शनिवार, 8 फ़रवरी 2020

वैचारिक संकट

विगत 10 साल में भारत की कम्युनिस्ट पार्टियों के नेताओं ने मार्क्सवादी-साम्यवादी विचारधारा की ऐंसी दुर्गति कर दी है कि अब तो गरीब मेहनतकश मजदूर किसान भी वामपंथियों को संदेह की नजर से देखने लगे हैं!
ज्ञातव्य है कि विगत 48 घंटों में कॉमरेड कन्हैया कुमार पर दो बार पथराव हो चुका है! उधर मुंबई में कल जयपुर के उदीयमान युवा कवि 'बप्पादित्य सरकार' को किसी कार्यक्रम में शामिल होना था!उन्होंने जुहु से कुर्ला जाने के लिये उबर बुक की! रास्ते में वे किसी से CAA विरोधी आंदोलन के बारे में बात कर रहे थे,बातचीत की शुरूआत 'लाल सलाम'से हुई!कवि महोदय को उबर ड्रायवर चुपचाप सीधे पुलिस स्टेशन ले गया!उसने पुलिस से कहा "गिरफ्तार कर लो इसको,यह टेलीफोन पर किसी से लाल सलाम कह रहा था!"
चूँकि मुंबई के पुलिस वाले पढ़े लिखे होते हैं,इसलिये उन्होंने बाइज्जत कवि बप्पादित्य को रवाना कर दिया और आटो ड्रा़यवर को झिड़क दिया,कि 'एक मजदूर होकर वामपंथ का विरोध कर रहा है!' 

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