गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

'देशभक्त' 'गद्दार और 'राष्ट्रवाद'

दरसल 'देशभक्त'और 'गद्दार' जैसे शब्दों का चलन अब भारत में ही रह गया है!बाकी दुनिया इन शब्दों से बहुत आगे बढ़ गई है! अब जापान,जर्मनी या चीन में इन शब्दों की जगह 'राष्ट्रवाद' ने ले ली है! वहां अब देशभक्त और गद्दार शब्द गुजरे जमाने की चीज हो गये हैं!
वास्तव में देशभक्त और देशद्रोही या गद्दार शब्द राजनैतिक शब्द हो चुके हैं! जहांतक भारत में इनकी पैदायश का सवाल है तो ये शब्द भारतीय संस्कृत साहित्य में नदारद हैं! इनका आगमन भी हमलावर कौमौ के साथ ही हुआ है! जब बाहरी बर्बर हमलावर भारत पर हमला करते थे तो वे अपने फौजियों में जोश भरने के लिये मजहबी जुनून पैदा करते थे! जो उनके जुनून में तलवार उठाकर मरने मारने को तैयार रहता वह दीनपरस्त और जो लड़ने से इंकार कर दे या डर जाए उसे गद्दार या काफिर कहा जाता था! जब हमलाबर कबीलों ने विजित राष्ट्र को अपना वतन माना तो दीनीपरस्त को वतनपरस्त और काफिर या गद्दार को देशद्रोही कहा जाने लगा!
भारत में आजादी के बाद ,कुछ लोगों की आस्था अपने धर्म -मजहब से बनी रही थी,जबकि महात्मा गांधी, पंडित नेहरु सरदार पटैल, सुभाष वोस भगतसिंह, चंद्रशेखर आजाद,अशफाकउल्लाह खान जैसे कुछ क्रातिकारियों की आस्था अपने वतन से रही!
भारत पाकिस्तान बटवारे के बाद कुछ पाकिस्तानी जैसे -सीमांत गांधी अब्दुल गफ्फार खान,फैज अहमद फैज,जियेसिंध के जी एम सईद इत्यादि नेता भारत में अपनी आस्था रखते थे! अतएव वहाँ के फौजी जनरलों ने उन्हें देशद्रोही कहा,जेलों में बंद किया,प्रताड़ना दी और मार डाला!
इधर भारत में निजामों,नवाबों की बची खुची नाजायज औलादें मन ही मन पाकिस्तान को अपना मादरे वतन मानती रहीं!किंतु नेहरू पटैल ने सबको गले लगाया! जब तक पानी सर से ऊपर नही चढ़ा (जैसे शेख अबदुल्ला की गिरफ्तारी) तब तक पं.नेहरू और सरदार पटैल ने किसी मुसलमान को देशद्रोही नहीं माना!
1965 में पाकिस्तान के खिलाफ जब कैप्टन अब्दुल हमीद जैसे जाबाजों ने पाकिस्तान के अमेरिकी पैटन टैंक धवस्त कर दिये तब यहां कुछ लोगों के मुंह बंद हुए! 1971 में बांग्ला देश बनानेमें भारतीय सेना और बांग्ला मुक्ति वाहिनी ने जो शौर्य दिखाया,उसने भारत बांग्लादेश के बीच ही नही बल्कि हिंदू और मुस्लिम कौम के बीच एकजुट राष्टुवाद को परवान चढ़ते देखा है!
किंतु बाद में पाकिस्तान की आर्मी और विश्व इस्लामिक जेहादी आतंकवाद ने भारतीय गंगाजमुनी तहजीव को गंभीर छति पहुंचाई! जो लोग भारतीय संविधान और लोकतंत्र की दुहाई देते थे वे मक्का मदीना की ओर देखने लगे!मंब्ई में ताज होटल और अन्य जगहों पर आतंकी हमले, बिना गद्दारों की मदद से नहा हो सकते थे! गुजरात के दंगों को हवा देने वाले दाऊद,कसाब, बुर्हान बानी,हाफिज सईद,अजहर मसूद जैसे आतंकियोंके कुटिल कारनामें,कश्मीरी पत्थरबाजों, आतंकियों अलगाववादियों के मंसूबों ने भारत के 125 करोड़ हिंदुओं को मजबूर कर दिया कि वे भी मुसलमानों की तरह टैक्टिकल वोटिंग क्यों न करें? क्या धर्मनिरपेक्षता का ठेका सिर्फ हिंदु,जैन,बौद्ध और पारसियों ने ही ले रखा है? हिंदुओं ने सोचा -हम क्यों न एक ऐंसी सरकार चुने जो देशको टूटने से बचा सके और हिंदुओं के स्वाभिमान को भी बचा सके!
मुस्लिम दलित पिछड़ा वर्ग को गुमराह करने वाले धर्म,मजहब,जाति की गंदी राजनीति करने वाले लालू,मुलायम,माया सब हिंदुओं के खिलाफ हो गये थे, इसलिये हिंदुओं ने चुनावी ध्रुवीकरण में वह सत्ता हस्तांतरण किया जो आज हम सब देख रहे हैं!
अब वही होगा जो बहुमत को मंजूर होगा! और भाजपा को बहुमत यदि हिंदुओं ने दो दो बार दिया है, तो किसी के पेट में दर्द नहीं होना चाहिए! क्योंकि जिनके पेट में दर्द है, उनका रत्ती भर सहयोग वर्तमान सरकार को नही है!
यदि किसी को फिक्र है कि भारत में धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र सलामत रहे,तो हिंदुओं को नीचा दिखाना बंद करे और दुश्मन देशों से दिल लगाने की आदत छोड़ दे!

भारत में कुछ कुपढ़ अपढ़ कूड़मगज लोग पाकिस्तान के आतंकी संगठनों और विश्व इस्लामिक आतंकवाद की भाषा बोलते रहते हैं! वे इस्लामिक आतंक पर कभी एक शब्द नही बोलते ! बल्कि जब कसाब जैसे 20 कसाई मुंबई पर हमला करते हैं, कुछ कट्टर इस्लामिक आतंकी अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला करते हैं, कुछ पुलवामा,उरी पठानकोट पर हमला करते हैं, तो ये बदमास बुद्धूजीवी उधर से नजर फेर लेते हैं!
भारत के कुछ जातीय और साम्प्रदायिक संगठन खुद असंवैधानिक गतिविधियों में लिप्त रहते हैं और पकड़े जाने पर आर एस एस,के कुछ पुराने नाम और भाजपा के कुछ नये नामों को हिंदूवादी बताकर सवाल करते हैं कि 'हिंदुओं' ने आजादी की लड़ाई में क्या किया?
हिंदू विरोधी धूर्त बदमाश लोग जिन हिंदू संगठनों और उसके नेताओं के नाम गिनाते हैं,वेशक वे नेता और संगठन आजादी की लड़ाई में शामिल नही हुए! किंतु क्या सिर्फ वही हिंदू थे?
हिंदू विरोधी निक्रिष्ट लोग भूल जाते हैं कि महात्मा गांधी,सरदार पटैल,पंडित मोतीलाल नेहरू,गोखले,रानाडे, विपिनचंद पाल, लाला लाजपतराय,स्वामी श्रद्धानंद,लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, छसुभाषचंद बोस, सरोजनी नायडू,गोविंद वल्लभ पंत,डॉ सर्व पल्ली राधाक्रष्णन और आजादी के लिये शीस कटाने वाले करोडों शहीद शुद्ध हिंदू थे!
द्म धर्मनिरपेक्ष लोग केवल गद्दारों को ही हिंदू क्यों मानते हैं?वे यह दुष्प्रचार करते हैं कि भारतीय स्वाधीनता संग्राम में हिंदुओं का कोई सहयोग नही था! इस हिंदू विरोधी हरामियों से पूछा जाए कि क्या उनके बाप जिन्ना ने भारत को आजादी दिलाई?
मैं भी धर्मनिरपेक्षतावादी हूँ,संघ विरोधी हूं! किंतु निर्दोष और मेहनतकश हिंदुओं पर हमला करने वालों को कौम का गद्दार और वतन का दुश्मन मानता हूं!वो चाहे मुस्लिम हो,हिन्दू हो या कम्युनिस्ट हो, यदि वह हिंदुओं को टारगेट करेगा,तो उसकी अक्ल ठिकाने लगाने का दायित्व उन सबका है जो सच्चे देशभक्त हैं,सच्चे धर्मनिरपेक्षतावादी हैं! और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के दायित्व हर एक निर्वाचित सरकार का है न की अल्पसंख्यकों के वोटों की राजनीति करने वालों की !

भारत का कोई प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति जब इंग्लैंड,अमेरिका जाता है,तो वहां मौजूद सारे भारतवंशी 'इंडिया-इंडिया' चिल्लाते हैं!किंतु मूल अमेरिकन और इंग्लैंड वाले इसका खास बुरा नही मानते! बल्कि वे भी भारतीय नेता के सम्मान में सिर झुकाते हैं! किंतु मेरे भारत में यदि बाईचांस कोई इटालियन पंछी भी भटककर भारत के आसमान में उड़कर आ जाए और सोनिया गांधी यदि उसे देखकर हाथ जोड़ ले, तो शाखाम्रगों के सीने पर सांप लोटने लगते हैं!कूड़मगज अंधभक्तों को सच सुनना पसंद नही! क्योंकि वे अपने पूर्वजों की वो उदारता भूल गये जो उनकी चारित्रिक विशेषता हुआ करती थी!
*वसुधैव कुटुंबकम*

इंग्लैंड की होम मिनिस्टर भारतीय मूल की हैं,अमेरिका में डैमोक्रेटिक पार्टी की नेता निक्की हैली राष्ट्रपति पद की दौड़ में भी रहीं हैं,वे सभी भारतीय मूल की हैं!मारीशस फिजी,सुरीनाम,केनेडा और गुयाना में अनेक भारतवंशी अक्सर सत्ता शिखर पर भी विराजमान रहे हैं !किंतु किसी पर कभी यह आरोप नही लगा कि वे उन देशों के लिये स्वीकार्य नही है! जो लोग बात बात में सोनिया गांधी पर विदेशी होने का ठप्पा लगाते हैं,वे अपने शानदार अतीत और वर्तमान विश्व राजनीति का जरा भी ज्ञान नही रखते!


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