यदि आप किसी धर्म-मजहब से कोई वास्ता नहीं रखते या आप अनीश्वरवादी हैं,तो आप महान हैं ! मानों आप साक्षात् भगवान् हैं! किन्तु आपको कुछ शर्तों का पालन अवश्य करना होगा। पहली शर्त यह है कि आपको सभ्य संसार के श्रेष्ठतम मानवीय मूल्यों का पालन करना होगा। याने आपको संसार के प्रत्येक मनुष्यके साथ बंधुत्व,समानता का व्यवहार करना ही होगा और उसकी स्वतन्त्रता का सम्मान भी करना होगा। दूसरी शर्त यह है कि आप जिस देश के नागरिक हैं उसके संविधान का अक्षरशः पालन करना होगा। तीसरी शर्त यह है कि आपको पूर्व कल्पित ईष्वरीय ऊँचाइयों को स्वयं छूना होगा। यदि आप इन शर्तों को पूरा नहीं करपाये और फिरभी अपने आपको नास्तिक कहते हैं,तोआप ढोंगी हैं,पाखंडी हैं! आप की दोतरफ़ा धुनाई सम्भव है। एक तो यह कि आस्तिक जगत आपको कभी भी जुतिया सकता है। दूसरा जिंदगी के किसीभी मोड़ पर अनायास ही आपका जीवन घोर नारकीय हो सकता है। अत: या तो सच्चे आस्तिक बनो या महानतम गुणों से संपन्न नास्तिक बनो! इसके अलावा आप यदि कोई और राह चलते हैं,तो कही भी नही पहुचेंगे!त्रिशंकु की दुर्दशा को अवश्य प्राप्त होंगे!
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