दिल्ली में पुलिस ने हजरत निजामउद्दीन दरगाह पर कल 1400 लोगों को पकड़ा! उनमें 300 मुस्लिम कोरोना ग्रस्त पाए गए! मुख्यमंत्री केजरीवाल ने इस आयोजन के कर्ताधर्ता तबलीगी जमात पर मुकदमा ठोक दिया! अब मुस्लिम कट्टरपंथी परेशान हैं कि जिस केजरीवालको चुनाव में जिताया,उसने कोरोना फैलानेवाले आत्मघाती कोरोना बमों को डिफ्यूज करने का पक्का इंतजाम कर लिया है! इस 'तबलीगी कोरोना कांड' के लोग क्या अब हिंदुओं और उनके शांतिप्रिय संगठनों को बदनाम करने की हिमाकत कर सकते हैं?
दरसल हिंदू,जैन या अन्य अमनपसंद कौम के लोगों का कोरोना से कुछ लेना देना नहीं बल्कि इस्लाम के नुमाइंदे ही बाहर से भारत में कोरोना के सबसे बडे वाहक बन रहे हैं! और आगे भी यही लोग कोरोना को सबसे ज्यादा फैलाकर लाखों लोगों की मौत का कारण बनेंगे!!
अब सवाल है की कैसे???
कोरोना का भारत में सब से पहले मरीज थे... कलबुर्गी,कर्नाटक के 76 वर्षीय मोहम्मद हुसैन सिद्दिकी..जो दुबई से लौटे थे..कोरोना पॉझिटीव्ह पाये जानेपर उन्होंने ये कहकर अस्पताल में इलाज करने से मना कर दिया था की इस्लाम इसकी इजाजत नही देता!!
और कोरोना के कारण भारत में पहली मौत उन की ही हुई..खैर वो तो मर गये लेकिन जाते जाते अपने घर के सात लोगों को बिमारी भेंट कर गये..इस समय उनकी वजह से संक्रमित लोगों की संख्या 22 तक पहूँच गई है!
महाराष्ट्र का सबसे पहला केस भी पुणे के मुस्लिम मियाँ-बिवी के नामपर दर्ज है..जो खुद तो ठीक हो गये है लेकिन उनके द्वारा उनकी खुदकी बेटी और कॅब ड्रायव्हर सहीत 38 लोगों को संक्रमण हुआ है..ऐसा अंदेशा है!
दिल्ली में फिलीस्तीन से आये हुये 59 वर्षीय मौलाना साहब खुद तो खुदा के पास निकल लिये लेकिन 61 लोगों को कोरोना का ईनाम दे गये!!
भारत मे कोरोना की 10 वी पेशंट मुंबई की ही मुस्लिम महीला है जिनके कारण 283 लोगों को संक्रमण हुआ है..अब उनको पछतावा हो रहा है की काश मै नौ दिन घर में छुपकर नही बैठती तो आज मेरा पुरा परीवार,लोकल फैमीली डाॅक्टर और उसके द्वारा इलाज किये गये पेशंट कोरोना ग्रसित न होते!!
महाराष्ट्र के सांगली में भी 7 लोगों की एक पुरी मुस्लिम फैमीली कोरोना पाॅजीटिव पायी गई है!
महाराष्ट्र के औरंगाबाद मे भी पहला केस मुस्लिम महीला का है...जिसके द्वारा 19 लोगों को संक्रमण होने की आशंका है...पंजाब में कजाकिस्तान से आये हुये एक मियाँ जी 18 लोगों को संक्रमण देकर चल बसे!पता नही उन्होंने अबतक कितनों की जिंदगी से खेला होगा!!
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समझ नही आता ये लोग ऐसा अनजाने में कर रहे है या फिर इसके पीछे कुछ जिहादी मकसद छुपा हुआ है?
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अगर मान भी लें की कल तक की सारी गलतियाँ इन से अनजाने मे हुई थी...क्योंकि कोरोना की भयानकता किसी को इतनी नही पता थी! लेकिन फिर आज का क्या?
अब तो सबको पता है न कि करोना वायरस / महामारी की विध्वंसक ताकत का!
इसमें से न हिंदू बच पायेगा..न मुसलमान और न ही ईसाई...!
अब सवाल है की कैसे???
कोरोना का भारत में सब से पहले मरीज थे... कलबुर्गी,कर्नाटक के 76 वर्षीय मोहम्मद हुसैन सिद्दिकी..जो दुबई से लौटे थे..कोरोना पॉझिटीव्ह पाये जानेपर उन्होंने ये कहकर अस्पताल में इलाज करने से मना कर दिया था की इस्लाम इसकी इजाजत नही देता!!
और कोरोना के कारण भारत में पहली मौत उन की ही हुई..खैर वो तो मर गये लेकिन जाते जाते अपने घर के सात लोगों को बिमारी भेंट कर गये..इस समय उनकी वजह से संक्रमित लोगों की संख्या 22 तक पहूँच गई है!
महाराष्ट्र का सबसे पहला केस भी पुणे के मुस्लिम मियाँ-बिवी के नामपर दर्ज है..जो खुद तो ठीक हो गये है लेकिन उनके द्वारा उनकी खुदकी बेटी और कॅब ड्रायव्हर सहीत 38 लोगों को संक्रमण हुआ है..ऐसा अंदेशा है!
दिल्ली में फिलीस्तीन से आये हुये 59 वर्षीय मौलाना साहब खुद तो खुदा के पास निकल लिये लेकिन 61 लोगों को कोरोना का ईनाम दे गये!!
भारत मे कोरोना की 10 वी पेशंट मुंबई की ही मुस्लिम महीला है जिनके कारण 283 लोगों को संक्रमण हुआ है..अब उनको पछतावा हो रहा है की काश मै नौ दिन घर में छुपकर नही बैठती तो आज मेरा पुरा परीवार,लोकल फैमीली डाॅक्टर और उसके द्वारा इलाज किये गये पेशंट कोरोना ग्रसित न होते!!
महाराष्ट्र के सांगली में भी 7 लोगों की एक पुरी मुस्लिम फैमीली कोरोना पाॅजीटिव पायी गई है!
महाराष्ट्र के औरंगाबाद मे भी पहला केस मुस्लिम महीला का है...जिसके द्वारा 19 लोगों को संक्रमण होने की आशंका है...पंजाब में कजाकिस्तान से आये हुये एक मियाँ जी 18 लोगों को संक्रमण देकर चल बसे!पता नही उन्होंने अबतक कितनों की जिंदगी से खेला होगा!!
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समझ नही आता ये लोग ऐसा अनजाने में कर रहे है या फिर इसके पीछे कुछ जिहादी मकसद छुपा हुआ है?
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अगर मान भी लें की कल तक की सारी गलतियाँ इन से अनजाने मे हुई थी...क्योंकि कोरोना की भयानकता किसी को इतनी नही पता थी! लेकिन फिर आज का क्या?
अब तो सबको पता है न कि करोना वायरस / महामारी की विध्वंसक ताकत का!
इसमें से न हिंदू बच पायेगा..न मुसलमान और न ही ईसाई...!
फिर क्यों ये समाजविशेष तत्व गुटबंदी में सामूहिक नमाज पढ रहे है?
क्यों ये कर्फ्यु में जमावड़ा बनाकर रास्तोंपर घूम रहे है?
इनका मजहब इनको कोरोना जाँच की इजाजत क्यो नही देता?
इनको क्यों समझ नहीं आ रहा है कि ये देश और समाज के साथ साथ अपने परिवार की भी जिंदगी से खेल रहे हैं?
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