शुक्रवार, 11 जून 2021

सच्चाई अब शायद बेअसर हो गई है

 सच्चाई तो अब शायद सच में बेअसर हो गई है !

इसीलिये शैतानियत कुछ ज्यादा ही ज़बर हो गई है !!
बानगी पेश की जमाने ने अपनी कुछ इस तरह ,
कि जो पोशीदा भी न थी बात उसकी खबर हो गई है !
किस्ती के डूबने का अनुमान तो था सभी को मगर ,
माझी की गफलत से तूफ़ान को पहले खबर हो गई है !!
दिखाई दिये दूर से ही साहिल वे हमराह हम सफर ,
मझधार में उनकी मगर इक जान लेवा लहर हो गई है !
बिजली गिरी कमबख्त उसी मासूम से दरख्त पर ,
था परिंदों का वसेरा जहाँ पहले एक कहर हो गई है !!
सच्चाई तो अब शायद सच में बेअसर हो गई है !
श्रीराम तिवारी

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