सोमवार, 3 फ़रवरी 2020

वादे जुमले जन मोहनी!

नहीं विकास नहीं नीतियाँ,नहीं बासंती रंग!
महिमा राष्ट्रीय बजटकी,शासक नहाए गंग!!
शासक नहाए गंग,दिग्भर्मित है नरमेदिनी।
चुनावी दुष्प्रचार,वादे जुमले जन मोहनी!!
कहें कवि 'श्रीराम',अब देखो दिन में सपने!
घर में नही हैं दाने और अम्मा चली चुगाने!!

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