मरणासन्न पिता के पास दो भाई और एक बहन बैठी थी!
पिता ने कहा- "मैंने जिनसे उधार लिया था, सबको चुका दिया है। जिनसे पैसे वापस लेने थे, उनसे ले भी चुका हूँ। सिर्फ एक जगह बड़ी रकम फंसी है। तुमलोग वसूल सको, तो आपस में बांट लेना।"
तीनों संतान एक साथ बोली- "जी बाबूजी, जैसी आपकी आज्ञा। किससे कितने पैसे लेने हैं?"
पिताजी बोले- "पता नहीं कब मेरे प्राण निकल जाएं, इसलिए मैंने घर के नीचे वाले कमरे की अलमारी में एक खत लिख कर रखा है। मेरी मृत्यु के बाद देख लेना।"
थोड़ी देर बाद पिताजी ने अंतिम सांस ली। सब काम निपटाने के बाद बच्चों ने घर के कमरे में रखा खत निकाला। लिखा था-
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें