खर पतवार से उग रहे,राष्ट्र शत्रू घनघोर!
बिन प्रयास मुर्दे बहें,नदी बहे जिस ओर।।
बिन प्रयास मुर्दे बहें,नदी बहे जिस ओर।।
बलिहारी धनतंत्र की,बजट का अंतरद्वंद!
नीरस हैं सब आंकड़े,नहीं रूप रस गंध!!
नीरस हैं सब आंकड़े,नहीं रूप रस गंध!!
नहीं राष्ट्र प्रतिबध्दता,नहीं विचार सिद्धांत।
जनता को लड़वा रहे ,है नेतत्व निष्णांत !!
जनता को लड़वा रहे ,है नेतत्व निष्णांत !!
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