ली को खोना शुरु कर दिया और यकीन मानिए अगर यह चुनाव 8 दिन पहले होते तो आपकी 8 की जगह 16 सीट होती अगर 8 दिन बाद होते हैं तो 8 की जगह आप भी कांग्रेस के साथ शून्य का जश्न मना रहे होते ।
आपका यह दिल्ली मॉडल, शाहीन बाग मॉडल, करंट मॉडल ,आतंकी मॉडल शायद आने वाले कुछ राज्यों के चुनाव में आपकी मदद करें लेकिन इस तरह के मॉडल के साथ चुनाव लड़ने की कोशिश में आप धीरे-धीरे देश का दिल जीतने की लड़ाई में हारते जाएंगे ।
अभी ये देश आपको आपकी पार्टी से ज्यादा प्यार करता है ,
आप मन की बात करते हैं हमारे मन की बात को सुनिए और आने वाले सारे राज्यों के चुनाव को राज्यों के मुद्दों पर लड़ने की तैयारी कीजिए ।
अभी केजरीवाल ने आप से दिल्ली जीती है तो इसका अर्थ यह पक्का है कि वह डराता नही है,
परन्तु यह स्पष्ट है कि दिल्ली चुनाव के दौरान आपकी पार्टी के आक्रमक भाषण ,आक्रमक बॉडी लैंग्वेज , और निम्न स्तरीय भाषा से दिल्ली डर गई थी और नतीजा आपके सामने है ।
आप ईश्वर से दुआ कीजिए कि सारा देश ना डरने लगे । आशा है आप मेरे विचारों से सहमत नही भी होंगे तो उन पर एक बार विचार जरूर करेगे ।
और अगर सहमत हो तो
सबसे पहले शाइन बाग से एक बार फिर विश्वास जीतने की बात शुरू कीजिए ।
देशभर के डरे हुए मुस्लिम लोगों से एक बार फिर आप के विश्वास में लीजिए ।
हम पंथनिरपेक्ष हिंदू हैं, हमें कट्टर हिंदू मत समझिए और हिंदुत्व को इतनी सीमित दायरे में सीमित मत कीजिए , हमें केजरीवाल के हनुमान चालीसा पढ़ने पर अच्छा महसूस होता है लेकिन केजरीवाल हमें हनुमान चालीसा पढ़ने को मजबूर करने की कोशिश नहीं करते हैं वो हमें मजबूर नही करते है कि हमें उनकी विचारधारा के अनुसार चलना होगा । हमारा यकीन कीजिए हम भी उतने ही देशभक्त हैं जितने कि आप अगर हम मुफ्त खोर होते, हरामखोर होते गद्दार होते ,और जयचंद होते तो आम आदमी पार्टी से कहीं ज्यादा लुभावने ऑफर कांग्रेस पार्टी से दिल्ली में मिले थे उसके साथ चले जाते ।
आपसे अनुरोध है कि
अपने कार्यकर्ताओं को समझाइए कि वह इस तरीके की जहरीली पोस्ट अब फेसबुक और व्हाट्सएप पर करने से बाज आ जाएं अन्यथा दिन प्रतिदिन आपकी लोकप्रियता के दम पर राज्यों के चुनाव को जीतने का ख्वाब देखने वाले आपकी पार्टी के कार्यकर्ताओं के सपने टूटते जाएंगे ।
ये भाजपा अटल और आडवाणी जैसे लाखों कार्यकर्ताओं की अथक मेहनत से खड़ी हुई है और संघ के कार्यकर्ताओं के त्याग और समर्पण के बाद खड़ी हुई एक पार्टी है जिसका आधार हिंदुत्व है किंतु इसमें कट्टरता के समावेश की गुंजाइश बिल्कुल नहीं है, आप इस बात को समझिए ,इस देश के डीएनए को समझिए ,अपने कार्यकर्ताओं को भी समझाने की कोशिश कीजिए ।
राज्यों की लीडरशिप को कहिए राज्यों के मुद्दों पर राज्यों के चुनाव को लड़ने की तैयारी करें हर बात में राष्ट्रीय मुद्दों को और राष्ट्रीय चेहरे को भुनाने का प्रयास उन सभी की बरसों की मेहनत पर पानी फेर रहा है जिन्होंने कांग्रेस के विकल्प के तौर पर भाजपा को खड़ा करने में अपना पूरा जीवन दिया है ।
इतना ज्यादा मैं कभी लिखता नहीं पर इससे कम में मेरी बात पूरी हो नहीं रही थी आशा है आप मेरी बात को समझने की कोशिश करेंगे और समझ पाएंगे कि आपने दिल्ली को जीतने की कोशिश में क्या खो दिया है सदैव
आपका शुभचिंतक
- दिल्ली का एक मुफ्त खोर गद्दार वोटर

A free Khor traitor voter from Delh

Sir, I am a Delhi voter!
I want to speak my mind with you!
Yes, I billow the 15% vote bank that voted for the BJP in the Lok Sabha but did not vote for you in the last assembly.
Probably he is haramkhor, free khor, traitor, jaychand hindu, whose supporters have been talking on Facebook whatsapp after the result for the last 2 days.
But let me assure you one thing that if elections were held along with the Delhi Legislative Assembly as well as the Delhi Lok Sabha elections, then 15% of the voters would be with you, but in the Delhi Legislative Assembly we may not support you!
We do not want to support you in the Delhi Legislative Assembly. This is not the case, but we needed some reason to support you, even though in 5 years we are not satisfied with Kejriwal but were not upset.
Let's assume that they are gimmicky, claiming to change the education of entire Delhi by fixing some schools, talking about improving health system of whole Delhi by opening Mohalla clinics or talk of free water, free electricity.
He lies a lot in everything. Bringing TV cameras Jan Lokpal are many other issues on which we could deny him, sir. We were waiting that you will give us a better option this time and we will defeat Kejriwal with you. . Since the announcement of the election,
till the day of voting, we waited that you will talk about the heart of Delhi to win the heart of Delhi.
When we came to caa, we were with you, Shahinbag started, only then we were sure that you will convince the scared, naïve Muslim people who sit here by talking about faith, everyone's development with everyone. If you do not come and come, then those who talk of current, those who talk about Gopal and Sharjeel.
After all this, I was probably with you, but suddenly we found ourselves in some strange atmosphere.
Where all your MLAs, Representatives, all MPs, all Chief Ministers except Delhi do not know during elections where India-Pakistan terrorism, terrorist, Ali, Bajrangbali, Biryani, ₹ 500, moving car current and many other such miracles Started coming to us. They had everything except our issues.
Suddenly, a small election in Delhi became the capital of coincidence and experimentation and there was a time when the elected Chief Minister of one state of the country was called a terrorist.
All this was very shocking and disappointing. All your activists also suddenly got into a fierce posture and the communal harmony that took us a long time to get from 1992 to today was taken away.
Many voters like me and me do not like Kejriwal even if their ideology is mixed with us, but we do not hate them, and in such a way, the restraint and calm language of him and his party's people proved to be decisive for us.
What kind of elections did we residents of Delhi want, which should be based on the issues of Delhi and not on nation and imaginary issues. Here, your Home Minister, many of your Chief Ministers, MPs and MLAs have also missed and started poisoning, so what to talk about the common worker.
And with
this passing day you started losing Delhi and believe it, if this election were 8 days earlier, you would have got 16 seats instead of 8, if 8 days later, then instead of 8 you will also celebrate zero with Congress Would have been celebrating
Your Delhi model, Shaheen Bagh model, current model, terrorist model may help you in the coming state elections but in trying to contest elections with such model, you will gradually lose in the battle to win the heart of the country. .
Right now this country loves you more than your party,
You talk about the mind, listen to our mind and prepare to contest the elections of all the upcoming states on the issues of the states.
Now that Kejriwal has won Delhi from AAP, it means that he is not intimidated,
but it is clear that during the Delhi elections, his party's aggressive speech, aggressive body language, and low level language scared Delhi and the result. In front of you.
Pray to God that the whole country will not be afraid. Hope you don't agree with my views, then you will definitely consider them once.
And if you agree,
first start talking about winning the trust once again from Shine Bagh.
Take fear of Muslim people across the country once again in your faith.
We are secular Hindus, do not think of us as staunch Hindus and do not limit Hindutva in such a limited scope, we feel good about reading Hanuman Chalisa of Kejriwal but Kejriwal does not try to force us to read Hanuman Chalisa. We have to follow their ideology. Believe us, we are also as patriotic as you would have been if we had been free Khor, traitor to harem, and Jaichand had received more attractive offers from the Aam Aadmi Party than the Congress party in Delhi.
You are requested
to explain to your workers that they should abstain from posting such poisonous posts on Facebook and WhatsApp, otherwise your party workers who dream of winning the election of states on the basis of your popularity will break every day. .
This BJP has stood by the tireless hard work of lakhs of activists like Atal and Advani and is a party standing after the sacrifice and dedication of the Sangh workers, the basis of which is Hindutva but there is absolutely no scope for the inclusion of bigotry in it, you understand this. , Understand the DNA of this country, try to convince your workers too.
Tell the leadership of the states to prepare to contest the election of the states on the issues of the state, the effort to capitalize on the national issues and the national face in everything is destroying the years of hard work of all those who have given BJP as an alternative to Congress I have given my whole life to stand up.
I never write so much, but my words were not being fulfilled in less than that. Hope you will try to understand my point and understand what you have lost in trying to win Delhi forever.
Your well-wisher
- A free Khor traitor voter from Delhi

रविवार, 16 फ़रवरी 2020

धर्म एक अफीम है

जब रोम जल रहा था, पीट्सबर्ग से लेकर डायमंड हार्वर तक और हिरोशिमा से लेकर नागासाकी तक परमाणुविक आग की लपटें आसमान छू रहीं थीं ,तब यूरोप -अरब के धर्म-मजहब क्या कर रहे थे ? तब गॉड अल्लाह, ईश्वर और आस्तिकता सो रहे थे ?शायद इन जघन्य घटनाओं से प्रेरित होकरही प्रगतिशील लेखकों ने मार्क्स के 'धर्म एक अफीम है' वाले सिद्धांत में नास्तिकता का बीजारोपण कर डाला। जबकि वास्तव में कार्ल मार्क्स का यह तातपर्य कदापि नहीं था कि,धर्म -मजहब गलत हैं या ईश्वर का अस्तित्व ही नहीं है। दरसल मार्क्स ने धर्म -मजहब के उसी विकृत रूप और विचलन पर कटाक्ष किया था जो आज भी दुनिया को भरमाने में जुटा है।

लड़ाई वामपंथ और कांग्रेस लड़ेंगे!किंतु सत्ता का फल कोई क्षेत्रीय दल खाएगा.

चाहे CAA/NRC /NPR का मसला हो, चाहे JNU/जामिया मिलिया कांड हो या शाहीनबाग का मजहबी धरना हो,हर जगह वामपंथियों और कांग्रेसियों ने खूब शिद्दत से आंदोलन में शिरकत की! किंतु जब दिल्ली का चुनाव हुआ तो जीत का सेहरा आप और ड्रामेबाज केजरीवाल के सिर बंधा किंतु कांग्रेस और वामपंथ तो जीरो बटा सन्नाटा!आइंदा भी हर राज्य विधान सभा चुनाव में यही होने वाला है कि जनता की लड़ाई वामपंथ और कांग्रेस लड़ेंगे!किंतु सत्ता का फल कोई क्षेत्रीय दल खाएगा और BJP सेकिंड नंबर पर आकर जनता पर देशद्रोह का आरोप लगाएगी!

हमारे मुद्दों को छोड़कर उनके पास सब कुछ था.

साहब ,मैं दिल्ली का एक वोटर हूँ!
आपसे अपने मन की बात करना चाहता हूँ!
जी, मैं उस 15% वोटबैंक को बिलॉन्ग करता हूं जिस ने लोकसभा में भाजपा को वोट दिया था लेकिन अभी विगत विधानसभा में आपको वोट नहीं दिया!
संभवत में ही वह हरामखोर, मुफ्त खोर, गद्दार,जयचंद हिंदू हूं ,जिसकी बात पिछले 2 दिनों से रिजल्ट के बाद फेसबुक व्हाट्सएप पर आपके समर्थक कर रहे हैं।
पर मैं आपको एक बात का यकीन दिलाता हूं कि अगर दिल्ली की विधानसभा के साथ-साथ दिल्ली के लोकसभा के चुनाव हुए होते हैं तो हम 15% वोटर आपके साथ ही होते , किंतु दिल्ली विधानसभा में संभवत हम आपका साथ नही देते!
हम दिल्ली विधानसभा में आपका साथ नहीं देना चाहते ऐसी बात नहीं है किंतु हमें आपका साथ देने के लिए कुछ वजह चाहिए थी ,भले 5 वर्षों में हम केजरीवाल से संतुष्ट ना हो पर परेशान भी नही थे ।
चलिये मान लेते है कि वो नौटंकी करते है, कुछ स्कूलों को ठीक कर पूरी दिल्ली की शिक्षा बदलने का दावा करना हो, मोहल्ला क्लीनिक खोलकर सारी दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने की बात करनी हो या मुफ्त जल, मुफ्त बिजली की बात करनी हो ।
वह हर बात में काफी झूठ बोलते हैं सी टीवी कैमरे जन लोकपाल लाना ऐसे कई अन्य मुद्दे हैं जिस पर हम उसे नकार सकते थे ,साहब हम इंतजार कर रहे थे कि आप इस बार हमें बेहतर विकल्प देंगे और हम आपका साथ देकर केजरीवाल को हरा देंगे। चुनाव की घोषणा के बाद से लेकर
वोटिंग के दिन तक हमने इंतजार किया कि आप दिल्ली का दिल जीतने के लिए दिल्ली के दिल की बात करेंगे
जब caa आया तो हम आपके साथ थे, शाहिनबाग शुरू हुआ तभी हमें यकीन था कि आप सबका साथ सबका विकास के साथ सबका विकास विश्वास की बात करके यहां बैठने वाले डरे हुए, भोले मुस्लिम लोगों को अपने मन की बात कर समझा लेंगे । आप ना आये और आये तो करंट की बात करने वाले , गोपाल और शरजील की बात करने वाले आये ।
इस सबके बाद भी शायद मैं आपके साथ था लेकिन अचानक से कुछ अजीब से माहौल में हम दिल्ली वालों ने अपने आप को पाया।
जहां आपके सारे विधायक, प्रतिनिधि, सारे सांसद, सारे मुख्यमंत्री दिल्ली के मुद्दों को छोड़ चुनाव के दौरान पता नहीं कहां से भारत-पाकिस्तान आतंकवाद, आतंकवादी, अली, बजरंगबली, बिरयानी ,₹500 ,हिलती कार करंट और ऐसे कई अन्य चमत्कार ले लेकर हमारे पास आने लगे । हमारे मुद्दों को छोड़कर उनके पास सबकुछ था ।
अचानक से दिल्ली का एक छोटा सा चुनाव संयोग और प्रयोग की राजधानी बन गया और उस समय तो हद हो गई जब देश के एक प्रदेश के चुने हुए मुख्यमंत्री को आतंकवादी कहा गया ।
ये सब बेहद चौकाने वाला और निराशाजनक था । आपके सारे कार्यकर्ता भी अचानक उग्र मुद्रा में आ गए और 1992 से लेकर आज तक जिस सांप्रदायिक सौहार्द को पाने में हमें लंबा समय लगा उसकी धज्जियां उड़ा दी गई ।
मैं और मेरे जैसे कई वोटर केजरीवाल को पसंद नहीं करते चाहे उनकी और हमारी विचारधारा मिलना खाती हो किंतु लेकिन हम उनसे नफरत भी नहीं करते हैं , और ऐसे में उनका और उनकी पार्टी के लोगो का संयम और शांत शालीन भाषा हमारे लिए निर्णायक साबित हुई ।
हम दिल्ली के वासी कैसा चुनाव चाहते थे जो दिल्ली के मुद्दों पर हो ना कि राष्ट्र और काल्पनिक बनाए मुद्दों पर आधारित हो । यहां आप आप के गृहमंत्री ,आपके कई मुख्यमंत्री, सांसद और विधायक भी चूक गए और विषवमन करने लगे तो आम कार्यकर्ता की तो क्या बात करें ।
और
यही हर गुजरते दिन के साथ आपने दिल्ली को खोना शुरु कर दिया और यकीन मानिए अगर यह चुनाव 8 दिन पहले होते तो आपकी 8 की जगह 16 सीट होती अगर 8 दिन बाद होते हैं तो 8 की जगह आप भी कांग्रेस के साथ शून्य का जश्न मना रहे होते ।
आपका यह दिल्ली मॉडल, शाहीन बाग मॉडल, करंट मॉडल ,आतंकी मॉडल शायद आने वाले कुछ राज्यों के चुनाव में आपकी मदद करें लेकिन इस तरह के मॉडल के साथ चुनाव लड़ने की कोशिश में आप धीरे-धीरे देश का दिल जीतने की लड़ाई में हारते जाएंगे ।
अभी ये देश आपको आपकी पार्टी से ज्यादा प्यार करता है ,
आप मन की बात करते हैं हमारे मन की बात को सुनिए और आने वाले सारे राज्यों के चुनाव को राज्यों के मुद्दों पर लड़ने की तैयारी कीजिए ।
अभी केजरीवाल ने आप से दिल्ली जीती है तो इसका अर्थ यह पक्का है कि वह डराता नही है,
परन्तु यह स्पष्ट है कि दिल्ली चुनाव के दौरान आपकी पार्टी के आक्रमक भाषण ,आक्रमक बॉडी लैंग्वेज , और निम्न स्तरीय भाषा से दिल्ली डर गई थी और नतीजा आपके सामने है ।
आप ईश्वर से दुआ कीजिए कि सारा देश ना डरने लगे । आशा है आप मेरे विचारों से सहमत नही भी होंगे तो उन पर एक बार विचार जरूर करेगे ।
और अगर सहमत हो तो
सबसे पहले शाइन बाग से एक बार फिर विश्वास जीतने की बात शुरू कीजिए ।
देशभर के डरे हुए मुस्लिम लोगों से एक बार फिर आप के विश्वास में लीजिए ।
हम पंथनिरपेक्ष हिंदू हैं, हमें कट्टर हिंदू मत समझिए और हिंदुत्व को इतनी सीमित दायरे में सीमित मत कीजिए , हमें केजरीवाल के हनुमान चालीसा पढ़ने पर अच्छा महसूस होता है लेकिन केजरीवाल हमें हनुमान चालीसा पढ़ने को मजबूर करने की कोशिश नहीं करते हैं वो हमें मजबूर नही करते है कि हमें उनकी विचारधारा के अनुसार चलना होगा । हमारा यकीन कीजिए हम भी उतने ही देशभक्त हैं जितने कि आप अगर हम मुफ्त खोर होते, हरामखोर होते गद्दार होते ,और जयचंद होते तो आम आदमी पार्टी से कहीं ज्यादा लुभावने ऑफर कांग्रेस पार्टी से दिल्ली में मिले थे उसके साथ चले जाते ।
आपसे अनुरोध है कि
अपने कार्यकर्ताओं को समझाइए कि वह इस तरीके की जहरीली पोस्ट अब फेसबुक और व्हाट्सएप पर करने से बाज आ जाएं अन्यथा दिन प्रतिदिन आपकी लोकप्रियता के दम पर राज्यों के चुनाव को जीतने का ख्वाब देखने वाले आपकी पार्टी के कार्यकर्ताओं के सपने टूटते जाएंगे ।
ये भाजपा अटल और आडवाणी जैसे लाखों कार्यकर्ताओं की अथक मेहनत से खड़ी हुई है और संघ के कार्यकर्ताओं के त्याग और समर्पण के बाद खड़ी हुई एक पार्टी है जिसका आधार हिंदुत्व है किंतु इसमें कट्टरता के समावेश की गुंजाइश बिल्कुल नहीं है, आप इस बात को समझिए ,इस देश के डीएनए को समझिए ,अपने कार्यकर्ताओं को भी समझाने की कोशिश कीजिए ।
राज्यों की लीडरशिप को कहिए राज्यों के मुद्दों पर राज्यों के चुनाव को लड़ने की तैयारी करें हर बात में राष्ट्रीय मुद्दों को और राष्ट्रीय चेहरे को भुनाने का प्रयास उन सभी की बरसों की मेहनत पर पानी फेर रहा है जिन्होंने कांग्रेस के विकल्प के तौर पर भाजपा को खड़ा करने में अपना पूरा जीवन दिया है ।
इतना ज्यादा मैं कभी लिखता नहीं पर इससे कम में मेरी बात पूरी हो नहीं रही थी आशा है आप मेरी बात को समझने की कोशिश करेंगे और समझ पाएंगे कि आपने दिल्ली को जीतने की कोशिश में क्या खो दिया है सदैव
आपका शुभचिंतक
- दिल्ली का एक मुफ्त खोर गद्दार वोटर

गुरुवार, 13 फ़रवरी 2020

फलें -फूलें दिगंत ,गाता आये वसंत

पुरवा हुम -हुम करे ,पछुवा गुन -गुन करे ,
ढलती जाए शिशिर की जवानी हो।
आया पतझड़ का दौर ,झूमें आमों में बौर ,
कूँकी कुंजन में कोयलिया कारी हो।
उपवन खिलने लगे ,मन मचलने लगे ,
ऋतु फागुन की आई सुहानी हो।
करे धरती श्रृंगार ,दिन वासंती चार,
अली करने लगे मनमानी हो।
फलें -फूलें दिगंत ,गाता आये वसंत ,
हर सवेरा नया और संध्या सुहानी हो।
श्रीराम तिवारी

मंगलवार, 11 फ़रवरी 2020

वामपंथी नेता CAA आंदोलनकारियों पर फिदा हैं

कुछ ट्रेड यूनियनें और वामपंथी नेता दिल्ली के शाहीनबागियों और देशभर में चल रहे CAA आंदोलनकारियों पर फिदा हैं!क्या ट्रेड यूनियनें केवल CAA का विरोध करने के लिये ही बनी हैं?वामपंथियों सहित तमाम विपक्षी दल शाहीनबागियों के साथ हैं,CAA की मुखाल्फत कर रहे हैं,सभी यूनियन नेता भी इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं!किंतु ओवेसी से लेकर शरजील इमाम तक किसी ने भी उन दो लाख BSNL कर्मचारियों का कभी समर्थन नही किया,जिन्हें दो महिने से वेतन नही मिला और 80 हजार कर्मचारियों को जबरन VRS देकर खाली हाथ घर भेज दिया! ट्रेड यूनियन नेता खुद अपनी नौकरी नही बचा पाये,वेतन रिवीजन नही करा पाये और वर्तमान वेतन के ही लाले पड़ रहे हैं! उधर कुछ यूनियन नेता CAA के विरोध में हलकान हो रहे हैं!विनाशकाले विपरीतबुद्धि!

लोकतान्त्रिक राष्ट्र के जनगण संविधान से ऊपर किसी को नहीं मानते।

जैसे की रेलगाड़ी में हिन्दू,मुस्लिम ईसाई, पारसी,सिख और जैन सभी एक साथ यात्रा करते हैं!एक साथ अपने गंतव्य पर पहुँचते हैं!और दुर्घटना होने पर एक साथ मरते भी हैं। जैसे कुदरत फर्क नहीं करती उसी तरह सच्ची लोकतान्त्रिक व्यवस्था वाले राष्ट्र का नेतत्व भी जनता में फर्क नही करता!और लोकतान्त्रिक राष्ट्र के जनगण भी संविधान से ऊपर किसी को नहीं मानते। उनके लिए संविधान और राष्ट्र पहले है!धर्म मजहब और मंदिर मस्जिद बाद में आते हैं!यदि कोई सत्ता धारी नेता या मंत्री विपक्ष से घृणा करता है, चुनाव में धर्म -मजहब -जाति का दुरूपयोग करता है,सीबीआई-ईडी का दुरुपयोग करता है या अपने आप को देश तथा संविधान से ऊपर मानता है तो उसे सत्ता से बेदखल कर दिया जाना जरूरी है,किंतु जो जनहित के काम करे, जिसका इरादा नेक हो,उसे केजरीवाल के नेतत्व में 'आप' की तरह और ज्योति वसु के नेतत्व में सीपीएम की तरह दुबारा,तिबारा भारी बहुमत से चुना जाना चाहिये!

सोमवार, 10 फ़रवरी 2020

मुस्कुराते रहिये* ..!

मैंने एक फूल से कहा*:...
कल तुम मुरझा जाओगे:..!
*फिर क्यों मुस्कुराते हो* ..?
व्यर्थ में यह ताजगी ...
*किस लिए लुटाते हो* ..??
फूल चुप रहा...!!
*इतने में एक तितली आई* ..!
पल भर आनंद लिया ..!
*उड गई* ..!!
एक भौंरा आया..!
*गान सुनाया* ..!
सुगंध बटोरी..!
*और आगे बढ गया* ..!!
एक मधुमक्खी आई..!
*पल भर भिन भिनाई* ..!
पराग समेटा ..! और ...
*झूमती गाती चली गई* ..!!
खेलते हुए एक बालक ने ...
*स्पर्श सुख लिया* ..!
रूप-लावण्य निहारा..!
*मुस्कुराया*..! और...
खेलने लग गया..!!
*तब फूल बोला*:-----
मित्र: !
*क्षण भर को ही सही*:...
मेरे जीवन ने कितनों...
*को सुख दिया* ..!
क्या तुमने भी कभी..?
*ऐसा किया* ..???
कल की चिन्ता में ...
*आज के आनंद में* ...
विराम क्यो करूँ..?
*माटी ने जो* ...
रूप; रंग; रस; गंध दिए ..!
*उसे बदनाम क्यो करूँ*..?
मैं हँसता हूँ..! क्योंकि...
*हँसना मुझे आता हैं* ..!
मैं खिलता हूँ..! क्योंकि ...
*खिलना मुझे सुहाता हैं* ..!
मैं मुरझा गया तो क्या ..?
*कल फिर एक* ...
नया फूल खिलेगा ..!
*न कभी मुस्कान* रुकी हैं .. _नही सुगंध_ ...!!
*जीवन तो एक* सिलसिला है ..!
*इसी तरह चलेगा* :!!
जो आपको मिला है ...
*उस में खुश रहिये* ..!
और प्रभु का ...
*शुक्रिया कीजिए* ..!
क्योंकि आप जो ...
*जीवन जी रहे हैं* ...
वो जीवन कई लोगों ने ...
*देखा तक नहीं है*..!
खुश रहिये ..!
*मुस्कुराते रहिये* ..!
और अपनों को भी ...
*खुश रखिए* ..!!

बर्तोल्त ब्रेख्त

कवि - नाटककार और महान विचारक बर्तोल्त ब्रेख्त का आज 120 वां जन्म दिन है।
इनके पिता कट्टर कैथोलिक और माँ प्रोस्टेंट थी। जबकि ब्रेख्त को जर्मन,फ्रांसीसी,चीनी और भारतीय दर्शनशाश्त्र में विशेष रूचि थी। उनकी कुछ निजी अनुभवजन्य अमिट स्थापनाएँ इस प्रकार हैं :-
[१] गरीबी उदास जरूर करती है किन्तु बुद्धिमान भी बनाती है !
[२] लोग वहीँ के वहीं बने रहते हैं जबकि उनके मुखोटे निकल चुके होते हैं !
[३] कानून बनाने का एकमात्र उद्देश्य उन लोगों को ठगना है जो उसके बारे में नहीं जानते !
[४] अपनी आकांक्षा की पूर्ती से बेहतर है एक अच्छा इंसान बनने का जज्बा !
[५] भूँखा इंसान यदि पुस्तकों से नजदीकियाँ बना ले तो पुस्तकें भी हथियार बन सकतीं हैं !
[६] बुद्धिमत्ता का तात्पर्य यह नहीं कि कोई ही गलती न की जाए ,बल्कि आप कितनी जल्दी अपनी गलती को सुधारते हैं,यही बुद्धिमत्ता है !
[७] हर कोई हर पल किसी की मदद का अभिलाषी है !
[८] जिन लोगों को सच का पता होता है फिर भी झूंठ बोलते हैं वे दुनिया में सबसे बड़े अपराधी हैं,जो सच से बाक़िफ़ नहीं होते वे बेईमानों के कठपुतली मात्र हैं !
[९] ज्ञान की दुनिया भी अजब है ,यहाँ दूसरों को सिखाने वाले खुद ही ज्ञान के मुँहताज हैं !
[१०] मौत से डरो मत ,यह आधे -अधूरे जीवन की तुलना में कम भयावह है !
संकलन -श्रीराम तिवारी

या तो सच्चे आस्तिक बनो या महानतम गुणों से संपन्न नास्तिक बनो

यदि आप किसी धर्म-मजहब से कोई वास्ता नहीं रखते या आप अनीश्वरवादी हैं,तो आप महान हैं ! मानों आप साक्षात् भगवान् हैं! किन्तु आपको कुछ शर्तों का पालन अवश्य करना होगा। पहली शर्त यह है कि आपको सभ्य संसार के श्रेष्ठतम मानवीय मूल्यों का पालन करना होगा। याने आपको संसार के प्रत्येक मनुष्यके साथ बंधुत्व,समानता का व्यवहार करना ही होगा और उसकी स्वतन्त्रता का सम्मान भी करना होगा। दूसरी शर्त यह है कि आप जिस देश के नागरिक हैं उसके संविधान का अक्षरशः पालन करना होगा। तीसरी शर्त यह है कि आपको पूर्व कल्पित ईष्वरीय ऊँचाइयों को स्वयं छूना होगा। यदि आप इन शर्तों को पूरा नहीं करपाये और फिरभी अपने आपको नास्तिक कहते हैं,तोआप ढोंगी हैं,पाखंडी हैं! आप की दोतरफ़ा धुनाई सम्भव है। एक तो यह कि आस्तिक जगत आपको कभी भी जुतिया सकता है। दूसरा जिंदगी के किसीभी मोड़ पर अनायास ही आपका जीवन घोर नारकीय हो सकता है। अत: या तो सच्चे आस्तिक बनो या महानतम गुणों से संपन्न नास्तिक बनो! इसके अलावा आप यदि कोई और राह चलते हैं,तो कही भी नही पहुचेंगे!त्रिशंकु की दुर्दशा को अवश्य प्राप्त होंगे!

रविवार, 9 फ़रवरी 2020

आप आस्तिक/नास्तिक न होकर केवल एक बेहतरीन इंसान हैं तो आप को बारम्बार नमस्कार!

यदि आप अल्पज्ञ हैं,धर्मभीरु हैं,तो बेधड़क किसी धर्म मजहब के आस्थावान हो जाइये। यदि आप तन-मन-धन और बुद्धि से बलिष्ठ हैं,आपमें फ्रांसीसी क्रांति के मानवतावादी मूल्यों को ह्र्दयगम्य करने की कूबत है, तो आप बेधड़क सेक्युलर हो जाइये!अथवा वेदांत के ऋषि की तरह शिवोहम् का गगन भेदी महानाद कीजिये।
सुप्रसिद्ध लेखिका मार्निया रॉबिन्सन ने उक्त अवधारणा को कुछ दूसरी तरह से समझाया है। उन्होंने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक 'क्यूपिड्स पायजनस एरो' में यह वैज्ञानिक तरीके से समझाया है कि ''आप आस्तिक -नास्तिक कुछ भी न हों तो भी आपको कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन सुखी जीवन के लिए,खुशियाँ पाने के लिए हर मनुष्य जो कुछ भी करता है,उसमें सहज प्राकृतिक बोध एवं मानवीय संवेदनाओं का होना बहुत जरूरी है।
यह मनुष्य की वैचारिक क्षमता पर निर्भर करता है कि उसे मानवीय सम्वेदनाओं के संचरण का और मानवीय सुख-दुख के भावों की अन्योंन्याश्रित स्थिति का कितना ज्ञान है ? ''
मार्निया रॉबिन्सन दुहराती हैं कि ''जब आप अपनी निजी ख़ुशी के लिए कुछ करते हैं तो 'डोपामाइन हार्मोन' निस्रत होता है,जो एक तेज इच्छा-कामना पैदा करता है,किन्तु वह संतोष नही देता। आंतरिक अतृप्त वासनाओं को जगाता है। किंतु दूसरों की ख़ुशी या हित के लिए सोचने पर आक्सीटोसिन हारमोन निश्रित होता है.यह निः स्वार्थभाव,दयालुता और प्राणी मात्र के प्रति प्रेम उत्पन्न करता है। यदि यह हार्मोन पर्याप्त मात्रा में न निकले तो मनुष्य अवसाद की ओर अग्रसर होता जाता है!इसलिए यदि आप आस्तिक/नास्तिक न होकर केवल एक बेहतरीन इंसान हैं तो आप को बारम्बार नमस्कार!आपका मानव जीवन धन्य हो गया ! यही वास्तविक और निर्पेक्ष जीवन सत्य है!"

आजादी के फल

मौसम नहीं बदलते कभी इंसानी फितरत से ,
जब रवि उदित होता तब हो जाती भोर है।
अगम को सुगम पथ बनाता कोई भगीरथ,
हिमालय से उतरती गंगा और तिरता कोई और है।
संत्रास भोगते हैं क्रांतिवीर संघर्षों के सतत,
किंतु आजादी के फल चखती पीढ़ी कोई और है।
बिजली चमकती कहीं बादल गरजता कहीं और,
दोषी कोई और,गाज गिरती जिसपर वो कोई और है

शनिवार, 8 फ़रवरी 2020

लंबी ज़िन्दगी नहीं, बल्कि एक अच्छी ज़िन्दगी को महत्ता देनी चाहिए.

1. एक ईमानदार आदमी हमेशा एक बच्चा होता है.
2. जहाँ तक मेरा सवाल है, मैं बस इतना जानता हूँ कि मैं कुछ नहीं जानता।
3. शादी या ब्रह्मचर्य, आदमी चाहे जो भी रास्ता चुन ले, उसे बाद में पछताना ही पड़ता है.
4. मित्रता करने में धीमे रहिये, पर जब कर लीजिये तो उसे मजबूती से निभाइए और उसपर स्थिर रहिये.
5. मृत्यु संभवतः मानवीय वरदानो में सबसे महान है।
6. चाहे जो हो जाये शादी कीजिये. अगर अच्छी पत्नी मिली तो आपकी ज़िन्दगी खुशहाल रहेगी ; अगर बुरी पत्नी मिलेगी तो आप दार्शनिक बन जायेंगे.
7. सौंदर्य एक अल्पकालिक अत्याचार है.
8. इस दुनिया में सम्मान से जीने का सबसे महान तरीका है कि हम वो बनें जो हम होने का दिखावा करते हैं.
9.लंबी ज़िन्दगी नहीं, बल्कि एक अच्छी ज़िन्दगी को महत्ता देनी चाहिए.
10. अधिकतर, आपकी गहन इच्छाओं से ही घोर नफरत पैदा होती है.
-सुकरात

वैचारिक संकट

विगत 10 साल में भारत की कम्युनिस्ट पार्टियों के नेताओं ने मार्क्सवादी-साम्यवादी विचारधारा की ऐंसी दुर्गति कर दी है कि अब तो गरीब मेहनतकश मजदूर किसान भी वामपंथियों को संदेह की नजर से देखने लगे हैं!
ज्ञातव्य है कि विगत 48 घंटों में कॉमरेड कन्हैया कुमार पर दो बार पथराव हो चुका है! उधर मुंबई में कल जयपुर के उदीयमान युवा कवि 'बप्पादित्य सरकार' को किसी कार्यक्रम में शामिल होना था!उन्होंने जुहु से कुर्ला जाने के लिये उबर बुक की! रास्ते में वे किसी से CAA विरोधी आंदोलन के बारे में बात कर रहे थे,बातचीत की शुरूआत 'लाल सलाम'से हुई!कवि महोदय को उबर ड्रायवर चुपचाप सीधे पुलिस स्टेशन ले गया!उसने पुलिस से कहा "गिरफ्तार कर लो इसको,यह टेलीफोन पर किसी से लाल सलाम कह रहा था!"
चूँकि मुंबई के पुलिस वाले पढ़े लिखे होते हैं,इसलिये उन्होंने बाइज्जत कवि बप्पादित्य को रवाना कर दिया और आटो ड्रा़यवर को झिड़क दिया,कि 'एक मजदूर होकर वामपंथ का विरोध कर रहा है!' 

विदेशी निवेश हम लाएंगे!

कुछ लोग कहते रहे सत्ता पर बिठा दो हमें,
अयोध्या में राम लला मंदिर हम बनवाएंगे!
कुछ लोग कहते रहे सत्ता की कमान सौंप दो,
गंगा विकास की सारे देश में हम ही बहाएंगे!!
कोई कहे लोकपाल लाऊंगा ईमानदार रहूँगा,
मौका एक मिलजाये कुछ करके दिखाएंगे!
कोई करे जोड़ तोड़ चुनावी जीत-हार का,
करेंगे ईवीएम छेड़छाड़ जीत कर दिखाएंगे!!
कोई कहे गांधीवाद;कोई कहे समाजवाद,
कोई कहे पूँजीवाद विदेशी निवेश हम लाएंगे!
कोई चाहे रामराज;कोई चाहे शिवशाही,
कोई चाहे भारत में हम साम्यवाद लाएंगे!!
कोई जपे जातिपांत को कोई जपे खाप को,
कोई कहे क्षेत्रियता के वोट हम जुटाएंगे!
कोई रोवे पंथ को कोई रोवे मज़हब को,
कोई कहे साम्प्रदायिक फसल हम उगाएंगे!!
कोई कहे अगड़ों की,कोई कहे पिछड़ों की,
कोई कहे दलितों की भीड़ हम जुटाएंगे!
कोई कहे सीबीआई का दुरुपयोग हो रहाहै,
कोई कहे भ्रस्टोंको चुनचुन जेलभिजवाएंगे!!
कोई कहे हम देश की सब संपदा बेच-डालेंगे,
जो होंगे बदनाम तो क्या नाम न कमाएंगे!
डाल-डाल नेता हैं और पात-पात दल दल,
बहुत कमहैं जो कहें कि हम देशको बचाएंगे!!
श्रीराम तिवारी

शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2020

धर्म-दर्शन का भटकाव

विगत दो शताब्दियों में विज्ञानके आविष्कारों ने धरती और ब्रह्मांड के रहस्य सुलझाने और मानव जीवनको भव्य बनाने में जो चमत्कार किया है वह लाजबाब है!इस वैज्ञानिक क्रांति ने दुनिया के सभी धर्म-मजहब की दादागिरी और आध्यात्मिक दर्शन पर प्रश्न चिन्ह लगाये हैं!वास्तव में सकारात्मक और कल्याणकारी आध्यात्मिक तत्व चिंतन ने मनुष्य के अंतस को समझने का और मानवीय जीवन को आनंदमय बनाने का बहुत सारा काम किया है। लेकिन इक्कीसवीं वीं सदी के इस उत्तर आधुनिक युग में,भूमंडलीकरण के दौर में संसार के धर्म,मजहब- साइंस का दुरूपयोग करते हुये पूंजीवाद की चाकरी करने लगे हैं!धर्म-दर्शन का भटकाव 

विचारधारा का भटकाव

विगत 10 साल में भारत की कम्युनिस्ट पार्टियों के नेताओं ने मार्क्सवादी-साम्यवादी विचारधारा की ऐंसी दुर्गति कर दी है कि अब तो गरीब मेहनतकश मजदूर किसान भी वामपंथियों को संदेह की नजर से देखने लगे हैं!
ज्ञातव्य है कि विगत 48 घंटों में कॉमरेड कन्हैया कुमार पर दो बार पथराव हो चुका है! उधर मुंबई में कल जयपुर के उदीयमान युवा कवि 'बप्पादित्य सरकार' को किसी कार्यक्रम में शामिल होना था!उन्होंने जुहु से कुर्ला जाने के लिये उबर बुक की! रास्ते में वे किसी से CAA विरोधी आंदोलन के बारे में बात कर रहे थे,बातचीत की शुरूआत 'लाल सलाम'से हुई!कवि महोदय को उबर ड्रायवर चुपचाप सीधे पुलिस स्टेशन ले गया!उसने पुलिस से कहा "गिरफ्तार कर लो इसको,यह टेलीफोन पर किसी से लाल सलाम कह रहा था!"
चूँकि मुंबई के पुलिस वाले पढ़े लिखे होते हैं,इसलिये उन्होंने बाइज्जत कवि बप्पादित्य को रवाना कर दिया और आटो ड्रा़यवर को झिड़क दिया,कि 'एक मजदूर होकर वामपंथ का विरोध कर रहा है!' विचारधारा का भटकाव 

गुरुवार, 6 फ़रवरी 2020

आधुनिक युवाओं को 'वैज्ञानिक कम्युनिज्म' के सिद्धांतों की जानकारी नहीं है।

भारत जैसे विकासशील देश में बेरोजगारों की स्थिति सबसे भयानक है और बेहद उलझी हुई है। केवल अशिक्षित अथवा अर्ध शिक्षित युवाओंको ही नहीं बल्कि उच्च शिक्षित तकनीकी ज्ञान से समृद्ध युवा बेरोजगारों को जबरन निजी क्षेत्रकी गुलामी करनी पड़ रही है। भुखमरी दूसरी सबसे बड़ी समस्या है ,तीसरी समस्या 'बेघर'लोगों की है जो अपना सम्पूर्ण जीवन अभावों में गुजारने को बाध्य हैं। यह स्थिति केवल आधुनिक भारत की ही नहीं ,बल्कि विकसित पूँजीवादी दुनिया की भी है। इतनी घोर आपात स्थिति के वावजूद आधुनिक युवाओं को 'वैज्ञानिक कम्युनिज्म' के सिद्धांतों की रंचमात्र भी जानकारी नहीं है। जब आधुनिक एमबीए,एमसीए और तमाम उच्च डिग्रीधारी युवाओं को नहीं मालूम कि कार्ल - मार्क्स ने अपनी पुस्तक 'डास केपिटल' में इन्ही समस्यायों के बरक्स वैज्ञानिक हल खोजेहैं,तो अपढ़ गंवार युवाओं से क्या उम्मीद करें कि वे इंकलाब की मशाल अपने हाथों में थामेंगे।

कोरोना वायरस - चीन

कोरोना वायरस के कारण हो रही सैकडों मौतों के बाद चीन में अब लाशों को जलाना पडेगा,क्योंकि दफनाना गैरकानूनी घोषित !
चीन में वे लोग अब क्या करेंगे,जो पूरी जिंदगी इस गुनताड़े में लगे रहते हैं कि अल्लाह आखरत के दिन सभी दफ़न मोमिनों को फिर से जिंदा करके उन्हें जन्नत भेजेंगे,जहां वे 72 हूरें + अन्य अनेक सुविधाओं का उपभोग कर सकेंगे!
चीनी सरकार के इस फैसले से कि आइंदा कोरोना से मरने वाले हरएक शव को जला दिया जाएगा,कुछ लोगों के उस विश्वास का क्या होगा,कि कब्र में पड़े पड़े इंतजार करने वाले दिवंगत को अल्लाह उसके कर्म के अनुसार जन्नत या दोजख देगा?

भारतीय गणतंत्र

जो व्यवस्था को नियंत्रित करे,
उसे प्रशासन तंत्र कहते हैं!
मंसूबे लोक कल्याण के हों,
उन्हें सार्थक मन्त्र कहते हैं!!
हों जीवन के भैतिक साधन,
उन्हें ही वैज्ञानिक यंत्र कहते हैं!
शोषण,उत्पीडन,हिंसा नशाखोरी,
घूसखोरी-इन्हें षड्यंत्र कहते हैं!
बिकता हो ईमान जहां पर पैसा-
ही सब कुछ उसे धनतंत्र कहते हैं!
है लोकतंत्र धर्मनिर्पेक्षता जहाँ,
उसे भारतीय गणतंत्र कहते हैं !!
श्रीराम तिवारी

मंगलवार, 4 फ़रवरी 2020

आधुनिक युवाओं को 'वैज्ञानिक कम्युनिज्म' के सिद्धांतों की जानकारी नहीं.

भारत जैसे विकासशील देश में बेरोजगारों की स्थिति सबसे भयानक है और बेहद उलझी हुई है। केवल अशिक्षित अथवा अर्ध शिक्षित युवाओंको ही नहीं बल्कि उच्च शिक्षित तकनीकी ज्ञान से समृद्ध युवा बेरोजगारों को जबरन निजी क्षेत्रकी गुलामी करनी पड़ रही है। भुखमरी दूसरी सबसे बड़ी समस्या है ,तीसरी समस्या 'बेघर'लोगों की है जो अपना सम्पूर्ण जीवन अभावों में गुजारने को बाध्य हैं। यह स्थिति केवल आधुनिक भारत की ही नहीं ,बल्कि विकसित पूँजीवादी दुनिया की भी है। इतनी घोर आपात स्थिति के वावजूद आधुनिक युवाओं को 'वैज्ञानिक कम्युनिज्म' के सिद्धांतों की रंचमात्र भी जानकारी नहीं है। जब आधुनिक एमबीए,एमसीए और तमाम उच्च डिग्रीधारी युवाओं को नहीं मालूम कि कार्ल - मार्क्स ने अपनी पुस्तक 'डास केपिटल' में इन्ही समस्यायों के बरक्स वैज्ञानिक हल खोजेहैं,तो अपढ़ गंवार युवाओं से क्या उम्मीद करें कि वे इंकलाब की मशाल अपने हाथों में थामेंगे।

प्रगतिशील से तात्पर्य यथार्थ और प्रामाणिक वैज्ञानिक सोच वाले सर्व विषय निष्णान्त गुणी व्यक्ति से है।ऐंसे व्यक्ति को देश काल परिस्थिति के अनुसार विषय वस्तु की महत्ता का भान होना जरुरी है। तभी वह व्यक्ति सही निर्णय कर पायेगा। वर्ना सिखाने वाला ही यदि अधकचरा,अपरिपक्व,पक्षपाती और कंजरवेटिव है तो वह यथार्थ निर्णय नहीं दे पायेगा। किसी व्यक्ति,विचार धर्म-मजहब, राजनीति और इतिहास की व्याख्या के तीन नजरिये हैं। पहला-कट्टरपंथी प्रतिक्रियावादी! दूसरा-विज्ञानवादी यथार्थवादी!तीसरा - स्वार्थपूर्ण और पक्षपाती!भारतीय लोकतंत्र में विद्रोह की उचित संभावना है,अत: जनता में राष्ट्रवाद का संचरण बहुत जरूरी है!

सोमवार, 3 फ़रवरी 2020

नहीं रूप रस गंध!!

खर पतवार से उग रहे,राष्ट्र शत्रू घनघोर!
बिन प्रयास मुर्दे बहें,नदी बहे जिस ओर।।
बलिहारी धनतंत्र की,बजट का अंतरद्वंद!
नीरस हैं सब आंकड़े,नहीं रूप रस गंध!!
नहीं राष्ट्र प्रतिबध्दता,नहीं विचार सिद्धांत।
जनता को लड़वा रहे ,है नेतत्व निष्णांत !! 

वादे जुमले जन मोहनी!

नहीं विकास नहीं नीतियाँ,नहीं बासंती रंग!
महिमा राष्ट्रीय बजटकी,शासक नहाए गंग!!
शासक नहाए गंग,दिग्भर्मित है नरमेदिनी।
चुनावी दुष्प्रचार,वादे जुमले जन मोहनी!!
कहें कवि 'श्रीराम',अब देखो दिन में सपने!
घर में नही हैं दाने और अम्मा चली चुगाने!!

नौजवानों का भविष्य नेस्तनाबूद

ठेका और आउट सोर्सिंग मजदूर -कर्मचारियों की न तो आजीविका निश्चित है और न ही मेडीकल और पेंशन इत्यादि सुविधाएं तय हैं! इन्ही से मिलता जुलता भविष्य उन युवाओं का भी है जो एन -केन-प्रकारेण ऊँची तालीम हासिल कर लेते हैं और दुर्धर्ष प्रतिस्पर्धा याने कम्पीटीशन से गुजरकर तथाकथित बढ़िया पैकेज पर विभिन्न राष्ट्रीय-बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में १० -१२ घंटे खटते हुए अपना भविष्य दाव पर लगाकर अपनी श्रम शक्ति बेच रहे हैं !भले ही इन्हें कहने को लाखों का पैकेज होता है किन्तु इन सभी का जीवन ठेका मजदूरों से जुदा नहीं है !.मालिक का खोफ ,सी ई ओ का खोफ नौकरी से हटा देने का डर,यदि महिला है तो उसे निजी क्षेत्र में चारों ओर संकट ही संकट से जूझना है .! कई घटिया और दोयम दर्जे के ठेकेदार या कम्पनी मालिक अपने कामगारों को समय पर वेतन भी नहीं देते .पी ऍफ़ का पैसा काटने के बाद उसे उचित फोरम में जमा न करने की प्रवृत्ति आम है .आजकल सरकारी और सार्वजानिक उपक्रमों में अधिकांश काम ठेके से ही करवाया जा रहा है .ठेकों /संविदाओं में क्या गुल गपाड़ा चल रहा है ये तो सरकार ,क़ानून मीडिया सभी को मालूम है !किन्तु इन चंद मुठ्ठी भर लोगों की खातिर देश के करोड़ों नौजवानों का भविष्य नेस्तनाबूद किया जा रहा है उसकी किसे खबर है ?यदि जिम्मेदार प्रशासन और सरकार से शिकायत करो तो कहा जाता है की ये तो नीतिगत मामला है .गरज हो तो काम करो वर्ना भाड़में जाओ !

रविवार, 2 फ़रवरी 2020

ऋतु फागुन की आई सुहानी हो।

पुरवा हुम -हुम करे ,पछुवा गुन -गुन करे ,
ढलती जाए शिशिर की जवानी हो।
बीतें पतझड़ के दौर ,झूमें आमों में बौर ,
कूँकी कुंजन में कोयलिया कारी हो।
उपवन खिलने लगे ,मन मचलने लगे ,
ऋतु फागुन की आई सुहानी हो।
करे धरती श्रृंगार ,दिन वासंती चार,
अली करने लगे मनमानी हो।
फलें -फूलें दिगंत ,गाता आये वसंत ,
हर सवेरा नया और संध्या सुहानी हो।
श्रीराम तिवारी

''निर्बल के बलराम ''

जिस तरह आधुनिक साइंस,भौतिक अनुसंधान ,उन्नत तकनीकी मनुष्य का ही सृजन है ,उसी तरह धर्म-मजहब-ईश्वर ,अल्लाह और साम्प्रदायिकता भी मानवकृत है। मनुष्य जाति ने मानवमात्र के हित में जो-जो अन्वेषण किये वे अकारण या निर्रथक नहीं थे। लेकिन जब साइंस नहीं था तब मनुष्य ने ईश्वरकी रचना की थी और हजारों साल तक उससे अपना काम चलाया। किन्तु अब साइंस का जमाना है ,मनुष्य को ईश्वर की आराधना उस हद तक ठीक है कि वह मनोभावों को स्थिर करे किन्तु उतनी जरूरत नहीं होनी चाहिए जितनी सामंतयुग में या गुलामी के दौर में हुआ करती थी।यदि किसीको अभी भी ईश्वर की सख्त जरुरत महसूस होती है तो इसका मतलब यह है कि उसे अपने आप पर यकीन नहीं है ,उसे संविधान,लोकतंत्र और व्यवस्था पर भरोसा नहीं है। जाहिर है कि वह धर्मभीरु व्यक्ति हर तरह से डरा हुआ है। इसीलिये उसे ''निर्बल के बलराम ''पर निर्भर रहना पड़ रहा है। इसका निष्कर्ष यह भी निकलता है कि शुद्ध आस्तिक मनुष्य निपट अज्ञानी है। जाहिर है कि उसका अज्ञान ही उसके दुखों का कर्ता है।

शनिवार, 1 फ़रवरी 2020

आजकल के अवसरवादी नेता

आप जानते हैं कि भगतसिंह रेंक के हिसाब से अपनी क्रांतिकारी 'हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन पार्टी' के सबसे बड़े नेताओं में से एक थे। जब तय हुआ कि असेम्बली में बम फेंकना है,ताकि प्रेसवार्ता और मुकदमेबाजी के दौरान अपनी बात दुनिया तक पहुंचाई जा सकें तो वे खुद आगे आए,किसी छोटे या नए नवेले क्रांतिकारी को बलि का बकरा नही बनाया। जानते हैं क्यों?
पहला कारण यह कि वे स्वयं दर्शन, राजनीति, साहित्य और भाषा के ज्ञाता थे। वे अपनी बात को प्रभावी ढंग से रख सकते थे। अर्थात उनका उद्देश्य केवल बम का धमाका करना नहीं था बल्कि दुनिया से संवाद करना था।
दूसरा कारण यह कि वे आजकल के अवसरवादी नेताओं जैसे नहीं थे कि नौजवानों को कट्टा या हथौड़ी पकड़ा कर मंदिर मस्जिद तोड़ने भेज दें या गोली चलवायें और खुद संसद में और सत्ता में बैठ जाएं।

धर्म-दर्शन को नकारा जा सकता

मानवजाति के समक्ष सदा से ही अनेक अगोचर प्रश्न मुँह बाए खड़े रहे। मानवीय शोषण -उत्पीड़न की वजह क्या है ? पृथ्वी पर प्रत्येक मनुष्य का हक क्या है ? भौतिकवाद क्या है ?अध्यात्मवाद और तत्सम्बन्धी दर्शन क्या है ? ये मजहब-रिलिजन और 'धर्म-अधर्म'' क्या हैं? इन सब में अंतरंग सम्बन्ध और फर्क क्या है ? ईश्वर क्या है ? इत्यादि सवालों के हल खोजे बिना न तो भौतिकवादी दर्शन को नकारा जा सकता है,न ही 'ईश्वर' अध्यात्मवाद और धर्म-दर्शन को नकारा जा सकता है। धर्मप्राण जनता को चाहिए कि वह 'भौतिकवादी दर्शन को भी अवश्य पढ़े। जिस आधुनिक साइंस के भौतिक उपादानों मोबाइल -इंटरनेट को वह सीने से लगाए हुए है ,उसी साइंस के तर्कशील क्रांतिकारी अर्थशास्त्र और 'मनोविज्ञान'को ह्र्दयगम्य क्यों नहीं करना चाहिए। इसी तरह सभी धर्म-मजहब और अध्यात्म का उचित अध्यन किये बिना तर्कवादी -अनीश्वरवादी मित्र भी भाववादी दर्शन में अनावश्यक हस्तक्षेप ना करें। वैसे भी असत्य आलोचना का कोई औचित्य नहीं हो सकता। आस्तिक और भाववादी लोगों को भी धर्मान्धता के गटरगंग में डुबकी लगाने के बजाय भृष्ट सिस्टम को दुरुस्त करना चाहिए। यदि दुरुस्ती सम्भव न हो तो बलात उखाड़ फेंकना चाहिए !

फलें -फूलें दिगंत ,गाता आये वसंत

पुरवा हुम -हुम करे ,पछुवा गुन -गुन करे ,
ढलती जाए शिशिर की जवानी हो।
बीतें पतझड़ के दौर ,झूमें आमों में बौर ,
कूँकी कुंजन में कोयलिया कारी हो।
उपवन खिलने लगे ,मन मचलने लगे ,
ऋतु फागुन की आई सुहानी हो।
करे धरती श्रृंगार ,दिन वासंती चार,
अली करने लगे मनमानी हो।
फलें -फूलें दिगंत ,गाता आये वसंत ,
हर सवेरा नया और संध्या सुहानी हो।
श्रीराम तिवारी

CCTV

भारत में कुछ सरकारी विभाग रिस्वतखोरी के लिये और कुछ मक्कारी के लिये बदनाम हैं! निगरानी के लिये एडवांस CCTV कैमरे हर स्कूल,कालेज,सरकारी विभाग में,कोर्ट- कचहरी में और पुलिस थानों में,सभी सरकारी कार्यालयों में,सभी मंत्रालयों में,सभी कलेक्टर्स CM के आफ़िसों में भी होने चाहिये!हर सरकारी विभाग के दफ्तर में कर्मचारियों और अधिकारियों की ड्युटी और उनके लेन दैन व्यवहार पर 24 घन्टे नजर रखी जानी चाहिए ! जो कोई दल या नेता भ्रष्टाचार (Corruption) को रोकना चाहता है,वह इस सुझाव पर अवश्य गौर करे