रविवार, 24 जनवरी 2021

मैंने हर रोज जमाने को रंग बदलते देखा है !

 मैंने हर रोज जमाने को रंग बदलते देखा है !

उम्र के साथ जिंदगी को ढंग बदलते देखा है!!
वो जो चलते थे तो शेर के चलने का होता था गुमान,
पाँव उठाने के लिए उनको सहारे को तरसते देखा है !
जिनकी नजरों की चमक देख सहम जाते थे लोग,
उन्ही नजरों को भादों की तरह बरसते देखा है !!
जिनके हाथों के मात्र इशारे से टूट जाते थे पत्थर,
उन्ही हाथों को पत्तों की तरह थर थर काँपते देखा है!
जिनकी आवाज़ में था बिजली कड़कने का भ्रम,
उनके होठों पै जबरन चुप्पी का ताला लगा देखा है !!
ये जवानी ये ताकत ये दौलत सब कुदरती है ..
इनके रहते हुए भी इंसान को बेजान हुआ देखा है !
अपने आज के रुतवे पर इतना ना इतराना बंधुओ,
वक्तकी धारामें बड़े बड़ों को मजबूर हुआ देखा है !!
दे सको तो किसी मजलूम का साथ देकर देखो,
वरना शेखी बघारते तो हजारों को देखा है!
मैने हर रोज जमाने को रंग बदलते देखा है!
उम्र के साथ जिंदगी को ढंग बदलते देखा है !!

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