कुछ ट्रेड यूनियनें और वामपंथी नेता दिल्ली के शाहीनबागियों और देशभर में चल रहे CAA आंदोलनकारियों पर फिदा हैं!क्या ट्रेड यूनियनें केवल CAA का विरोध करने के लिये ही बनी हैं?वामपंथियों सहित तमाम विपक्षी दल शाहीनबागियों के साथ हैं,CAA की मुखाल्फत कर रहे हैं,सभी यूनियन नेता भी इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं!किंतु ओवेसी से लेकर शरजील इमाम तक किसी ने भी उन दो लाख BSNL कर्मचारियों का कभी समर्थन नही किया,जिन्हें दो महिने से वेतन नही मिला और 80 हजार कर्मचारियों को जबरन VRS देकर खाली हाथ घर भेज दिया! ट्रेड यूनियन नेता खुद अपनी नौकरी नही बचा पाये,वेतन रिवीजन नही करा पाये और वर्तमान वेतन के ही लाले पड़ रहे हैं! उधर कुछ यूनियन नेता CAA के विरोध में हलकान हो रहे हैं!विनाशकाले विपरीतबुद्धि!
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