अजीम प्रेम जी बाकई महान हैं,उन्होंने जनता से जो कमाया है उसका थोड़ा सा हिस्सा कोरोना वायरस से लड़ने में व्यय कर रहे हैं! हालांकि उनकी महानता या किसी और पूंजीपति की दानवीरता उन गरीबों के किसी काम की नही,जो करोडों की तादाद में गांव से शहर तक भूख से मर रहे हैं!
बचपन से सुनता आ रहा हूँ कि अमुक ने और ढिमुक ने इतना दान दिया है!ये भी सबको मालूम है कि इस तरह की वैयक्तिक सहायता तात्कालिक होती है!कोई स्थाई समाधान नही देती! यह मदद बंचितों के किसी काम की नही! केवल दानवीरों के उत्पादों का प्रचार प्रसार और टैक्स बचाने का अचूक साधन है!
अजीम प्रेमजी ने कोरोना से लड़ने के लिये कुछ घोषणाएं कीं हैं,घोषणाओं का हश्र हम सब जानते हैं,यह पूंजीपतियों के उत्पादों के प्रचार का एक खास तरीका है!खैर अजीम प्रेमजी की महानता की हम कद्र करते हैं!
खबर है कि जब से अजीम प्रेमजी के इस तथाकथित योगदान की चर्चा चली,तब से वे जमातियों की नजर में मुसलमान हो गये हैं!बेशक इससे पहले अजीम प्रेमजी इंसानियत के अलमबरदार रहे हैं, वे कभी मस्जिद नही गए,कभी नमाज नही पड़ते,वे धारा 370 हटाने के समर्थक हैं, वे CAA के समर्थक हैं, वे कभी शाहीनावाद या किसी दरगाह की मरकजी जमात में नही गए!
सभी मुल्ला-मौलवियों ने अजीम प्रेमजी को कभी मुसलमान नही माना! उलटे गालियां दीं,किंतु अब जबकि दुनिया भर में कोरोना फैलाने वाले तबलीगियों नरकजियों को खूब धिक्कार मिल रही है,तो उन्हें अजीम प्रेम जी मुसलमान नजर आ रहे हैं!छि:
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