मंगलवार, 22 जून 2021

"योगश्वचित्तवृत्तिनिरोध:

 विगत वर्ष की तरह इस साल भी 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया!किंतु यह सुखद संदेश है कि कोरोना महामारी के अति भयानक साये में इस बार का अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पूर्व की अपेक्षा और ज्यादा हर्षोल्लास से मनाया गया! किंतु वास्तव में यह *योग* नही है! अपितु अष्टांगयोग या राजयोग का यह एक चरणमात्र है! पतंजलि और पाणिनि का कथन है कि:-

"योगश्वचित्तवृत्तिनिरोध:"अर्थात चित्त की वृत्तियों के निरोध ( नियमन) का नाम ही योग है! यद्यपि कल 21 जून को संपन्न तथाकथित वैश्विक आंशिक योगाभ्यास में योग का मूल तत्व नदारद रहा?
आधुनिक विज्ञान और योग को समझने वाले स्वामी विवेकानंद कहा करते थे कि योग के मार्ग में काम क्रोध,लोभ मोह मिथ्या संकल्प. और मिथ्या भाषण बड़ी बिघ्न बाधा है। मुझे याद है कि विगत दो वर्ष पहले ही योग गुरु स्वामी रामदेव ने और खुद श्रीमान नरेंद्र मोदी ने अपने भाषणों में बताया था कि स्विट्ज़रलैण्ड बैंकों में भारतीय चोट्टों ने कालेधन के रूप में लाखों करोड़ रूपये जमा कर रखे हैं। उन्होंने तो उस रकम का बटवारा भी कर दिया था कि हम[मोदी सरकार] यदि सत्ता में आये तो हरेक के खाते में १५ लाख रूपये जमा करेंगे। बड़े खेद की बात है कि खोदा पहाड़ निकली चुहिया। स्विस सरकार ने पहली बार पूर्ण आंकड़े घोषित किये हैं। उनके पास दुनिया के ६३ देशों की कुल जमा रकम १६०० अरब डॉलर याने १०२४०० अरब रूपये मात्र हैं।
इस कालेधन की रकम में भी भारत का हिस्सा मात्र ०. १२३ है। याने रूपये की शक्ल में मात्र १२६१५ करोड़ रूपये ही भारत का कालधन के रूप में जमा है। इस बदनाम चोट्टासूची में भी भारत महा फिसड्डी है। यहाँ भी वह ६१ वें स्थान पर है। याने दुनिया के ६० देशों के चोट्टे -यहाँ भारत के चोट्टों से बाजी मार गए।
स्विस सूची में तो भारत के कालेधन वाले अंतिम पायदान से सिर्फ दो राष्ट्रों के ही ऊपर हैं। उस पर भी लुब्बो-लुआब ये है कि कालेधन की इस चोट्टाई में भी हम खेलों की पदक तालिका जैसे ही फिसड्डी निकले ।चुनाव में जनता को बरगलाने के लिए जिस झूंठ का सहारा लिया गया वो योग के लिए मुफीद नहीं हो सकता !
बड़ी अजीब स्थिति है कि जो लोग योग का प्रचार -प्रसार करते हैं वे ही महा झूंठ और पाखंड के शिकार हैं।सत्ता में आने के बावजूद भी ये झूंठी वयान बाजी करने वाले लोग, आइन्दा यदि योग को बदनाम न करते हुए, चीन-जापान-कोरिया की तरह अपने भारतीय खिलाडियों को कुछ बेहतर सुविधाएँ और टिप्स देंतो ही बेहतर होगा। ताकि वे आगामी ओलम्पिक में और कॉमनवेल्थ गेम्स में भी, भारत का नाम पदक तालिका में सबसे ऊपर ले जा सकें। तभी ये दुनिया वाले आपके 'योग' का लोहा मानेगे । वैसे भी बिना सत्य ,अहिंसा अस्तेय , अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य के कोई भी योग नहीं सधता। शारीरिक कसरत को योगविद्द्या का नाम देने , उसको भी केवल किसी नेता या समाज सुधारक के जन्मदिन पर जश्न जैसा दिन मना लेने के निहतार्थ तब तक सकारात्मक नहीं हो सकते ,जब तक भारत में धर्म ,मजहब ,खेल और संस्कृति को राजनैतिक पाखंड से मुक्त नहीं किए जाता।जिस शारीरिक कसरत को बाबा रामदेव और उनके अनुयाई योग कह रहे हैं,वो हम उनके पैदा होने के 10 साल पहले से ही करते करते चले आ रहे हैं ! सौभाग्य से 50 -60 साल पहले सरकारी स्कूलों में बाकायदा व्यायाम शाला और अखाड़े हुआ करते थे! कसरत कराने वाले टीचर भी हुआ करते थे! किंतु वे उसे योग नही कसरत या व्यायाम कहा करते थे! आजकल लोग जिसे योग कह रहे हैं,वास्तव में वह योग नही है,बल्कि राजयोग के आठ अंगों में से तीसरा चरण मात्र है !
स्वामी रामदेव जो कुछ कर रहे हैं,दिखा रहे हैं,वो महज शारीरिक मशक्कत याने कसरत मात्र है।योग तो शरीर,मन,बुद्धि और आत्मा के बेहतर तालमेल से दुखों के निवारण और *आत्म साक्षात्कार* का साधन है!
योग के बारे में भगवान शिव,आदिनाथ अष्टाबक्र, गुरू वसिष्ठ,भगवान दत्तात्रेय, महर्षि व्यास, भगवान श्रीक्रष्ण महर्षि पतंजलि और गुरू गोरखनाथ आदि ने विस्तार से वर्णन किया है! वैसे राजयोग के आठ अंग होते हैं!यथा:-
यम,नियम,आसन,प्रत्याहार,प्राणायाम,ध्यान, धारणा और समाधि!किंतु आजकल सारी मशक्कत 'आसन' पर ही केंद्रित है! यह योग नही शारीरिक कसरत है!
श्रीराम तिवारी!

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