_विचारणीय_*
मन में एक प्रश्न आया कि 1 मन = 40 सेर (किलो)ही क्यों माना गया ? बाद में इसका उत्तर मिला । दरअसल भारतीयों ने सभी जीवन के व्यवहारिक शब्द, वास्तु, श्रृंगार, मानक आदि इस आधार पर रखे हैं कि उनसे हमें आत्मा, प्रकृति, सृष्टि, जीव और जीवन के 4 पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष के बारे में बारबार स्मृति होती रहे ।
अतः उत्तर मिला -
*पाँच तत्व प्रकृति पच्चीसा । दस इन्द्री मन भौ चालीसा*
*5 महाभूत* - पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश
इन 5 महाभूतों की 5-5 = *25 प्रकृतियां* भी इनके साथ ही उत्पन्न हो गयीं :
*आकाश की* - काम, क्रोध, लोभ, मोह, भय
*वायु की* - चलन, बलन, धावन, प्रसारण, संकुचन
*अग्नि की* - क्षुधा, तृषा, आलस्य, निद्रा, मैथुन
*जल की* - लार, रक्त, पसीना, मूत्र, वीर्य
*पृथ्वी* - अस्थि, चर्म, मांस, नाङी, रोम
*5 ज्ञानेन्द्रियाँ* - नासिका, जिह्वा, नेत्र, त्वचा, कर्ण ।
*5 कर्मेन्द्रियाँ"* - पाद, हस्त, उपस्थ, पायु, वाक ।
( पाद - *पैर* , हस्त - *हाथ* , उपस्थ - *शिश्न* , पायु - *गुदा* , वाक - *मुख* )
इस तरह
*पाँच तत्व + पच्चीस प्रकृति + 5 ज्ञानेन्द्रियाँ+5 कर्मेन्द्रियाँ* = *मन
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