मंगलवार, 21 अप्रैल 2020

साधुओं की मॉव लिंचिंग..


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मुंबई से 125 किमी दूर पालघर में एक भयानक घटना हुई है। गढ़चिंचले गांव के पास हत्यारी भीड़ ने दो साधुओं और एक कार चालक को कार से खींच कर मार डाला। इनमें से एक 70 वर्षीय महाराज कल्पवृक्षगिरी थे। उनके साथी सुशील गिरी महाराज और कार चालक निलेश तेलग्ने भी भीड़ की चपेट में आ गए। तीनों अपने परिचित के अंतिम संस्कार में सूरत जा रहे थे। कुछ लोग इसे साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि यह पागल और अराजक भीड़ की काली करतूत है, जो किसी धर्म मजहब के नही, केवल देश और अमन के दुश्मन हैं!
मौके पर पुलिस पहुंच गई थी!भीड़ को समझाने का बहुत प्रयास किया!लेकिन भीड़ ने उल्टा पुलिस पर ही हमला कर दिया। पुलिस पीड़ितों को अस्पताल ले जाना चाहती थी तो भीड़ औऱ उग्र हो गई। पुलिस की गाड़ी तोड़ दी। पुलिसकर्मी भी घायल हो गए। किसी तरह अस्पताल लाया गया जहां उन्हें मृत घोषित किया गया।
महाराष्ट्र पुलिस ने हत्या के आरोप में 110 लोगों को गिरफ्तार किया है। अभी कुछ और लोगों के भाग कर पास के जंगल में छुपने की ख़बर है जिनकी तलाश हो रही है। पुलिस को पता चला है कि व्हाट्सस एप के ज़रिए अफवाह फैली थी कि बच्चा चोरों का गिरोह सक्रिय है। जो मानव अंगों की तस्करी करता है। पुलिस पता कर रही है कि अफवाह कैसे फैली और हत्या के दूसरे कारण क्या हो सकते हैं।
जिस समाज में भीड़ ही पुलिस बन जाए और भीड़ ही जज बनकर सजा देने लगे उस समाज में यह सब होना लाजिमी है l अफसोस है कि पिछले कुछ सालों में सत्ता का संरक्षण पाकर यह प्रवृत्ति बहुत फली फूली l
धर्म के आधार पर उस उन्मादित और हत्यारी भीड़ की करतूत को उचित ठहराया जाएगा तो यह सब होगा ही l
हत्या हत्या होती है जो हर हाल में अमानवीय और निंदनीय कृत्य है चाहे वह अखलाक की हो या इंस्पेक्टर सुबोधसिंह की हो l
पालघर की घटना दुखद और निंदनीय है l हत्यारों की पहचान हो उन्हें उचित दंड मिले यह ज़रूरी है, लेकिन ज़रूरत उस हत्यारी प्रवृत्ति को हतोत्साहित करने की है जो भीड़ बनकर पुलिस भी बन जाती है और न्यायालय मौन साध लेते हैं.
जो धर्म का लाभ लेकर सत्ता का संरक्षण पाता है ,उसकी गर्दन झुक जाय करती है।

जूना अखाड़े में 90% साधू दलित और पिछड़े वर्ग के ही हैं! कुंभ में पहुँचने वाले 99% नागा साधू दलित,आदिवासी और पिछड़ा वर्ग के होते हैं! जिसे यकीन न हो वह साध्वी प्रज्ञा,साध्वी निरंजना ज्योति साध्वी रितंभरा,साध्वी उमा भारती,साक्षी महाराज,चालू बाबा आसाराम,बदमास रामरहीम और स्वामी रामदेव से पूछताछ कर ले! क्योंकि इनमें से कोई भी ब्राह्मण नही है!


 महाराष्ट्र में किसी साधु महात्मा को हिंसक भीड़ ने पीट पीट कर मार डाला! वास्तव में असली साधू संत को कोई नही मार सकता! असली साधू संत कपिल मुनि की तरह होता है, जिसका तीसरा नेत्र खुलते ही आततायी भस्म हो जाया करते हैं! सभी को मालूम है कि गोस्वामी तुलसीदासजी ने मस्जिद में बैठकर ही रामचरितमानस का अधिकांस हिस्सा रचा था! कोई मुस्लिम उनका बाल बांका नही कर सका!जबकि उनके समकालीन हिंदुओं ने तुलसीदासजी पर घोर अत्याचार किये और
रामचरितमानस की मूल प्रति की चोरी भी कराई ! जिन हिंदुओं को दो कौड़ी का ज्ञान नही वे तुलसीदास जी के लेखन पर अक्सर सवाल उठाते रहते हैं !
असली साधु के बारे में गोस्वामी जी ने लिखा है:-
''संत ह्रदय नवनीत समाना"
"साधु चरित शुभ चरित कपासू!
निरस विशद गुनमय फल जासू!!"
"जो सह दुख पर छिद्र दुरावा!
वंदनीय जेहिं जग जस पावा!!"

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