मैं 44 साल से वामपंथ का समर्थक हूँ और आइंदा भी रहूँगा,क्योंकि वामपंथ के अलावा बेहतरीन विचारधारा इस दुनिया में और कोई है ही नही! वामपंथ के प्रभाव से ही मैं तमाम हिंदु संगठनों की पानी पी पीकर आलोचना करता रहा,उनपर फासीवादी होने का आरोप मढ़ता रहा और अल्पसंख्यकों की तरफदारी करता रहा हूँ!इन सब बातों का प्रमाण मेरी 11 साल की फेसबुक हिस्ट्री और मेरे ब्लॉग www.janwadi.blogspot.in पर हजारों पेज पर अभी मौजूद है! जो लोग सर्च करना चाहें, वे मेरा एक साल पीछे का ब्लॉग ही पढ़े,क्योंकि विगत एक साल का-धारा 370 और CAA/NRC पर मेरा द्रष्टिकोंण जग जाहिर है!
जब तक मैं इकतरफा हिंदू साम्प्रदायिकता का विरोध करता रहा,संघ और भाजपा का विरोध करता रहा तबतक मुझ सभी मुस्लिम साथियों के सैकड़ों लाइक और वाहवाहियां मिलती रहीं! किंतु ज्यों ही मैने पाकिस्तान परस्त आतंकवाद का विरोध किया,केंद्र सरकार द्वारा कश्मीर में धारा 370 हटाये जाने का समर्थन किया और CAA/NPR का समर्थन किया तो 90% मुस्लिम साथी मेरी सामूहिक निंदा में जुट गए! सिर्फ 10% मुस्लिम साथी अभी भी सत्य के साथ डटे हैं, उन्हें लाल सलाम !
ठीक इसी तरह कुछ लकीर के फकीर और हिंदू फोबिया ग्रस्त अर्धशिक्षित वामपंथी मित्रों को भी उनकी अड़ियल और कभी न बदलने वाली मानसिकता के कारण मुझे अपनी फ्रैंडलिस्ट से बाहर करना पड़ा! इनमें अधिकांस वे लोग हैं जो जन्मजात हिंदू हैं, किंतु वे खुद को हिंदू नही मानते,आतंकियों की निंदा से डरते हैं!CAA/NRC के कारण जब ऐंसे लोग सोशल मीडिया पर लगातार मेरी लानत मलानत करने लगे, तो मजबूरन ब्लॉक करना पड़ा!
पूँजीवादी व्यवस्था में सर्वहारा वर्ग के मुद्दों पर संघर्ष केंद्रित करने के बजाय वर्तमान वामपंथी नेतृत्व-कभी धारा 370, कभी CAA का विरोध करता रहता हैं,जैसे कि मार्क्सवाद लेनिनवाद का यही अंतिम लक्ष्य हो! वामपंथकी धर्मनिर्पेक्षता(मुस्लिमपरस्ती) से कांग्रेस को केजरीवाल को,ममताको,माया -अखिलेशको चुनावी फायदा होता रहता है, किंतु वामपंथ का प्रभाव क्षेत्र घटता जाता है!
मेरा दीर्घकालीन अनुभव रहा है कि भारत के धर्मनिरपेक्ष बुद्धिजीवी यह मानने को तैयार नही कि हिंदू लोग भी दमित हो सकते हैं! वे कश्मीरी पत्थरबाजों को नेट सुविधा बहाल करने की पैरवी करते हैं,किंतु कश्मीरी हिंदु सिख या पंडित को मार भगाए जाने पर मौन रहते हैं! यदि मुस्लिमों के अलावा किसी अन्य कौम के दुख गिनाएतो उसे संघी करार देते हैं!
पाकिस्तान,अफगानिस्तान और बांग्लादेश से मार भगाये गये शरणार्थियों के हित में मोदी सरकार द्वारा CAA लाये जाने पर जब मैने देखा कि पाकिस्तान के कठमुल्लों के साथ- साथ तुर्की का एर्दोगान,मलेशियाका महातिर मुहम्मद और सऊदी अरब के शाह भारत को आँख दिखा रहे हैं,शाहीनाबाग में सैकड़ों शरजिल इमाम भौंक रहे हैं, वे अासाम को शेष भारत से अलग करने का ऐजेंडा पेश कर रहे हैं,वारिस पठान पूरे भारत को नष्ट करने की घोषणा कर रहा है, ताहिर खान अमानत उल्ला,जैसे कट्टरपंथी सरगना जब दिल्ली को बर्बाद करने निकल पड़े,तब मुझे लगा कि हम क्या कर रहे हैं, इस तमाम हरकतों के लिये मोदीजी और अमित शाह ही कसूरबार हैं क्या? मेरे मन में सवाल उठा कि जब विश्व के सारे मुस्लिम आतंकी और धर्मगुरु भारत विरोध और हिंदू विरोध में लीन हैं,तब हमारे तमाम क्रातिकारी साथी इन काली ताकतों के खिलाफ मौन क्यों हैं? न केवल मौन हैं अपितु कपिल मिश्रा और अनुराग ठाकुर जैसे अगंभीर नेताओं की टुच्ची बचकानी बातों को मुद्दा बना रहे हैं!
कोरोना कांड में भी वे वही गलती दुहरा रहे हैं! उन्हें शायद मालूम नहीं कि दुनिया में कोरोना वायरस के आगमन का कारण चाहे जो भी रहा हो,किंतु भारत में,केरल में और इंदौर में कोरोना केरियर मुस्लिम अप्रवासी ही रहे हैं!
अभी इंदौर में एक कोरोना ग्रस्त मुस्लिम और उसके रिस्तेदार की मोबाइल बातचीत वायरल हुई है!जिसमें कोरोनाग्रस्त मरीज रो रोकर अपने धर्मगुरूओं की और अपनी जमात के नेताओं की गलती मान रहा है कि कोरोना के बारे में उन लोगों ने कौम को गुमराह किया गया!सरकार का प्रोपेगेंडा समझकर कोरोना का मजाक उड़ाया और अपनी जमात के लोगों को भ्रमित किया कि
"यह सब अल्लाह का करम है, हमें अल्लाह के काम में दखल नहीं देना चाहिए!"
उस कोरोना ग्रस्त मरीज से हाल चाल पूछने वाले ने ढाढस बंधाया और कहा कि दोस्त मैं आपके लिये क्या कर सकता हूँ? तो मरीज ने रोकर कहा कि अपनी जमात के लोगों को समझाओ कि कोरोना को हल्के में न लें!
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