चूंकि रामचरितमानस में ढोल गंवार शूद्र पशु नारी! ये सब ताड़न के अधिकारी!!
जैसी अप्रिय चौपाई लिखी है, अत: इस ग्रंथ को नष्ट कर दिया जाए "
:-अखिलेंदु अरजरिया (पूर्व आई ए एस)
मेरा जबाब :-आदरणीय अरजरिया जी इस चौपाई या रामचरितमानस से आपको क्या प्राब्लम है? वैसे भी गोस्वामी जी ने ये चौपाई श्रीराम से नही समुद्र से कहलवाई है! अब यह व्यक्ति विशेष के संस्कार और सोच पर निर्भर है कि वह किसी दोहे या चौपाई के अर्थ का अनर्थ कैसे करता है!
वैसे भी संसार में वेदों के अलावा कोई ऐंसी पुस्तक नही जो विवादास्पद न हो! तो क्या इस आधार पर सारे संसार का संपूर्ण धार्मिक/रिलीजियश/मजहबी साहित्य जला दिया जाए? तब हम में और बख्तियार खिलजी में क्या फर्क होगा! रामचरितमानस में यदि दो चार दोहे चौपाई आपकी समझ से बाहर हैं तो,उन्हें कालगत मानकर आप व्यक्तिगत तौर पर त्याग दीजिये! किसी पर कोई दबाव नही कि वह रामचरितमानस का अनुशीलन करे!
वैसे भी विज्ञानवादी/तर्कवादी/ बुद्धिवादी लोग भी शास्त्रों और निगम आगम को मायथालॉजी ही मानते हैं! जब उनके लिये संपूर्ण कथानक फिक्शन है तो उसमें सचाई या प्रमाण क्यों खोजते हैं! वैसे भी रामचरितमानस पर अंगुली उठाने वालों को मालूम हो कि गोस्वामी तुलसीदास ने प्रारंभ में ही उनसे माफी मांग ली है!
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