सोमवार, 17 फ़रवरी 2020

दिल्ली का एक मुफ्त खोर गद्दार वोटर

साहब ,मैं दिल्ली का एक वोटर हूँ!
आपसे अपने मन की बात करना चाहता हूँ!
जी, मैं उस 15% वोटबैंक को बिलॉन्ग करता हूं जिस ने लोकसभा में भाजपा को वोट दिया था लेकिन अभी विगत विधानसभा में आपको वोट नहीं दिया!
संभवत में ही वह हरामखोर, मुफ्त खोर, गद्दार,जयचंद हिंदू हूं ,जिसकी बात पिछले 2 दिनों से रिजल्ट के बाद फेसबुक व्हाट्सएप पर आपके समर्थक कर रहे हैं।
पर मैं आपको एक बात का यकीन दिलाता हूं कि अगर दिल्ली की विधानसभा के साथ-साथ दिल्ली के लोकसभा के चुनाव हुए होते हैं तो हम 15% वोटर आपके साथ ही होते , किंतु दिल्ली विधानसभा में संभवत हम आपका साथ नही देते!
हम दिल्ली विधानसभा में आपका साथ नहीं देना चाहते ऐसी बात नहीं है किंतु हमें आपका साथ देने के लिए कुछ वजह चाहिए थी ,भले 5 वर्षों में हम केजरीवाल से संतुष्ट ना हो पर परेशान भी नही थे ।
चलिये मान लेते है कि वो नौटंकी करते है, कुछ स्कूलों को ठीक कर पूरी दिल्ली की शिक्षा बदलने का दावा करना हो, मोहल्ला क्लीनिक खोलकर सारी दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने की बात करनी हो या मुफ्त जल, मुफ्त बिजली की बात करनी हो ।
वह हर बात में काफी झूठ बोलते हैं सी टीवी कैमरे जन लोकपाल लाना ऐसे कई अन्य मुद्दे हैं जिस पर हम उसे नकार सकते थे ,साहब हम इंतजार कर रहे थे कि आप इस बार हमें बेहतर विकल्प देंगे और हम आपका साथ देकर केजरीवाल को हरा देंगे। चुनाव की घोषणा के बाद से लेकर
वोटिंग के दिन तक हमने इंतजार किया कि आप दिल्ली का दिल जीतने के लिए दिल्ली के दिल की बात करेंगे
जब caa आया तो हम आपके साथ थे, शाहिनबाग शुरू हुआ तभी हमें यकीन था कि आप सबका साथ सबका विकास के साथ सबका विकास विश्वास की बात करके यहां बैठने वाले डरे हुए, भोले मुस्लिम लोगों को अपने मन की बात कर समझा लेंगे । आप ना आये और आये तो करंट की बात करने वाले , गोपाल और शरजील की बात करने वाले आये ।
इस सबके बाद भी शायद मैं आपके साथ था लेकिन अचानक से कुछ अजीब से माहौल में हम दिल्ली वालों ने अपने आप को पाया।
जहां आपके सारे विधायक, प्रतिनिधि, सारे सांसद, सारे मुख्यमंत्री दिल्ली के मुद्दों को छोड़ चुनाव के दौरान पता नहीं कहां से भारत-पाकिस्तान आतंकवाद, आतंकवादी, अली, बजरंगबली, बिरयानी ,₹500 ,हिलती कार करंट और ऐसे कई अन्य चमत्कार ले लेकर हमारे पास आने लगे । हमारे मुद्दों को छोड़कर उनके पास सबकुछ था ।
अचानक से दिल्ली का एक छोटा सा चुनाव संयोग और प्रयोग की राजधानी बन गया और उस समय तो हद हो गई जब देश के एक प्रदेश के चुने हुए मुख्यमंत्री को आतंकवादी कहा गया ।
ये सब बेहद चौकाने वाला और निराशाजनक था । आपके सारे कार्यकर्ता भी अचानक उग्र मुद्रा में आ गए और 1992 से लेकर आज तक जिस सांप्रदायिक सौहार्द को पाने में हमें लंबा समय लगा उसकी धज्जियां उड़ा दी गई ।
मैं और मेरे जैसे कई वोटर केजरीवाल को पसंद नहीं करते चाहे उनकी और हमारी विचारधारा मिलना खाती हो किंतु लेकिन हम उनसे नफरत भी नहीं करते हैं , और ऐसे में उनका और उनकी पार्टी के लोगो का संयम और शांत शालीन भाषा हमारे लिए निर्णायक साबित हुई ।
हम दिल्ली के वासी कैसा चुनाव चाहते थे जो दिल्ली के मुद्दों पर हो ना कि राष्ट्र और काल्पनिक बनाए मुद्दों पर आधारित हो । यहां आप आप के गृहमंत्री ,आपके कई मुख्यमंत्री, सांसद और विधायक भी चूक गए और विषवमन करने लगे तो आम कार्यकर्ता की तो क्या बात करें ।
और
यही हर गुजरते दिन के साथ आपने दिल्ली को खोना शुरु कर दिया और यकीन मानिए अगर यह चुनाव 8 दिन पहले होते तो आपकी 8 की जगह 16 सीट होती अगर 8 दिन बाद होते हैं तो 8 की जगह आप भी कांग्रेस के साथ शून्य का जश्न मना रहे होते ।
आपका यह दिल्ली मॉडल, शाहीन बाग मॉडल, करंट मॉडल ,आतंकी मॉडल शायद आने वाले कुछ राज्यों के चुनाव में आपकी मदद करें लेकिन इस तरह के मॉडल के साथ चुनाव लड़ने की कोशिश में आप धीरे-धीरे देश का दिल जीतने की लड़ाई में हारते जाएंगे ।
अभी ये देश आपको आपकी पार्टी से ज्यादा प्यार करता है ,
आप मन की बात करते हैं हमारे मन की बात को सुनिए और आने वाले सारे राज्यों के चुनाव को राज्यों के मुद्दों पर लड़ने की तैयारी कीजिए ।
अभी केजरीवाल ने आप से दिल्ली जीती है तो इसका अर्थ यह पक्का है कि वह डराता नही है,
परन्तु यह स्पष्ट है कि दिल्ली चुनाव के दौरान आपकी पार्टी के आक्रमक भाषण ,आक्रमक बॉडी लैंग्वेज , और निम्न स्तरीय भाषा से दिल्ली डर गई थी और नतीजा आपके सामने है ।
आप ईश्वर से दुआ कीजिए कि सारा देश ना डरने लगे । आशा है आप मेरे विचारों से सहमत नही भी होंगे तो उन पर एक बार विचार जरूर करेगे ।
और अगर सहमत हो तो
सबसे पहले शाइन बाग से एक बार फिर विश्वास जीतने की बात शुरू कीजिए ।
देशभर के डरे हुए मुस्लिम लोगों से एक बार फिर आप के विश्वास में लीजिए ।
हम पंथनिरपेक्ष हिंदू हैं, हमें कट्टर हिंदू मत समझिए और हिंदुत्व को इतनी सीमित दायरे में सीमित मत कीजिए , हमें केजरीवाल के हनुमान चालीसा पढ़ने पर अच्छा महसूस होता है लेकिन केजरीवाल हमें हनुमान चालीसा पढ़ने को मजबूर करने की कोशिश नहीं करते हैं वो हमें मजबूर नही करते है कि हमें उनकी विचारधारा के अनुसार चलना होगा । हमारा यकीन कीजिए हम भी उतने ही देशभक्त हैं जितने कि आप अगर हम मुफ्त खोर होते, हरामखोर होते गद्दार होते ,और जयचंद होते तो आम आदमी पार्टी से कहीं ज्यादा लुभावने ऑफर कांग्रेस पार्टी से दिल्ली में मिले थे उसके साथ चले जाते ।
आपसे अनुरोध है कि
अपने कार्यकर्ताओं को समझाइए कि वह इस तरीके की जहरीली पोस्ट अब फेसबुक और व्हाट्सएप पर करने से बाज आ जाएं अन्यथा दिन प्रतिदिन आपकी लोकप्रियता के दम पर राज्यों के चुनाव को जीतने का ख्वाब देखने वाले आपकी पार्टी के कार्यकर्ताओं के सपने टूटते जाएंगे ।
ये भाजपा अटल और आडवाणी जैसे लाखों कार्यकर्ताओं की अथक मेहनत से खड़ी हुई है और संघ के कार्यकर्ताओं के त्याग और समर्पण के बाद खड़ी हुई एक पार्टी है जिसका आधार हिंदुत्व है किंतु इसमें कट्टरता के समावेश की गुंजाइश बिल्कुल नहीं है, आप इस बात को समझिए ,इस देश के डीएनए को समझिए ,अपने कार्यकर्ताओं को भी समझाने की कोशिश कीजिए ।
राज्यों की लीडरशिप को कहिए राज्यों के मुद्दों पर राज्यों के चुनाव को लड़ने की तैयारी करें हर बात में राष्ट्रीय मुद्दों को और राष्ट्रीय चेहरे को भुनाने का प्रयास उन सभी की बरसों की मेहनत पर पानी फेर रहा है जिन्होंने कांग्रेस के विकल्प के तौर पर भाजपा को खड़ा करने में अपना पूरा जीवन दिया है ।
इतना ज्यादा मैं कभी लिखता नहीं पर इससे कम में मेरी बात पूरी हो नहीं रही थी आशा है आप मेरी बात को समझने की कोशिश करेंगे और समझ पाएंगे कि आपने दिल्ली को जीतने की कोशिश में क्या खो दिया है सदैव
आपका शुभचिंतक
- दिल्ली का एक मुफ्त खोर गद्दार वोटर

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