गुरुवार, 14 जनवरी 2021

हमें भारतीय संस्कृति पर गर्व क्यों है ?

वह इसलिए कि भारतीय सनातन परंपरा के अनुसार जब किसी की मृत्यु होती थी,तब 13 दिन तक उस घर में कोई प्रवेश नहीं करता था। यही Isolation period था। क्योंकि मृत्यु या तो किसी बीमारी से होती है या वृद्धावस्था के कारण जिसमें शरीर तमाम रोगों का घर होता है। यह रोग हर जगह न फैले इसलिए 14 दिन का quarantine period बनाया गया।

जो शव को अग्नि देता था उसको घर वाले तक नहीं छू सकते थे 13 दिन तक। उसका खाना पीना, भोजन, बिस्तर, कपड़े सब अलग कर दिए जाते थे। तेरहवें दिन शुद्धिकरण के पश्चात, सिर के बाल हटवाकर ही पूरा परिवार शुद्ध होता था।
तब कुछ असभ्य लोग भारतीय परंपरा का bloody indians कहकर मजाक उड़ाते थे!
इसी तरह जब किसी रजस्वला स्त्री को 4 दिन isolation में रखा जाता है ताकि वह भी बीमारियों से बची रहें और आप भी बचे रहें तब भी कुछ लोग इस वैज्ञानिक परंपरा का निषेध किया करते थे!
जब मां बच्चे को जन्म देती है तो जन्म के 11 दिन तक बच्चे व माँ को कोई नही छूता था ताकि जच्चा और बच्चा किसी इंफेक्शन के शिकार ना हों और वह सुरक्षित रहे लेकिन इस परम्परा को पुराने रीति रिवाज, ढकोसला कह कर त्याग दिया गया।
जब किसी के शव यात्रा से लोग आते हैं घर में प्रवेश नहीं मिलता है और बाहर ही हाथ पैर धोकर स्नान करके, कपड़े वहीं निकालकर घर में आया जाता है, इसका भी खूब मजाक उड़ाया आपने।
आज भी गांवों में एक परंपरा है कि बाहर से कोई भी आता है तो उसके पैर धुलवायें जाते हैं। जब कोई भी बहू लड़की या कोई भी दूर से आता है तो वह तब तक प्रवेश नहीं पाता जब तक घर की बड़ी बूढ़ी लोटे में जल लेकर, हल्दी डालकर उस पर छिड़काव करके वही जल बहाती नहीं हों, तब तक। खूब मजाक बनाया था न। आज भी सनातन धर्म का अपमान करते है।
संक्रमण के अंदेशा वाला कार्य करने वाले लोगो को तब तक नहीं छूते थे जब तक वह स्नान न करले।
आज जब आपको किसी को छूने से मना किया जा रहा है तो आप इसे ही विज्ञान बोलकर अपना रहे हैं। Quarantine किया जा रहा है तो आप खुश होकर इसको अपना रहे हैं ।
पर शास्त्रों के उन्हीं वचनों को तो हम सब भुला दिये। सनातन परंपरा का अपमान करते रहे।
आज यह उसी का परिणति है कि आज पूरा विश्व इससे जूझ रहा है। याद करिये पहले जब आप बाहर निकलते थे तो आप की माँ आपको जेब में कपूर या हल्दी की गाँठ इत्यादि देती थी रखने को।
यह सब कीटाणु रोधी होते हैं।शरीर पर कपूर पानी का लेप करते थे ताकि सुगन्धित भी रहें और रोगाणुओं से भी बचे रहें। लेकिन सब आपने भुला दिया।कुछ लोगों को तो अपने शास्त्रों को गाली देने में परमानंद मिलता है। अरे समझो अपने शास्त्रों के level को,इसे जिस दिन हम सब समझेंगे उस दिन यह देश विश्व गुरु कहलायेगा।

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