विगत दो शताब्दियों में विज्ञानके आविष्कारों ने धरती और ब्रह्मांड के रहस्य सुलझाने और मानव जीवनको भव्य बनाने में जो चमत्कार किया है वह लाजबाब है!इस वैज्ञानिक क्रांति ने दुनिया के सभी धर्म-मजहब की दादागिरी और आध्यात्मिक दर्शन पर प्रश्न चिन्ह लगाये हैं!वास्तव में सकारात्मक और कल्याणकारी आध्यात्मिक तत्व चिंतन ने मनुष्य के अंतस को समझने का और मानवीय जीवन को आनंदमय बनाने का बहुत सारा काम किया है। लेकिन इक्कीसवीं वीं सदी के इस उत्तर आधुनिक युग में,भूमंडलीकरण के दौर में संसार के धर्म,मजहब- साइंस का दुरूपयोग करते हुये पूंजीवाद की चाकरी करने लगे हैं!धर्म-दर्शन का भटकाव
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