क्योंकि मैं किसान पुत्र हूँ और सरकारी नौकरी में आने से पहले बचपन में खेती -बाड़ी,मजदूरी भी की है!अत: मैं पूँजीवादी दलों भाजपा या कांग्रेस को कतई पसंद नही करता ! ये दल जब विपक्ष में होते हैं तब बड़े बड़े दावे करते हैं किंतु सत्ता में आने पर भ्रस्ट पूँजीपतियों के दलाल हो जाते हैं!कांग्रेस कहती कुछ है और करती कुछ है!संगठन में भी लोकतंत्र की जगह राजतंत्र का माहौल है!सब सोनिया गांधी शरणम् गच्छामि! राहुल गांधी,प्रियंका वाड्रा पढ़ते लिखते कुछ नही, केवल उधार के स्टेटमेंट देकर मानों अगंभीर राजनीति की पंचर गाड़ी धकिया रहे हैं!
भाजपा वाले भ्रस्टाचार में कांग्रेस के अग्रज हैं!राज्यों में भले उनकी सत्ता आती जाती रहती है, किंतु कांग्रेस में कुकरहाव और विपक्ष का अहंकार ही है जो भाजपा को केंद्र की सत्ता से आगामी 10 साल तक कोई नही हटा सकता!संघ परिवार की बल्ले बल्ले है! सारे विपक्षी एक होकर,लगातार विरोध कर न तो मोदी सरकार को हरा पाए हैं और न हरा पाएंगे!क्योंकि भाजपा और संघ परिवार वाले विगत 30 -35 साल से दमित हिंदु जनों को प्रलोभन देते आ रहे हैं,कि हम यदि सत्ता में आयेंगे तो उनके निम्नांकित काम शिद्दत से करेंगे!
उनका संकल्प या दावा था कि वे मुसलमानों के तीन तलाक,गरीब सवर्ण आरक्षण,धारा 370,राम मंदिर और विदेशी घुसपैठियों की समस्या हल करेंगे!अटल आडवानी जिंदगी भर जो जो बोलते रहे, उसी उसी आधार पर जनता ने प्रचंड बहुमत देकर मोदी सरकार को दोबारा जिताया है ! अपना वादा पूरा कर दिखाने के लिये मोदी सरकार प्रतिबद्ध हैं!यदि वे ऐंसा नही करते तो बहुसंख्यक हिंदू नाराज हो जाएंगे!और यदि आगामी पांच वर्षों में ये पेंडिंग काम हो जाते हैं,तो हिंदू समाज को कुछ संतुष्टि अवश्य मिलेगी,फिर उसे संघ या भाजपा की शायद जरूरत नही पड़ेगी!तब जनता भी वामपंथ जैसे किसी अन्य बेहतर विकल्प की तलाश करेगी!तब बहुसंख्यक वर्ग उनके साथ सदियों से हुए अन्याय को भुलाकर गरीबी-अमीरी के मद्दे नजर,समानता बंधुता की तरफ देखेंगे! तब उन्हें एहसास होगा कि स्वतंत्र भारत के हिंदू मुस्लिम बाकई सब एक हैं!
वास्तव में मोदी अमित शाह तो निमित्त मात्र हैं,समग्र भारतीय अस्मिता ही स्वयं उस घड़ी का इंतजार कर रही है,जब हर भारतवासी वास्तविक रूप से धर्म,मजहब,राजनीति या आजीविका- हर चीज में समान हक और समान कर्तव्य का हकदार होगा!
इसलिये आज सत्तापक्ष और पूंजीपतियों की लाबी द्वारा मजदूरों और किसानों के साथ जो कुछ हो रहा है,वह नाकाबिले बरदास्त है!और यह अकारण नही है! यह हमारी ऐतिहासिक भूलों का अमानवीय चेहरा मात्र है और इसे सुधारना कितना ही कठिन और दुरुह या अवरोधमूलक क्यों न हो,वक्त आने पर स्वत: पूर्ण होकर रहेगा! जीत किसानों की होगी और भारतीय लोकतंत्र मजबूत होगा! जय हिंद
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