एक मुस्लिम मित्र ने अपने हिंदू मित्र से पूछा-
"हम दोनों व्यक्तिगत तौर पर ऐंसा क्या करें कि मजहबी आधार पर भिन्नता के बावजूद हमारी दोस्ती बरक़रार रहे?"
हिंदू मित्र ने जबाब दिया -"हमें ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं! हम दोनों सिर्फ इतना करें कि अपने-अपने धर्म-मजहब के कट्टरपंथियों को बिल्कुल भाव न दें,हमेशा सच्चे भारतीय बने रहें और जीव हिंसा न करें!"
मुस्लिम मित्र ने कहा- 'मैं तो कर लूंगा, लेकिन जमात की कोई गारंटी नही दे सकता!'
हिंदू मित्र बोले- 'मैं भी अपनी ही बात कर रहा हूँ,अंधभक्तों या रथयात्रियों की गारंटी नही दे सकता!'
अंत में हिंदू -मुस्लिम दोनों मित्र एक साथ बोले -ईश्वर अल्लाह तेरे नाम सबको सन्मति दे भगवान... !
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