जो व्यवस्था को नियंत्रित करे,
उसे प्रशासन तंत्र कहते हैं!
मंसूबे लोक कल्याण के हों,
उन्हें सार्थक मन्त्र कहते हैं!!
हों जीवन के भैतिक साधन,
उन्हें ही वैज्ञानिक यंत्र कहते हैं!
शोषण,उत्पीडन,हिंसा नशाखोरी,
घूसखोरी-इन्हें षड्यंत्र कहते हैं!
बिकता हो ईमान जहां पर पैसा-
ही सब कुछ उसे धनतंत्र कहते हैं!
है लोकतंत्र धर्मनिर्पेक्षता जहाँ,
उसे भारतीय गणतंत्र कहते हैं !!
उसे प्रशासन तंत्र कहते हैं!
मंसूबे लोक कल्याण के हों,
उन्हें सार्थक मन्त्र कहते हैं!!
हों जीवन के भैतिक साधन,
उन्हें ही वैज्ञानिक यंत्र कहते हैं!
शोषण,उत्पीडन,हिंसा नशाखोरी,
घूसखोरी-इन्हें षड्यंत्र कहते हैं!
बिकता हो ईमान जहां पर पैसा-
ही सब कुछ उसे धनतंत्र कहते हैं!
है लोकतंत्र धर्मनिर्पेक्षता जहाँ,
उसे भारतीय गणतंत्र कहते हैं !!
श्रीराम तिवारी
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